[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:13.77,0:00:20.77,Default,,0000,0000,0000,,जीवन, स्‍वतंत्रता तथा प्रसन्‍नता का अनुगमन । Dialogue: 0,0:00:24.63,0:00:27.80,Default,,0000,0000,0000,,हम प्रसन्‍नता को बाहर ढूंढने में जीवन बिता देते Dialogue: 0,0:00:27.80,0:00:30.30,Default,,0000,0000,0000,, हैं मानों वह कोई वस्‍तु हो । Dialogue: 0,0:00:30.30,0:00:37.30,Default,,0000,0000,0000,,हम अपनी इच्‍छाओं तथा लालसाओं के गुलाम बन गए हैं । Dialogue: 0,0:00:39.40,0:00:41.03,Default,,0000,0000,0000,,प्रसन्‍नता कोई ऐसी वस्‍तु नहीं जिसे ढूंढा जाए Dialogue: 0,0:00:41.03,0:00:44.60,Default,,0000,0000,0000,,या सस्‍ते सूट की तरह खरीदा जा सके । Dialogue: 0,0:00:44.60,0:00:45.77,Default,,0000,0000,0000,,यह माया, Dialogue: 0,0:00:45.77,0:00:46.63,Default,,0000,0000,0000,,भ्रम है रूप का Dialogue: 0,0:00:46.63,0:00:51.60,Default,,0000,0000,0000,,अंतहीन खेल । Dialogue: 0,0:00:51.60,0:00:53.17,Default,,0000,0000,0000,,बौद्ध परंपरा में, Dialogue: 0,0:00:53.17,0:00:56.43,Default,,0000,0000,0000,,संसार या पीड़ा का अंतहीन चक्र, Dialogue: 0,0:00:56.43,0:00:58.83,Default,,0000,0000,0000,,प्रसन्‍नता की अभिलाषा एवं पीड़ा Dialogue: 0,0:00:58.83,0:01:03.13,Default,,0000,0000,0000,,से मुक्ति से परिपूर्ण है । Dialogue: 0,0:01:03.13,0:01:07.40,Default,,0000,0000,0000,,फ्रॉयड ने इसे `प्रसन्‍नता सिद्धांत़` के रूप में उल्लिखित किया है । Dialogue: 0,0:01:07.40,0:01:10.23,Default,,0000,0000,0000,, हम वही सब करने का प्रयास करते हैं जिससे प्रसन्‍नता मिले या Dialogue: 0,0:01:10.23,0:01:12.23,Default,,0000,0000,0000,,कुछ ऐसा प्राप्‍त किया जा सके जो हम चाहते Dialogue: 0,0:01:12.23,0:01:19.23,Default,,0000,0000,0000,,हैं या उन सबसे छुटकारा, जो हम नहीं चाहते। Dialogue: 0,0:01:19.67,0:01:23.63,Default,,0000,0000,0000,,यहां तक कि पैरामेशियम जैसा साधारण जीव यह कार्य करता है । Dialogue: 0,0:01:23.63,0:01:25.90,Default,,0000,0000,0000,,इसे प्रेरक के प्रति प्रतिक्रिया कहा जाता है । Dialogue: 0,0:01:25.90,0:01:30.83,Default,,0000,0000,0000,,पैरामेशियम से हटकर मनुष्‍यों के अधिक विकल्‍प हैं । Dialogue: 0,0:01:30.83,0:01:34.40,Default,,0000,0000,0000,,हम सोचने के लिए स्‍वतंत्र हैं और वही समस्‍या का आधार है । Dialogue: 0,0:01:34.40,0:01:41.40,Default,,0000,0000,0000,,हम चाहते क्‍या हैं, यही सोचना नियंत्रण से बाहर हो गया है । Dialogue: 0,0:02:03.60,0:02:10.60,Default,,0000,0000,0000,,आधुनिक समाज की दुविधा यही है कि हम विश्‍व को समझना चाहते हैं, Dialogue: 0,0:02:14.07,0:02:17.43,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन अपनी आंतरिक चेतना से नहीं, Dialogue: 0,0:02:17.43,0:02:20.07,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि वैज्ञानिक साधनों तथा विचारों के माध्‍यम से बाहरी Dialogue: 0,0:02:20.07,0:02:25.83,Default,,0000,0000,0000,,संसार की मात्रात्‍मकता एवं गुणवत्‍ता मूल्‍यांकित करते हैं । Dialogue: 0,0:02:25.83,0:02:30.33,Default,,0000,0000,0000,,चिंतन से केवल अधिक सोच-विचार एवं अधिकाधिक प्रश्‍न उत्‍पन्‍न होते हैं । Dialogue: 0,0:02:30.33,0:02:33.63,Default,,0000,0000,0000,,हम जब आंतरिक संसार को जानना चाहते हैं जिससे विश्‍व उत्‍पन्‍न और दिशा-निर्देशित होता है, Dialogue: 0,0:02:33.63,0:02:35.67,Default,,0000,0000,0000,, तब हम इस सारतत्‍व को बाहरी रूप से ग्रहण करने लगते हैं । Dialogue: 0,0:02:35.67,0:02:39.10,Default,,0000,0000,0000,,हम इसे एक जीवंत वस्‍तु या अपनी प्रकृति Dialogue: 0,0:02:39.10,0:02:44.57,Default,,0000,0000,0000,,के अंतर्भूत के रूप में ग्रहण नहीं करते । Dialogue: 0,0:02:44.57,0:02:47.90,Default,,0000,0000,0000,,प्रसिद्ध मनश्‍चिकित्‍सक कार्ल जुंग जिन्‍होंने कहा “वह व्‍यक्ति जो बाहर देखता है, Dialogue: 0,0:02:47.90,0:02:54.90,Default,,0000,0000,0000,,वह सपने देखता है और वह जो अपने अंदर झांकता है, वह जागृत हो जाता है ।” Dialogue: 0,0:02:56.00,0:03:00.43,Default,,0000,0000,0000,, जागने और प्रसन्‍न होने की इच्‍छा गलत नहीं है । Dialogue: 0,0:03:00.43,0:03:04.03,Default,,0000,0000,0000,,गलत यह है कि खुशी को बाहर तलाशा जाए, Dialogue: 0,0:03:04.03,0:03:11.03,Default,,0000,0000,0000,,जबकि इसे केवल भीतर पाया जा सकता है । Dialogue: 0,0:03:34.63,0:03:39.73,Default,,0000,0000,0000,,भाग चार: सोच से आगे- लेक तहोए, कैलिफोर्निया, एरिक श्मिट– गूगल के सीईओ की Dialogue: 0,0:03:39.73,0:03:45.83,Default,,0000,0000,0000,, शिल्‍पविज्ञानी सम्‍मेलन में 4 अगस्‍त, 2010 को उल्लिखित विस्‍मयकारी सांख्यिकी । Dialogue: 0,0:03:45.83,0:03:48.43,Default,,0000,0000,0000,,श्मिट के अनुसार, सभ्‍यता के प्रारंभ से 2003 तक हमने Dialogue: 0,0:03:48.43,0:03:51.27,Default,,0000,0000,0000,,जितनी सूचना निर्मित की, उतना अब हम प्रत्‍येक Dialogue: 0,0:03:51.27,0:03:54.60,Default,,0000,0000,0000,,दो दिन में उत्‍पन्‍न करते हैं । Dialogue: 0,0:03:54.60,0:04:01.60,Default,,0000,0000,0000,,जो है 5 एक्‍साबाईट्स डेटा के बराबर । Dialogue: 0,0:04:02.07,0:04:05.60,Default,,0000,0000,0000,,मानव इतिहास में कभी इतनी सोच नहीं Dialogue: 0,0:04:05.60,0:04:08.73,Default,,0000,0000,0000,,रही और न ही ग्रह पर इतनी हलचल। Dialogue: 0,0:04:08.73,0:04:15.30,Default,,0000,0000,0000,,ऐसा तो नहीं कि हम हर समय किसी एक समस्‍या का समाधान तो कर नहीं पाते, दो और Dialogue: 0,0:04:15.30,0:04:18.47,Default,,0000,0000,0000,,समस्‍याएं उत्‍पन्‍न करते हैं? Dialogue: 0,0:04:18.47,0:04:20.50,Default,,0000,0000,0000,,क्‍या यह सोच ठीक है जो अत्‍यधिक Dialogue: 0,0:04:20.50,0:04:23.13,Default,,0000,0000,0000,,प्रसन्‍नता की ओर न ले जाए? Dialogue: 0,0:04:23.13,0:04:26.93,Default,,0000,0000,0000,,क्‍या हम अधिक प्रसन्‍न हैं? Dialogue: 0,0:04:26.93,0:04:27.00,Default,,0000,0000,0000,,अधिक स्थितप्रज्ञ? Dialogue: 0,0:04:27.00,0:04:30.27,Default,,0000,0000,0000,,क्‍या इस प्रकार की सोच से अधिक आनंदित हैं? Dialogue: 0,0:04:30.27,0:04:33.17,Default,,0000,0000,0000,,या यह हमें जीवन के गहन तथा Dialogue: 0,0:04:33.17,0:04:34.93,Default,,0000,0000,0000,,अधिक अर्थपूर्ण अनुभव से Dialogue: 0,0:04:34.93,0:04:39.70,Default,,0000,0000,0000,,अलग या असंबद्ध करती है? Dialogue: 0,0:04:39.70,0:04:45.30,Default,,0000,0000,0000,,सोचना, क्रियाशील होना और कार्य करना, Dialogue: 0,0:04:45.30,0:04:47.50,Default,,0000,0000,0000,,इन्हें जीव के अस्तित्व के साथ संतुलित करना होगा । Dialogue: 0,0:04:47.50,0:04:54.50,Default,,0000,0000,0000,,अंततोगत्‍वा हम मनुष्‍य हैं, मनुष्‍य के कार्य नहीं । Dialogue: 0,0:05:04.33,0:05:09.53,Default,,0000,0000,0000,,हम परिवर्तन और स्‍थायित्‍व एक साथ चाहते हैं । Dialogue: 0,0:05:09.53,0:05:13.13,Default,,0000,0000,0000,,हमारा हृदय जीवन के सर्पिल से, Dialogue: 0,0:05:13.13,0:05:15.03,Default,,0000,0000,0000,,परिवर्तन के नियम से असंबद्ध हो गया है, Dialogue: 0,0:05:15.03,0:05:18.03,Default,,0000,0000,0000,,चूंकि हमारा सोचने वाला मस्तिष्‍क हमें स्थिरता, Dialogue: 0,0:05:18.03,0:05:23.07,Default,,0000,0000,0000,,सुरक्षा तथा चेतनाओं के शमन की ओर संचालित करता है । Dialogue: 0,0:05:23.07,0:05:28.13,Default,,0000,0000,0000,,विकृत सम्‍मोहन से हम हत्‍या, सुनामी, Dialogue: 0,0:05:28.13,0:05:34.10,Default,,0000,0000,0000,,भूकंप एवं युद्धों को देखते हैं । Dialogue: 0,0:05:34.10,0:05:37.93,Default,,0000,0000,0000,,हम लगातार अपना मन मस्तिष्‍क व्‍यस्‍त रखते हैं और उसमें सूचनाएँ भरते हैं। Dialogue: 0,0:05:37.93,0:05:41.40,Default,,0000,0000,0000,,हर कल्पनीय उपकरण से टीवी कार्यक्रमों का प्रसारण। Dialogue: 0,0:05:41.40,0:05:43.60,Default,,0000,0000,0000,,खेल और पहेलियाँ । Dialogue: 0,0:05:43.60,0:05:44.37,Default,,0000,0000,0000,,पाठ संदेश । Dialogue: 0,0:05:44.37,0:05:47.83,Default,,0000,0000,0000,,और प्रत्‍येक संभव मामूली कार्य । Dialogue: 0,0:05:47.83,0:05:49.57,Default,,0000,0000,0000,,हम अपनी चेतनाओं व संवेदनों के शमन के Dialogue: 0,0:05:49.57,0:05:53.27,Default,,0000,0000,0000,,लिए नई छवियों, नई सूचना तथा नए तरीकों Dialogue: 0,0:05:53.27,0:06:00.27,Default,,0000,0000,0000,,से अनंत बहाव में स्‍वयं घिर जाते हैं । Dialogue: 0,0:06:00.67,0:06:04.13,Default,,0000,0000,0000,,शांत आंतरिक चिंतन के समय हमें हृदय में एहसास होता Dialogue: 0,0:06:04.13,0:06:08.37,Default,,0000,0000,0000,,है कि हमारी वर्तमान वास्‍तविकता से आगे भी जीवन Dialogue: 0,0:06:08.37,0:06:11.87,Default,,0000,0000,0000,,है चूंकि हम भूखे प्रेतों के संसार में जीते हैं । Dialogue: 0,0:06:11.87,0:06:18.87,Default,,0000,0000,0000,,अनंत लालसाओं से भरे और कभी संतुष्‍ट न होने वाले । Dialogue: 0,0:06:24.07,0:06:25.73,Default,,0000,0000,0000,,ग्रहों के आसपास हमने इतने आंकड़े फैलाए हैं, Dialogue: 0,0:06:25.73,0:06:30.03,Default,,0000,0000,0000,,जिनमें संसार के निर्धारण और समस्‍याओं के निर्धारण के लिए इतनी सोच, Dialogue: 0,0:06:30.03,0:06:33.27,Default,,0000,0000,0000,,इतने विचार दिए, जो केवल इस कारण से हैं Dialogue: 0,0:06:33.27,0:06:38.47,Default,,0000,0000,0000,,चूंकि ये मस्तिष्‍क से निकले हैं । Dialogue: 0,0:06:38.47,0:06:45.47,Default,,0000,0000,0000,,सोच ने इतना सारा बखेड़ा पैदा किया है जिसमें रहने के लिए हम अभिशप्‍त हैं । Dialogue: 0,0:06:45.90,0:06:50.53,Default,,0000,0000,0000,,हम बीमारियों, शत्रुता और समस्‍याओं से जूझते रहते हैं । Dialogue: 0,0:06:50.53,0:06:55.03,Default,,0000,0000,0000,,विडंबना यह है कि जिसका हम प्रतिरोध करते हैं वही अस्तित्‍व में है । Dialogue: 0,0:06:55.03,0:06:59.17,Default,,0000,0000,0000,,आप जिसका जितना प्रतिरोध करते हैं, वह उतना ही ताकतवर हो जाता है । Dialogue: 0,0:06:59.17,0:07:02.10,Default,,0000,0000,0000,,मांसपेशियों के व्‍यायाम की तरह, जिससे आप छुटकारा Dialogue: 0,0:07:02.10,0:07:05.70,Default,,0000,0000,0000,, पाना चाहते हैं, दरअसल उसे मजबूत बना रहे हैं । Dialogue: 0,0:07:05.70,0:07:09.73,Default,,0000,0000,0000,,ऐसे में, सोचने का विकल्‍प क्‍या है ? Dialogue: 0,0:07:09.73,0:07:16.73,Default,,0000,0000,0000,,इस ग्रह पर अस्तित्‍व बनाए रखने के लिए मनुष्‍य किस अन्‍य प्रक्रिया का प्रयोग कर सकता है? Dialogue: 0,0:07:32.63,0:07:35.87,Default,,0000,0000,0000,,यद्यपि हाल की शताब्दियों में पश्चिमी संस्‍कृति Dialogue: 0,0:07:35.87,0:07:39.67,Default,,0000,0000,0000,,ने चिंतन तथा विश्‍लेषण का प्रयोग करते हुए भौतिक को उद्भासित किया, Dialogue: 0,0:07:39.67,0:07:42.50,Default,,0000,0000,0000,,तथापि अन्‍य प्राचीन संस्‍कृतियों ने आंतरिक विकास Dialogue: 0,0:07:42.50,0:07:48.60,Default,,0000,0000,0000,,के लिए समान रूप से सुविज्ञ प्रौद्योगिकी विकसित की है । Dialogue: 0,0:07:48.60,0:07:51.30,Default,,0000,0000,0000,,हमारे आंतरिक संसार के साथ हमारा संपर्क टूटने के Dialogue: 0,0:07:51.30,0:07:56.00,Default,,0000,0000,0000,,कारण ही हमारे ग्रह पर असंतुलन उत्‍पन्‍न हुआ है । Dialogue: 0,0:07:56.00,0:07:59.67,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन आप्‍त वाक्‍य "स्वयं को जानो” Dialogue: 0,0:07:59.67,0:08:04.57,Default,,0000,0000,0000,,को रूप के बाहरी संसार के अनुभव की कामना से‍ प्रतिस्‍थापित किया गया है । Dialogue: 0,0:08:04.57,0:08:07.97,Default,,0000,0000,0000,,“मैं कौन हूं?” इसका उत्‍तर आपके व्‍यावसायिक कार्ड पर Dialogue: 0,0:08:07.97,0:08:14.97,Default,,0000,0000,0000,,व्‍यवसाय को वर्णित करने जितना सरल नहीं । Dialogue: 0,0:08:15.77,0:08:19.43,Default,,0000,0000,0000,,बौद्धधर्म में, आप अपनी चेतना की विषयवस्‍तु नहीं हैं । Dialogue: 0,0:08:19.43,0:08:22.63,Default,,0000,0000,0000,,आप केवल चिंतन या विचारों का संग्रह नहीं, Dialogue: 0,0:08:22.63,0:08:29.63,Default,,0000,0000,0000,,चूंकि चिंतन के पीछे वही एक है जो चिंतन का साक्षी है । Dialogue: 0,0:08:35.73,0:08:40.70,Default,,0000,0000,0000,,आदेश सूचक `स्वयं को जानो` एक जेन कोआन है, एक अनुत्‍तरित पहेली। Dialogue: 0,0:08:40.70,0:08:45.43,Default,,0000,0000,0000,, अंततोगत्‍वा उत्‍तर जानने के प्रयत्‍न में मस्तिष्‍क थक जाएगा । Dialogue: 0,0:08:45.43,0:08:49.83,Default,,0000,0000,0000,,केवल अहं अभिज्ञान ही है जिसे उत्‍तर या प्रयोजन चाहिए, Dialogue: 0,0:08:49.83,0:08:56.83,Default,,0000,0000,0000,,किसी कुत्‍ते द्वारा अपनी पूंछ का पीछा करने के समान। आप कौन हैं, Dialogue: 0,0:08:56.83,0:09:00.97,Default,,0000,0000,0000,,इस सत्‍य को उत्‍तर की आवश्‍यकता नहीं, Dialogue: 0,0:09:00.97,0:09:07.97,Default,,0000,0000,0000,,चूंकि सभी प्रश्‍न अहंशील मस्तिष्‍क की देन हैं । Dialogue: 0,0:09:08.27,0:09:15.27,Default,,0000,0000,0000,,आप मस्तिष्‍क नहीं हैं। Dialogue: 0,0:09:16.43,0:09:23.43,Default,,0000,0000,0000,,सत्‍य अधिक उत्‍तरों में नहीं है बल्कि कम प्रश्‍नों में है। Dialogue: 0,0:09:25.07,0:09:26.73,Default,,0000,0000,0000,,जैसाकि जोसेफ कैंपबेल ने कहा है Dialogue: 0,0:09:26.73,0:09:30.23,Default,,0000,0000,0000,,“मैं उन लोगों में विश्‍वास नहीं करता जो जीवन का अर्थ खोज रहे हैं, Dialogue: 0,0:09:30.23,0:09:37.23,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि मैं उन लोगों में विश्‍वास करता हूं जो जीवन का अनुभव कर रहे हैं ।” Dialogue: 0,0:09:53.00,0:09:57.20,Default,,0000,0000,0000,,जब बुद्ध से पूछा गया “आप क्‍या हैं?” तो उन्‍होंने बस कहा, Dialogue: 0,0:09:57.20,0:09:59.37,Default,,0000,0000,0000,,“मैं जागा हुआ हूं” । Dialogue: 0,0:09:59.37,0:10:06.37,Default,,0000,0000,0000,,जागृत होना, इसका क्‍या अर्थ है ? Dialogue: 0,0:10:07.57,0:10:10.60,Default,,0000,0000,0000,,बुद्ध ने सटीक तौर पर नहीं कहा, चूंकि प्रत्‍येक व्‍यक्ति के जीवन Dialogue: 0,0:10:10.60,0:10:13.37,Default,,0000,0000,0000,,का खिलना अलग है लेकिन उन्‍होंने एक बात कही। Dialogue: 0,0:10:13.37,0:10:20.37,Default,,0000,0000,0000,,यह पीड़ा का अंत है । Dialogue: 0,0:10:22.00,0:10:24.10,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्‍येक बड़ी धा‍र्मिक परंपरा में जागृत Dialogue: 0,0:10:24.10,0:10:26.57,Default,,0000,0000,0000,,अवस्था के लिए एक नाम है। Dialogue: 0,0:10:26.57,0:10:27.80,Default,,0000,0000,0000,,स्‍वर्ग, Dialogue: 0,0:10:27.80,0:10:29.03,Default,,0000,0000,0000,,निर्वाण Dialogue: 0,0:10:29.03,0:10:31.53,Default,,0000,0000,0000,,या मोक्ष । Dialogue: 0,0:10:31.53,0:10:37.53,Default,,0000,0000,0000,,केवल शांत चित्‍त की आवश्‍यकता है ताकि प्रकृति के बहाव को महसूस किया जा सके - Dialogue: 0,0:10:37.53,0:10:40.77,Default,,0000,0000,0000,,अन्यथा जब आपका चित्‍त शांत हो, तब यह आपके मन में घटित होगा। Dialogue: 0,0:10:40.77,0:10:44.00,Default,,0000,0000,0000,,उस स्‍थैर्य में आंतरिक ऊर्जाएं जागृत हो जाएंगी और आप Dialogue: 0,0:10:44.00,0:10:48.40,Default,,0000,0000,0000,,बिना प्रयास के कार्य संपन्‍न करने में सक्षम हो जाएंगे । Dialogue: 0,0:10:48.40,0:10:55.40,Default,,0000,0000,0000,,जैसा कि टॉलस्‍टाय ने कहा है “चि चेतना का अनुपालन करता है”। Dialogue: 0,0:10:56.20,0:10:58.83,Default,,0000,0000,0000,,स्थिरता प्राप्‍त होने पर व्‍यक्ति पौधों तथा पशुओं की Dialogue: 0,0:10:58.83,0:11:00.80,Default,,0000,0000,0000,,बुद्धिमत्‍ता भी सुनना आरंभ कर देता है। Dialogue: 0,0:11:00.80,0:11:05.57,Default,,0000,0000,0000,,स्‍वप्‍नों में हल्‍की सी फुसफसाहट को व्‍यक्ति Dialogue: 0,0:11:05.57,0:11:07.53,Default,,0000,0000,0000,,सूक्ष्‍म प्रक्रिया से सीख जाता है, Dialogue: 0,0:11:07.53,0:11:11.63,Default,,0000,0000,0000,,जिससे वे स्‍वप्‍न भौतिक रूप में सामने आ जाते हैं । Dialogue: 0,0:11:11.63,0:11:16.77,Default,,0000,0000,0000,,ताओ ते चिंग में इस प्रकार के Dialogue: 0,0:11:16.77,0:11:22.67,Default,,0000,0000,0000,,जीवन को “वेइ वू वेइ” कहते हैं । Dialogue: 0,0:11:22.67,0:11:25.23,Default,,0000,0000,0000,,`करना, न करना` बुद्ध ने इस मार्ग को मध्‍यम मार्ग कहा है जो Dialogue: 0,0:11:25.23,0:11:28.17,Default,,0000,0000,0000,,जागृति की ओर ले जाता है । Dialogue: 0,0:11:28.17,0:11:31.47,Default,,0000,0000,0000,,अरस्‍तू ने स्वर्णिम मध्यमान को वर्णित किया Dialogue: 0,0:11:31.47,0:11:35.57,Default,,0000,0000,0000,,– दो चरम सीमाओं के बीच मध्‍य, अर्थात् सौंदर्य का मार्ग । Dialogue: 0,0:11:35.57,0:11:38.70,Default,,0000,0000,0000,,बहुत अधिक प्रयास नहीं, लेकिन बहुत कम भी नहीं। Dialogue: 0,0:11:38.70,0:11:45.70,Default,,0000,0000,0000,,Yचिन एवं यांग का संपूर्ण संतुलन। Dialogue: 0,0:11:57.33,0:12:00.40,Default,,0000,0000,0000,,वेदांत की माया या संभ्रम की धारणा यह है कि हम Dialogue: 0,0:12:00.40,0:12:03.03,Default,,0000,0000,0000,,परिवेश का अनुभव नहीं करते, Dialogue: 0,0:12:03.03,0:12:08.27,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि विचारों द्वारा सृजित इसका प्रक्षेपण करते हैं । Dialogue: 0,0:12:08.27,0:12:11.00,Default,,0000,0000,0000,,निस्‍संदेह आपके विचार कुछेक तरीके से कंपायमान Dialogue: 0,0:12:11.00,0:12:15.83,Default,,0000,0000,0000,,संसार का अनुभव करवाते हैं, लेकिन हमारे Dialogue: 0,0:12:15.83,0:12:21.57,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक समत्‍व को बाहरी घटनाओं की आवश्‍यकता नहीं। Dialogue: 0,0:12:21.57,0:12:26.67,Default,,0000,0000,0000,,बाहरी संसार पर विश्‍वास, Dialogue: 0,0:12:26.67,0:12:30.37,Default,,0000,0000,0000,,विज्ञान के बुनियादी सिद्धांत पर टिका है । Dialogue: 0,0:12:30.37,0:12:34.20,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन हमारी संवेदनाएं हमें केवल अप्रत्‍यक्ष सूचना देती हैं। Dialogue: 0,0:12:34.20,0:12:37.50,Default,,0000,0000,0000,,इस मस्तिष्‍क निर्मित भौतिक संसार के बारे में हमारी धारणाएं संवेदनाओं के Dialogue: 0,0:12:37.50,0:12:44.17,Default,,0000,0000,0000,, माध्‍यम से हमेशा निस्‍यंदित होती हैं और इसलिए हमेशा अपूर्ण रहती हैं । Dialogue: 0,0:12:44.17,0:12:49.20,Default,,0000,0000,0000,,कंपन का एक क्षेत्र है जो सभी संवेदनों में अंतर्निहित है। Dialogue: 0,0:12:49.20,0:12:53.00,Default,,0000,0000,0000,,ऐसी स्थिति के लोगों को `सिनेस्थेसिया` कहा जाता है, Dialogue: 0,0:12:53.00,0:12:57.27,Default,,0000,0000,0000,,जो कभी-कभार विभिन्‍न तरीकों से इस कंपनशील क्षेत्र का अनुभव करते हैं। Dialogue: 0,0:12:57.27,0:13:01.50,Default,,0000,0000,0000,,`सिनेस्थेसिया`, ध्‍वनियों को एक संवेदन से दूसरे Dialogue: 0,0:13:01.50,0:13:05.43,Default,,0000,0000,0000,,के रंगों या आकारों में देख सकता है। Dialogue: 0,0:13:05.43,0:13:12.43,Default,,0000,0000,0000,,`सिनेस्थेसिया` संवेदनाओं के संश्‍लेषण या अंतरमिश्रण से संबद्ध हैं । Dialogue: 0,0:13:13.20,0:13:15.97,Default,,0000,0000,0000,,चक्र तथा संवेदनाएं संपार्श्‍व की तरह हैं Dialogue: 0,0:13:15.97,0:13:19.97,Default,,0000,0000,0000,,जिससे कंपन का अविच्छिनन्न निस्यंदन होता है । Dialogue: 0,0:13:19.97,0:13:22.70,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्‍ड में सभी वस्‍तुएं कंपित हो रही हैं Dialogue: 0,0:13:22.70,0:13:27.80,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन भिन्‍न गति और नैरंतर्य से । Dialogue: 0,0:13:27.80,0:13:31.33,Default,,0000,0000,0000,,होरस का नेत्र छह प्रतीकों से बना है, Dialogue: 0,0:13:31.33,0:13:34.43,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्‍येक में एक संवेदना का प्रतिनिधित्‍व है । Dialogue: 0,0:13:34.43,0:13:36.90,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन वैदिक प्रणाली की तरह, Dialogue: 0,0:13:36.90,0:13:43.90,Default,,0000,0000,0000,,विचार को संवेदना के रूप में माना गया है । Dialogue: 0,0:13:44.40,0:13:45.93,Default,,0000,0000,0000,,शरीर द्वारा संवेदनाओं की अनुभूति Dialogue: 0,0:13:45.93,0:13:48.90,Default,,0000,0000,0000,,के साथ-साथ विचार प्राप्त होते हैं। Dialogue: 0,0:13:48.90,0:13:54.37,Default,,0000,0000,0000,,वे उसी कंपन स्रोत से उत्‍पन्‍न होते हैं । Dialogue: 0,0:13:54.37,0:13:56.40,Default,,0000,0000,0000,,चिंतन बस एक साधन है । Dialogue: 0,0:13:56.40,0:13:57.77,Default,,0000,0000,0000,,छह संवेदनाओं में एक । Dialogue: 0,0:13:57.77,0:14:01.70,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन हमने इसे ऐसी उच्‍च स्थिति में विकसित किया है कि हम Dialogue: 0,0:14:01.70,0:14:07.00,Default,,0000,0000,0000,,स्‍वयं की पहचान अपने विचारों से करते हैं । Dialogue: 0,0:14:07.00,0:14:10.53,Default,,0000,0000,0000,,वास्‍तव में यह तथ्य कि हम छह संवेदनाओं में एक के रूप में Dialogue: 0,0:14:10.53,0:14:12.67,Default,,0000,0000,0000,,चिंतन की पहचान नहीं करते, अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है । Dialogue: 0,0:14:12.67,0:14:17.87,Default,,0000,0000,0000,,हम चिंतन में ऐसे लिप्‍त हैं कि सोच-विचार को संवेदना के रूप में Dialogue: 0,0:14:17.87,0:14:20.73,Default,,0000,0000,0000,,व्‍याख्‍यायित करना मछली को जल के बारे में बताने की तरह हैं । Dialogue: 0,0:14:20.73,0:14:27.73,Default,,0000,0000,0000,,जल, कैसा जल? Dialogue: 0,0:14:31.87,0:14:34.67,Default,,0000,0000,0000,,उपनिषदों में कहा गया है, वह नहीं जिसे नेत्र देख सकता है, Dialogue: 0,0:14:34.67,0:14:40.90,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि वह जिसके माध्‍यम से नेत्र देखता है। Dialogue: 0,0:14:40.90,0:14:47.60,Default,,0000,0000,0000,,उसे शाश्वत ब्रह्म के रूप में जानें, न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । Dialogue: 0,0:14:47.60,0:14:54.03,Default,,0000,0000,0000,,उसे नहीं जिसे कान सुन सकते हैं बल्कि वह, जिससे कान सुनते हैं । Dialogue: 0,0:14:54.03,0:15:01.03,Default,,0000,0000,0000,,उसे शाश्वत ब्रह्म जानें न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । Dialogue: 0,0:15:03.03,0:15:09.30,Default,,0000,0000,0000,,वह नहीं जिसे बोलना स्‍पष्‍ट कर सकता है बल्कि वह, जिसके द्वारा बोल उजागर होते हैं । Dialogue: 0,0:15:09.30,0:15:16.30,Default,,0000,0000,0000,,उसे शाश्वत ब्रह्म जानें न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । Dialogue: 0,0:15:22.70,0:15:28.90,Default,,0000,0000,0000,,वह नहीं जो मस्तिष्‍क सोच सकता है, बल्कि वह, जिससे मस्तिष्‍क सोचता है । Dialogue: 0,0:15:28.90,0:15:35.90,Default,,0000,0000,0000,,उसे शाश्वत ब्रह्म जानें न कि वह जिसकी लोग यहाँ आराधना करते हैं । Dialogue: 0,0:16:04.50,0:16:07.23,Default,,0000,0000,0000,,गत दशक में, मस्तिष्‍क के Dialogue: 0,0:16:07.23,0:16:10.67,Default,,0000,0000,0000,,अनुसंधान ने बड़ी प्रगति की है । Dialogue: 0,0:16:10.67,0:16:13.53,Default,,0000,0000,0000,,वैज्ञानिकों ने न्यूरो प्‍लास्टिीसिटी की खोज की; Dialogue: 0,0:16:13.53,0:16:17.50,Default,,0000,0000,0000,,एक ऐसा शब्द जो यह विचार व्यक्त करता है कि मस्तिष्‍क के भौतिक तार, Dialogue: 0,0:16:17.50,0:16:21.30,Default,,0000,0000,0000,,इसके माध्‍यम से संचरित होने वाले विचारों के अनुसार परिवर्तित हो जाते हैं । Dialogue: 0,0:16:21.30,0:16:24.03,Default,,0000,0000,0000,,कनाडाई मनोवैज्ञानिक डोनाल्‍ड हेब्‍ब ने जैसा इसे स्पष्ट किया “तंत्रिका-कोशिकाएँ, Dialogue: 0,0:16:24.03,0:16:31.03,Default,,0000,0000,0000,,जो एक साथ सक्रिय होती है, एक साथ जुड़ती है ”। Dialogue: 0,0:16:35.00,0:16:41.00,Default,,0000,0000,0000,,तंत्रिका-कोशिका एक साथ जुड़ने का अभिप्राय है जब कोई व्‍यक्ति सतत ध्‍यान की मनोदशा में होता है । Dialogue: 0,0:16:41.00,0:16:43.37,Default,,0000,0000,0000,,इसका अर्थ हुआ कि आपके द्वारा वास्‍तविकता के अपने Dialogue: 0,0:16:43.37,0:16:45.63,Default,,0000,0000,0000,,आत्‍मनिष्‍ठ अनुभव को निर्देशित करना संभव है। Dialogue: 0,0:16:45.63,0:16:50.17,Default,,0000,0000,0000,,शाब्दिक रूप में, यदि आपके विचार भय, चिंता, उद्विग्‍नता तथा नकारात्‍मकता से परिपूर्ण हैं, Dialogue: 0,0:16:50.17,0:16:56.40,Default,,0000,0000,0000,,तो आप इन विचारों को अधिकाधिक पनपने के लिए संयोजन बढ़ाते हैं । Dialogue: 0,0:16:56.40,0:16:58.80,Default,,0000,0000,0000,,यदि आप अपने विचारों को प्रेम, दया, Dialogue: 0,0:16:58.80,0:17:01.80,Default,,0000,0000,0000,,कृतज्ञता तथा प्रसन्‍नता के लिए निर्देशित करते हैं, Dialogue: 0,0:17:01.80,0:17:05.63,Default,,0000,0000,0000,,तो आप उन अनुभवों की पुनरावृत्ति के लिए तार सृजित करते हैं । Dialogue: 0,0:17:05.63,0:17:10.03,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन तब क्‍या करें यदि हम हिंसा तथा पीड़ा से घिरे हों ? Dialogue: 0,0:17:10.03,0:17:15.77,Default,,0000,0000,0000,,क्‍या यह भ्रांति या महात्वाकांक्षी विचार जैसा नहीं ? Dialogue: 0,0:17:15.77,0:17:18.23,Default,,0000,0000,0000,,न्यूरोप्‍लास्टिसिटी उस आधुनिक धारणा के समान नहीं है जैसे आप सकारात्‍मक Dialogue: 0,0:17:18.23,0:17:21.83,Default,,0000,0000,0000,,सोच से अपनी वास्‍तविकता का सृजन कर सकते हैं । Dialogue: 0,0:17:21.83,0:17:25.07,Default,,0000,0000,0000,,यह वास्‍तव में वही है जिसे बुद्ध ने Dialogue: 0,0:17:25.07,0:17:28.67,Default,,0000,0000,0000,,2500 वर्ष पूर्व सिखाया था । Dialogue: 0,0:17:28.67,0:17:33.87,Default,,0000,0000,0000,,विपासना-ध्‍यान या अंतर्दर्शी-ध्‍यान को आत्‍मनिर्देशित न्यूरोप्‍ला‍स्‍टीसिटी Dialogue: 0,0:17:33.87,0:17:39.33,Default,,0000,0000,0000,,के रूप में वर्णित किया जा सकता है । Dialogue: 0,0:17:39.33,0:17:45.83,Default,,0000,0000,0000,,आप अपनी वास्‍तविकता ठीक उसी रूप में स्‍वीकारते हैं – जैसा कि वह वास्तव में है । Dialogue: 0,0:17:45.83,0:17:50.87,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन आप विचार के पूर्वाग्रह या प्रभाव के Dialogue: 0,0:17:50.87,0:17:54.63,Default,,0000,0000,0000,,बिना कंपायमान या ऊर्जावान स्‍तर Dialogue: 0,0:17:54.63,0:17:56.83,Default,,0000,0000,0000,,पर संवेदन की गहराई में अनुभव करते हैं । Dialogue: 0,0:17:56.83,0:18:00.53,Default,,0000,0000,0000,,तना के गहन तल पर सतत ध्‍यान के माध्‍यम से वास्‍तविकता Dialogue: 0,0:18:00.53,0:18:07.53,Default,,0000,0000,0000,,की समूची विभिन्‍न धारणा के लिए तार उत्‍पन्‍न हो जाते हैं । Dialogue: 0,0:18:18.50,0:18:21.23,Default,,0000,0000,0000,,अधिकांशतः हम इसके विपरीत सोचते हैं । Dialogue: 0,0:18:21.23,0:18:27.80,Default,,0000,0000,0000,,हम अपने तंत्रिकीय संजाल से बाहरी विश्‍व आकार पर सतत विचार करते रहते हैं लेकिन Dialogue: 0,0:18:27.80,0:18:34.77,Default,,0000,0000,0000,, हमारे आंतरिक समत्‍व को बाहरी घटनाओं पर आश्रित रहने की आवश्‍यकता नहीं है। Dialogue: 0,0:18:34.77,0:18:37.87,Default,,0000,0000,0000,,परिस्थितियों का कोई महत्‍व नहीं। Dialogue: 0,0:18:37.87,0:18:42.07,Default,,0000,0000,0000,,केवल मेरी चेतना का महत्‍व है। Dialogue: 0,0:18:42.07,0:18:44.87,Default,,0000,0000,0000,,संस्‍कृत में ध्‍यान का अर्थ है परिमापन से मुक्ति । Dialogue: 0,0:18:44.87,0:18:47.10,Default,,0000,0000,0000,,सभी तुलनाओं से मुक्‍त । Dialogue: 0,0:18:47.10,0:18:48.80,Default,,0000,0000,0000,,सभी अच्छाइयों (आने वाली स्थितियों) से मुक्‍त । Dialogue: 0,0:18:48.80,0:18:51.67,Default,,0000,0000,0000,,आप कुछ और बनने का प्रयास नहीं कर रहे हो । Dialogue: 0,0:18:51.67,0:18:57.33,Default,,0000,0000,0000,,आप जो हैं उसी में संतुष्‍ट हैं । Dialogue: 0,0:18:57.33,0:19:01.03,Default,,0000,0000,0000,,भौतिक यथार्थ की पीड़ाओं से ऊपर उठने का Dialogue: 0,0:19:01.03,0:19:03.13,Default,,0000,0000,0000,,मार्ग इसे पूर्ण रूप से स्‍वीकारने में ही है । Dialogue: 0,0:19:03.13,0:19:05.43,Default,,0000,0000,0000,,यह मानना कि हां यह है । Dialogue: 0,0:19:05.43,0:19:08.13,Default,,0000,0000,0000,,इसलिए यह आपके भीतर घटित हो जाता है, Dialogue: 0,0:19:08.13,0:19:15.13,Default,,0000,0000,0000,,न कि आप इसके भीतर होते हो । Dialogue: 0,0:19:21.10,0:19:23.80,Default,,0000,0000,0000,,कोई व्‍यक्ति इस प्रकार कैसे रह सकता है Dialogue: 0,0:19:23.80,0:19:27.47,Default,,0000,0000,0000,,कि चेतना अपनी अंतर्वस्‍तु से अधिक देर तक न टकराए? Dialogue: 0,0:19:27.47,0:19:32.27,Default,,0000,0000,0000,,कैसे कोई व्‍यक्ति ह्रदय से छोटी-छोटी महत्‍वाकांक्षाओं को हटा सकता है । Dialogue: 0,0:19:32.27,0:19:35.13,Default,,0000,0000,0000,,चेतना में संपूर्ण क्रांति होनी चाहिए । Dialogue: 0,0:19:35.13,0:19:41.60,Default,,0000,0000,0000,,बाहरी संसार से आंतरिक संसार की ओर अभिविन्यास में मूलभूत रूपांतरण । Dialogue: 0,0:19:41.60,0:19:45.90,Default,,0000,0000,0000,,यह इच्‍छा या केवल प्रयास द्वारा लाई गई क्रांति नहीं है । Dialogue: 0,0:19:45.90,0:19:48.80,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि यह समर्पण से संभव है । Dialogue: 0,0:19:48.80,0:19:55.80,Default,,0000,0000,0000,,वास्‍तविकता की यथावत् स्‍वीकृति । (“केवल ह्रदय से ही आप आकाश छू सकते हैं”- रूमी) Dialogue: 0,0:20:00.73,0:20:05.03,Default,,0000,0000,0000,,ईसा के खुले ह्रदय की छवि इस विचार को गहनता से संप्रेषित करती है Dialogue: 0,0:20:05.03,0:20:08.50,Default,,0000,0000,0000,,कि व्‍यक्ति को सभी प्रकार के कष्‍टों के लिए तैयार रहना चाहिए, Dialogue: 0,0:20:08.50,0:20:11.63,Default,,0000,0000,0000,,यदि व्‍यक्ति को विकासात्‍मक स्रोत के लिए अपने को खुला रखना है, Dialogue: 0,0:20:11.63,0:20:14.80,Default,,0000,0000,0000,,तो उसे यह सब स्‍वीकारना चाहिए। Dialogue: 0,0:20:14.80,0:20:17.43,Default,,0000,0000,0000,,इसका अर्थ यह नहीं कि आप पर-पीड़ित बन जाओ, Dialogue: 0,0:20:17.43,0:20:18.80,Default,,0000,0000,0000,,आप दुख की ओर न देखो, Dialogue: 0,0:20:18.80,0:20:23.13,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन जब वह आए, Dialogue: 0,0:20:23.13,0:20:27.17,Default,,0000,0000,0000,,जो अनिवार्यतः होता है, तो आप इसकी वास्‍तविकता को Dialogue: 0,0:20:27.17,0:20:32.33,Default,,0000,0000,0000,,स्‍वीकारें न कि किसी अन्‍य वास्‍तविकता की अभिलाषा करें। Dialogue: 0,0:20:32.33,0:20:33.83,Default,,0000,0000,0000,,हवाईवासियों का पुराना विश्‍वास है कि केवल Dialogue: 0,0:20:33.83,0:20:37.20,Default,,0000,0000,0000,,हृदय के माध्‍यम से ही हम सत्‍य पा सकते हैं । Dialogue: 0,0:20:37.20,0:20:44.20,Default,,0000,0000,0000,,हृदय की अपनी बुद्धिमत्‍ता मस्तिष्‍क से विशिष्‍ट होती है । Dialogue: 0,0:20:44.47,0:20:47.63,Default,,0000,0000,0000,,मिस्रवासियों का विश्‍वास है कि हृदय मस्तिष्‍क नहीं, Dialogue: 0,0:20:47.63,0:20:49.23,Default,,0000,0000,0000,,मानव बुद्धिमत्‍ता का स्रोत है । Dialogue: 0,0:20:49.23,0:20:51.90,Default,,0000,0000,0000,,हृदय को ही आत्‍मा तथा Dialogue: 0,0:20:51.90,0:20:54.80,Default,,0000,0000,0000,,व्‍यक्तित्‍व का केन्‍द्र माना गया। Dialogue: 0,0:20:54.80,0:20:58.03,Default,,0000,0000,0000,,यह हृदय के माध्‍यम से ही संभव हुआ है कि दिव्‍यात्‍मा ने प्राचीन Dialogue: 0,0:20:58.03,0:21:05.03,Default,,0000,0000,0000,,मिस्रवासियों को उनके सच्‍चे मार्ग का ज्ञान दिया । Dialogue: 0,0:21:05.53,0:21:08.43,Default,,0000,0000,0000,,इस कथन में हृदय के सारतत्‍व को वर्णित किया गया है । " Dialogue: 0,0:21:08.43,0:21:11.03,Default,,0000,0000,0000,,इसे अच्‍छा समझा गया है कि सरल Dialogue: 0,0:21:11.03,0:21:13.60,Default,,0000,0000,0000,,हृदय से जीवन के पार जाएँ । Dialogue: 0,0:21:13.60,0:21:20.60,Default,,0000,0000,0000,,इसका तात्‍पर्य है कि आपने ठीक से जिया । Dialogue: 0,0:21:21.50,0:21:25.30,Default,,0000,0000,0000,,एक वैश्विक या आदर्श स्थिति यह है कि हृदय केन्‍द्र के जागृत Dialogue: 0,0:21:25.30,0:21:28.27,Default,,0000,0000,0000,,होने पर अपनी ऊर्जा की प्रक्रिया में लोगों को Dialogue: 0,0:21:28.27,0:21:35.27,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्‍ड की ऊर्जा का अनुभव हो जाता है । Dialogue: 0,0:21:44.50,0:21:46.90,Default,,0000,0000,0000,,जब आप स्‍वयं को इस प्रेम की अनुभूति करने देते हैं, Dialogue: 0,0:21:46.90,0:21:49.57,Default,,0000,0000,0000,,प्रेम अनुभव करने लगते हैं, Dialogue: 0,0:21:49.57,0:21:53.07,Default,,0000,0000,0000,,जब आप अपने आंतरिक संसार को बाहरी संसार से संबद्ध करते हैं, Dialogue: 0,0:21:53.07,0:21:56.67,Default,,0000,0000,0000,,तो सब एकाकार हो जाता है । Dialogue: 0,0:21:56.67,0:22:00.87,Default,,0000,0000,0000,,कोई तारों के संगीत का अनुभव कैसे करता है? Dialogue: 0,0:22:00.87,0:22:04.47,Default,,0000,0000,0000,,हृदय कैसे खुलता है ? Dialogue: 0,0:22:04.47,0:22:09.17,Default,,0000,0000,0000,,श्री रमण महर्षि ने कहा है “ईश्‍वर आपके भीतर है, Dialogue: 0,0:22:09.17,0:22:12.07,Default,,0000,0000,0000,,आपकी तरह है, Dialogue: 0,0:22:12.07,0:22:14.23,Default,,0000,0000,0000,,और ईश्‍वर अनुभूति या आत्‍मानुभूति Dialogue: 0,0:22:14.23,0:22:15.97,Default,,0000,0000,0000,,के लिए आपको कुछ नहीं करना है। Dialogue: 0,0:22:15.97,0:22:20.37,Default,,0000,0000,0000,,यह पहले ही आपकी वास्तविक और प्राकृतिक स्थिति है । Dialogue: 0,0:22:20.37,0:22:22.67,Default,,0000,0000,0000,,सभी प्रकार की अभिलाषाओं – Dialogue: 0,0:22:22.67,0:22:24.60,Default,,0000,0000,0000,,याचनाओं को त्‍याग दें, Dialogue: 0,0:22:24.60,0:22:28.03,Default,,0000,0000,0000,,अपना ध्‍यान भीतर मोड़ें और अपना मन `स्‍व` को समर्पित कर दें, Dialogue: 0,0:22:28.03,0:22:30.50,Default,,0000,0000,0000,,अपने ह्रदय में उतर जाएं । Dialogue: 0,0:22:30.50,0:22:35.00,Default,,0000,0000,0000,,इसे अपने वर्तमान का जीवंत अनुभव बनाने के लिए Dialogue: 0,0:22:35.00,0:22:42.00,Default,,0000,0000,0000,,आत्‍मान्‍वेषण एक प्रत्‍यक्ष तथा तात्‍कालिक मार्ग है ।” Dialogue: 0,0:22:48.50,0:22:52.03,Default,,0000,0000,0000,,जब आप ध्‍यानमग्न होते हैं और अपने भीतर, अपनी आंतरिक जीवंत संवेदनाएं देखते हैं, Dialogue: 0,0:22:52.03,0:22:58.13,Default,,0000,0000,0000,,तो वास्‍तव में आप अपना परिवर्तन देखते हैं । Dialogue: 0,0:22:58.13,0:23:01.37,Default,,0000,0000,0000,,परिवर्तन की यह शक्ति, ऊर्जा परिवर्तन के आकार में Dialogue: 0,0:23:01.37,0:23:03.80,Default,,0000,0000,0000,,उद्भूत होती है और आगे बढ़ती जाती है । Dialogue: 0,0:23:03.80,0:23:08.57,Default,,0000,0000,0000,,वह मात्रा, जिसमें व्‍यक्ति विकसित या जागृत हुआ है, Dialogue: 0,0:23:08.57,0:23:11.27,Default,,0000,0000,0000,,वह दशा है जिसमें व्‍यक्ति ने प्रत्‍येक क्षण Dialogue: 0,0:23:11.27,0:23:13.47,Default,,0000,0000,0000,,को अंगीकार करने के लिए क्षमता Dialogue: 0,0:23:13.47,0:23:16.27,Default,,0000,0000,0000,,अर्जित की है या परिस्थितियों, पीड़ा और Dialogue: 0,0:23:16.27,0:23:19.57,Default,,0000,0000,0000,,आनंद के सतत परिवर्तित मानवीय प्रवाह Dialogue: 0,0:23:19.57,0:23:26.57,Default,,0000,0000,0000,,को परमानंद में रूपांतरित कर दिया है । Dialogue: 0,0:23:29.03,0:23:32.77,Default,,0000,0000,0000,,`युद्ध और शांति` के लेखक लियो टॉल्‍स्‍टाय ने कहा है Dialogue: 0,0:23:32.77,0:23:36.50,Default,,0000,0000,0000,,“प्रत्‍येक व्‍यक्ति संसार को बदलने की सोचता है, Dialogue: 0,0:23:36.50,0:23:43.50,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन कोई भी व्‍यक्ति स्‍वयं को बदलने की नहीं सोचता ।” Dialogue: 0,0:23:45.40,0:23:47.73,Default,,0000,0000,0000,,डार्विन ने कहा है कि जीव के अस्तित्‍व के लिए Dialogue: 0,0:23:47.73,0:23:52.37,Default,,0000,0000,0000,,अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण विशेषता ताकत या बुद्धिमत्‍ता Dialogue: 0,0:23:52.37,0:23:59.37,Default,,0000,0000,0000,,की नहीं बल्कि परिवर्तन के अनुकूलन की है । Dialogue: 0,0:24:08.60,0:24:11.77,Default,,0000,0000,0000,,अंगीकार करने में कुशल हो जाना चाहिए । Dialogue: 0,0:24:11.77,0:24:15.33,Default,,0000,0000,0000,,यही बुद्ध की शिक्षा है “अणिका” – Dialogue: 0,0:24:15.33,0:24:19.77,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्‍येक वस्‍तु प्रकट और विलुप्‍त, Dialogue: 0,0:24:19.77,0:24:21.70,Default,,0000,0000,0000,,परिवर्तित हो रही है – Dialogue: 0,0:24:21.70,0:24:28.70,Default,,0000,0000,0000,,सतत परिवर्तन। पीड़ा इसलिए अस्तित्व में है क्योंकि हम विशिष्‍ट स्वरूप से मोहासक्‍त हो जाते हैं । Dialogue: 0,0:24:31.70,0:24:34.60,Default,,0000,0000,0000,,जब आप अणिका को समझते हुए स्वयं के प्रत्यक्षदर्शी अंश से जुड़ जाओगे, Dialogue: 0,0:24:34.60,0:24:41.60,Default,,0000,0000,0000,,तो ह्रदय में परमानंद उत्‍पन्‍न हो जाएगा । Dialogue: 0,0:25:12.93,0:25:19.93,Default,,0000,0000,0000,,पूरे इतिहास में संतों, महात्‍माओं और योगियों ने सर्वसम्‍मति से पवित्र Dialogue: 0,0:25:26.87,0:25:31.07,Default,,0000,0000,0000,,मिलन का वर्णन किया है जो ह्रदय में घटित होता है । Dialogue: 0,0:25:31.07,0:25:33.67,Default,,0000,0000,0000,,भले ही क्रॉस के सेंट जॉन का लेखन हो, Dialogue: 0,0:25:33.67,0:25:36.00,Default,,0000,0000,0000,,रूमी का काव्‍य हो Dialogue: 0,0:25:36.00,0:25:39.77,Default,,0000,0000,0000,,या भारत की तांत्रिक शिक्षाएं, Dialogue: 0,0:25:39.77,0:25:41.87,Default,,0000,0000,0000,,इन सभी भिन्‍न शिक्षाओं ने ह्रदय के सूक्ष्‍म रहस्‍य Dialogue: 0,0:25:41.87,0:25:47.13,Default,,0000,0000,0000,,को अभिव्‍यक्‍त करने का प्रयास किया है । Dialogue: 0,0:25:47.13,0:25:50.73,Default,,0000,0000,0000,,हृदय में शिव और शक्ति की संयुक्ति है । Dialogue: 0,0:25:50.73,0:25:54.57,Default,,0000,0000,0000,,पुरुषोचित प्रभाव जीवन के सर्पिल में उतरता है Dialogue: 0,0:25:54.57,0:25:59.23,Default,,0000,0000,0000,,और स्‍त्री-सुलभता परिवर्तन के प्रति समर्पण करती है । Dialogue: 0,0:25:59.23,0:26:00.07,Default,,0000,0000,0000,,इन सबका दर्शन Dialogue: 0,0:26:00.07,0:26:06.73,Default,,0000,0000,0000,,और बिना शर्त उनकी स्‍वीकृति । Dialogue: 0,0:26:06.73,0:26:08.13,Default,,0000,0000,0000,,अपना हृदय उद्घाटित करने के उपक्रम में Dialogue: 0,0:26:08.13,0:26:11.53,Default,,0000,0000,0000,,आपको परिवर्तन भी स्वीकार करना होगा। Dialogue: 0,0:26:11.53,0:26:14.23,Default,,0000,0000,0000,,इस ठोस प्रतीत होने वाले संसार में Dialogue: 0,0:26:14.23,0:26:15.53,Default,,0000,0000,0000,,रहने के लिए इसके साथ नृत्‍य करें, Dialogue: 0,0:26:15.53,0:26:17.17,Default,,0000,0000,0000,,इसमें शामिल हों, Dialogue: 0,0:26:17.17,0:26:18.43,Default,,0000,0000,0000,,पूर्ण रूप में जिएं, Dialogue: 0,0:26:18.43,0:26:20.50,Default,,0000,0000,0000,,पूर्णतः प्रेम करें, Dialogue: 0,0:26:20.50,0:26:23.30,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन यह भी जानें कि यह नश्‍वर है और अंततोगत्‍वा Dialogue: 0,0:26:23.30,0:26:30.00,Default,,0000,0000,0000,,सभी रूपाकार समाप्‍त या परिवर्तित हो जाते हैं । Dialogue: 0,0:26:30.00,0:26:33.80,Default,,0000,0000,0000,,परमानंद वह ऊर्जा है जो नीरवता के प्रति प्रतिक्रिया दर्शाती है । Dialogue: 0,0:26:33.80,0:26:37.60,Default,,0000,0000,0000,,यह चेतना से सभी विषय-वस्‍तुओं को हटाने से आती है । Dialogue: 0,0:26:37.60,0:26:42.03,Default,,0000,0000,0000,,नीरवता से उत्‍पन्‍न यह परमानंद ऊर्जा की विषयवस्‍तु ही चेतना है । Dialogue: 0,0:26:42.03,0:26:45.03,Default,,0000,0000,0000,,ह्रदय की नई चेतना । Dialogue: 0,0:26:45.03,0:26:48.70,Default,,0000,0000,0000,,चेतना जो सभी प्राणियों से संबद्ध है\N�