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देखिये : किशोर बताता है कि उसने माँ के टीकाकरण विरोधी विचारों का विरोध क्यों किया

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    आज बोलने का अवसर प्रदना करने के लिए
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    धन्यवाद चेयरमैन एलेक्ज़ेंडर, सीनेटर मरे,
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    तथा सम्मानीय कमेटी सदस्यगण।
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    सभी को, गुड मॉर्निंग।
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    जैसा मैंने बताया मेरा नाम
    एथन लिंडेनबर्गर है,
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    और मैं नॉरवॉक हाई स्कूल में सीनियर हूँ,
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    तथा मेरी माँ वैक्स-विरोधी एडवोकेट हैं
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    जिन्हें विश्वास है वैक्सीनों से
    ऑटिज़्म, ब्रेन डैमेज होता है,
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    और समाज के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा को
    लाभ नहीं करती हैं
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    बावजूद इसके कि ऐसे विचारों को
    वैज्ञानिक समुदाय द्वारा
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    अनेक बार धूल में मिलाया गया है।
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    मैं अपने पूरे जीवन मीज़ल्स, चिकनपॉक्स
    यहाँ तक कि
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    पोलियो जैसी बीमारियों की
    वैक्सीन के बिना रहा।
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    मगर, दिसंबर 2018 से,
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    अपनी माँ की स्वीकृति के बिना मैंने अपनी
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    छूटी वैक्सीनों को लेना शुरू कर दिया,
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    जिससे अंततः उस कहानी पर पहुंचा
    और आज यहाँ बोलने में सक्षम हूँ,
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    और जिसके लिए मुझे खुशी है,
    इसलिए, धन्यवाद।
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    अब, समझने के लिए कि यहाँ क्यों आया हूँ
    और सचमुच क्या बोलना चाहता हूँ,
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    अपने घरेलू जीवन तथा अपने
    लालन पालन संबंधी विवरण साझा करना है।
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    अपनी माँ के विश्वास
    कि वैक्सीनें खतरनाक हैं
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    समझता हुआ बड़ा हुआ,
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    और वे अपने ये विचार
    खुल कर व्यक्त करती थीं।
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    ऑनलाइन तथा आमने सामने,
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    वे अपनी चिंताएँ व्यक्त करतीं,
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    और इन विचारों की कड़ी आलोचना होती थी।
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    जीवन के दौरान उन प्रतिक्रियाओं के कारण
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    जो माँ को मिलती थी,
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    संदेह के बीज बोये गए,
    और प्रश्न उत्पन्न हुये।
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    मगर अंततः उनका कोई परिणाम नहीं निकाला।
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    अब, यह समझना आवश्यक है
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    कि जब मैं हाई स्कूल में पहुंचा
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    और अपने संबंध में गंभीरता से सोचने लगा,
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    मैंने देखा कि जानकारी
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    वैक्सीनों के पक्ष में कहीं अधिक थी।
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    अपने स्कूल में
    डिबेटों का नेतृत्व करने लगा
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    और सर्वोपरि सत्य की खोज करने लगा,
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    और मैंने डिबेटों में और आम तौर से
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    बातचीत में एक विशेष गुण देखा
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    वह यह कि जब चर्चा
    विवादास्पद विषयों पर हो
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    तब होता यह है कि चर्चा के
    सदैव दो पक्ष होते हैं।
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    हमेशा एक प्रतिदावा या खंडन होता है
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    और डिबेट के संदर्भ में सदैव ही
    वापस जवाब देने के लिए कुछ न कुछ।
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    हालांकि ऐसा सभी अर्थों में सच लग सकता है,
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    वैक्सीन डिबेट में यह सच नहीं है,
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    और इस चिंता के साथ मैंने अपनी माँ से कहा
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    कि वे ग़लत हैं।
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    मैंने अपनी माँ से अनेक बार कहा
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    यह बताने की कोशिश करते हुये कि वैक्सीनें
    सुरक्षित हैं और मुझे वैक्सीन लगनी चाहिए।
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    सीडीसी के लेखों को दिखाते हुये भी कहा
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    कि वे विचार ग़लत हैं कि वैक्सीनों के कारण
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    ऑटिज़्म या बेहद खतरनाक
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    परिणाम होते हैं।
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    एक बार जब मैंने अपनी माँ से
    सीडीसी की
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    उस जानकारी के साथबात की
    कि वैक्सीनों से ऑटिज़्म नहीं होता है,
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    उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं
    कि तुम ऐसा ही सोचो।
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    जानकारी के संदर्भ में संदेह और चिंता
    आगे का स्थान ले रहे थे।
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    इस तरह की बातचीत से
    यह तो पुष्टि हो रही थी
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    कि वैक्सीनों के पक्ष में सबूत
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    कम से कम उपाख्यान के रूप में,
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    गहरी जड़ों वाली उस ग़लत जानकारी से
    कहीं अधिक थी,
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    जिससे माँ का सामना था,
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    और आज मैं उसी पर फ़ोकस करना चाहता हूँ।
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    रोके जा सकने वाले रोगों से मुक़ाबले में,
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    मेरे विचार से, जानकारी ही
    सबसे आगे रहती है।
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    मेरी माँ अपने सबूत और बचाव की तलाश में
    स्वास्थ्य अधिकारियों
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    और विश्वसनीय स्रोतों के बजाय
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    ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर
    टीकाकरण विरोधी समूहों को देखेंगी।
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Title:
देखिये : किशोर बताता है कि उसने माँ के टीकाकरण विरोधी विचारों का विरोध क्यों किया
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English
Team:
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COVID-19 Pandemic
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