मैं कभी उस अनुभूति को भूल नहीं पाऊँगी जो मुझे तब हुई जब समुद्र पहली बार देखा और नाव पर पहली बार पाँव रखा। और उस चार साल की बच्ची के लिए, वह उस स्वतन्त्रता की महानतम भावना थी जिसकी कल्पना कर सकती थी। उसी उम्र से, मुझे लगा, मैं किसी प्रकार, सागर में नाव से दुनिया का चक्कर लगाना चाहूंगी। जब आप उन यात्राओं पर जाते हैं, आपको पता होता है कि आप जीवित रहने के लिए सब कुछ ले कर जाते हैं। आपके पास जो होता है बस वही होता है। आपको डीज़ल की आखिरी बूंद और खाने के अंतिम पैकेट तक से काम चलाना होता है। यह बिलकुल अनिवार्य है वरना आप कर ही नहीं पाएंगे। और फिर एकाएक एहसास हुआ, "फिर हमारी दुनिया इससे फ़र्क क्यों है? पता है न, हमारे पास सीमित संसाधन हैं, जो हमें मानवता के इतिहास में केवल एक बार उपलब्ध होते हैं। जैसे कि धातुएँ, प्लास्टिक, फ़र्टिलाइजर्स।