0:00:01.218,0:00:05.738 मैं वह अनुभूति कभी नहीं भूलूंगी जो[br]मुझे तब हुई थी जब मैंने पहली बार 0:00:05.738,0:00:07.923 समुद्र देखा और नाव पर कदम रखा। 0:00:07.923,0:00:09.829 एक चार साल की बच्ची के लिए, 0:00:09.829,0:00:12.781 यह स्वतन्त्रता की महानतम एहसास था[br]जिसकी कल्पना मैंने कभी की थी। 0:00:13.774,0:00:15.698 पता है उसी उम्र से, मुझे लगा, 0:00:15.698,0:00:19.257 मैं किसी तरह एक दिन विश्‍व भर की[br]समुद्री सैर करना चाहती हूं। 0:00:27.524,0:00:29.196 जब आप उन यात्राओं पर निकलते हैं, 0:00:29.196,0:00:32.615 तो स्‍वयं को जीवित रखने के लिए आवश्‍यक[br]सब कुछ साथ ले कर जाते हैं। 0:00:32.795,0:00:34.960 आपके पास जो कुछ है बस वही सब कुछ होता है। 0:00:34.960,0:00:36.666 जो कुछ है उसी से काम चलाना पड़ता है 0:00:36.666,0:00:39.339 डीज़ल की आखिरी बूंद, खाने का अंतिम पैकेट। 0:00:39.339,0:00:41.677 यह बिलकुल अनिवार्य है अन्‍यथा[br]आप नहीं बचेंगे। 0:00:41.757,0:00:44.704 और मुझे एकाएक एहसास हुआ, [br]"पर हमारी दुनिया अलग क्यों है?" 0:00:44.704,0:00:46.732 पता है, हमारे पास सीमित संसाधन हैं, 0:00:46.732,0:00:49.447 जो मानवता के इतिहास में हमें [br]केवल एक बार उपलब्ध होते हैं। 0:00:49.785,0:00:52.565 जैसे धातुएँ, प्लास्टिक, उर्वरक। 0:00:52.565,0:00:55.852 हम जमीन खोद कर इन्‍हें निकाल रहे हैं और[br]काम में लेकर खत्‍म कर रहे हैं। 0:00:56.347,0:00:58.366 इससे लंबे समय तक कैसे काम चलेगा? 0:00:59.154,0:01:02.206 इन संसाधनों के वैश्‍विक उपयोग का[br]कोई दूसरा तरीका अवश्‍य रहा होगा 0:01:02.206,0:01:04.368 जिसने इन्‍हें काम में लेने के बाद भी[br]बचाए रखा। 0:01:04.368,0:01:05.945 मेरे मन में यही प्रश्‍न था, 0:01:05.945,0:01:07.992 और मुझे वहाँ तक पहुँचने में बहुत समय लगा 0:01:07.992,0:01:10.899 जहां मुझे लगा कि अर्थव्यवस्था एक अलग [br]तरीके से भी चल सकती है, 0:01:10.899,0:01:13.632 हम दूसरे तरीके से सामान, सामग्री का[br]उपयोग कर सकते हैं, 0:01:13.867,0:01:15.795 और वह तरीका है चक्रीय अर्थव्यवस्था। 0:01:19.539,0:01:23.068 आजकल अर्थव्यवस्था मुख्‍यत: बहुत निष्कर्षी[br]ढंग से काम करती है। 0:01:23.068,0:01:24.069 वह रेखीय है। 0:01:24.069,0:01:27.116 हम जमीन खोदकर कुछ निकालते हैं,[br]उससे कुछ बनाते हैं, 0:01:27.116,0:01:29.971 और उस उत्पाद के बेकार होने पर[br]उसे फेंक देते हैं। 0:01:30.240,0:01:31.746 आप उस यंत्र में सामान लगाने में 0:01:31.746,0:01:33.927 चाहे जितने भी निपुण हों, 0:01:33.927,0:01:35.332 चाहे आप थोड़ी कम ऊर्जा 0:01:35.332,0:01:38.232 या सामग्री का उपयोग करके उस[br]उत्पाद को बनाते हों, 0:01:38.232,0:01:40.188 तब भी अंतत: वह खत्‍म हो जाएगी। 0:01:40.460,0:01:43.190 इसके उलट एक चक्रीय मॉडल को देखें तो, 0:01:43.190,0:01:45.100 एक उत्पाद को बनाते समय, 0:01:45.100,0:01:49.088 आप जमीन खोद कर कुछ निकालते हैं या मिसाली [br]तौर पर पुन: चक्रित सामग्री लेते हैं, 0:01:49.088,0:01:50.563 आप उसे उत्पाद में डालते हैं, 0:01:50.563,0:01:51.852 किंतु उत्‍पाद ऐसे बनाते हैं 0:01:51.852,0:01:55.358 ताकि शुरू से ही उत्पाद से वह सामग्री[br]वापस निकाल सकें। 0:01:55.500,0:01:57.577 आप अपशिष्ट और प्रदूषण को[br]बाहर रखते हैं। 0:01:57.577,0:02:00.671 आप सीमित संसाधनों वाले संसार में[br]आप कुछ बनाएँगे ही क्यों? 0:02:00.671,0:02:02.500 यह बनावट संक्षेप की बात है। 0:02:03.228,0:02:05.120 आज यदि आप कपड़े धोने की मशीन[br]ख़रीदते हैं, 0:02:05.120,0:02:08.411 उसे ख़रीदते समय आप कर देते हैं, उसके [br]अंदर की हर वस्‍तु आपकी होती है, 0:02:08.411,0:02:10.917 और जब वह खराब हो जाती है, [br]जो कि निश्‍चित है, 0:02:10.917,0:02:13.292 आप दोबारा कर देते हैं, भराव क्षेत्र कर। 0:02:13.292,0:02:15.232 चक्रीय प्रणाली में यह सब बदल जाता है। 0:02:15.232,0:02:17.648 मशीन आपकी नहीं होती, आप हर धुलाई [br]का दाम देते हैं, 0:02:17.698,0:02:20.317 मशीन निर्माता उसकी देखभाल करता है, 0:02:20.317,0:02:21.520 और वे सुनिश्चित करते हैं 0:02:21.520,0:02:23.624 कि एक बार जब वह मशीन काम करना बंद कर दे, 0:02:23.624,0:02:25.858 तो वे उसे रख लें, वे जानते हैं[br]कि उसमें क्या है, 0:02:25.858,0:02:27.861 और वे उसमें से वह सामान निकाल सकते हैं। 0:02:27.861,0:02:30.053 तो चक्रीय प्रणाली बनावट से चलती है। 0:02:30.053,0:02:32.767 हमने सम्बद्ध आंकड़ों का विस्‍तृत [br]अध्ययन किया है, 0:02:32.767,0:02:34.018 अर्थात् अर्थशास्त्र, 0:02:34.018,0:02:35.246 और यह बहुत सस्ता है। 0:02:35.246,0:02:39.683 प्रति धुलाई 27 यू एस सेंट्स के बजाय [br]12 यू एस सेंट्स होते हैं 0:02:39.683,0:02:41.420 चक्रीय मशीन लेने पर। 0:02:42.595,0:02:44.773 हम एक ऐसी प्रणाली में रहेंगे[br]जो काम करती है। 0:02:44.773,0:02:47.163 हम अपशिष्ट उत्‍पन्‍न नहीं करेंगे। 0:02:47.163,0:02:48.637 हमें बेहतर सेवा मिलेगी। 0:02:48.637,0:02:51.114 हमारी पहुँच बेहतर तकनीक तक होगी। 0:02:51.114,0:02:52.638 अभी तक हमने जो अध्ययन किए हैं, 0:02:52.638,0:02:55.453 चूंकि वे निर्माता उन सभी सामग्रियों को[br]नहीं खरीद रहे हैं, 0:02:55.453,0:02:56.474 उन्‍हें बेचने से, 0:02:56.474,0:02:57.806 हमें बेहतर मूल्‍य मिलेगा, 0:02:57.806,0:03:00.601 क्योंकि उन्हें गारंटी मिलेगी कि उनका सामान 0:03:00.601,0:03:02.057 वापस प्रणाली में ही पहुंचेगा। 0:03:06.836,0:03:07.942 मैं बहुत आशावादी हूँ 0:03:07.942,0:03:09.672 क्योंकि जब आप आंकड़ों को देखते हैं, 0:03:09.672,0:03:11.722 जब आप इसके पीछे के अर्थशास्त्र[br]को देखते हैं, 0:03:11.722,0:03:14.325 तो चक्रीय अर्थव्यवस्था में बदलना[br]समझ आता है। 0:03:14.325,0:03:17.658 रेखीय अर्थव्यवस्था की तुलना में चक्रीय[br]अर्थव्यवस्था का अधिक मूल्य है। 0:03:17.658,0:03:20.801 बड़े संगठन को इस तरह के बदलाव में [br]निस्‍संदेह कुछ कीमत चुकानी होगी , 0:03:20.801,0:03:22.981 किंतु आपको स्‍वयं से एक सवाल करना चाहिए: 0:03:22.981,0:03:24.470 रेखीय में क्या जोखिम है? 0:03:24.470,0:03:26.248 मेरे अनुसार इसमें दिमाग नहीं लगता है। 0:03:26.248,0:03:27.521 रेखीय में बड़ा जोखिम है। 0:03:27.777,0:03:31.636 विशुद्ध अर्थव्यवस्था के आधार पर [br]यह भविष्य हो ही नहीं सकता। 0:03:31.636,0:03:33.587 तो, दरअसल, आप अपना समय कहाँ लगाएंगे? 0:03:33.587,0:03:34.968 आप अपने प्रयास कहाँ लगाएंगे? 0:03:34.968,0:03:37.183 पता करते हैं चक्रीय वास्‍तव में[br]दिखती कैसी है 0:03:37.183,0:03:40.673 और उस चक्रीय फुलकारी को जितना हो सके[br]उतने अच्‍छे से रंगने का प्रयास करें। 0:03:41.063,0:03:43.312 उपशीर्षक: रवि श्रीवास्‍तव[br]समीक्षा:अजय सिंह रावत