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डेम एलेन मैकआर्थर बेहतर दुनिया के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था संबंधी अपना दृष्टिकोण साझा करती हुई

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    मैं वह अनुभूति कभी नहीं भूलूंगी जो
    मुझे तब हुई थी जब मैंने पहली बार
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    समुद्र देखा और नाव पर कदम रखा।
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    एक चार साल की बच्ची के लिए,
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    यह स्वतन्त्रता की महानतम एहसास था
    जिसकी कल्पना मैंने कभी की थी।
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    पता है उसी उम्र से, मुझे लगा,
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    मैं किसी तरह एक दिन विश्‍व भर की
    समुद्री सैर करना चाहती हूं।
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    जब आप उन यात्राओं पर निकलते हैं,
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    तो स्‍वयं को जीवित रखने के लिए आवश्‍यक
    सब कुछ साथ ले कर जाते हैं।
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    आपके पास जो कुछ होता है
    बस वही सब कुछ होता है।
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    जो कुछ है उसी से काम चलाना पड़ता है
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    डीज़ल की आखिरी बूंद, खाने का अंतिम पैकेट।
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    यह बिलकुल अनिवार्य है अन्‍यथा
    आप बच नहीं पाएंगे।
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    और मुझे एकाएक एहसास हुआ,
    "पर हमारी दुनिया भिन्‍न क्यों है?"
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    पता है, हमारे पास सीमित संसाधन हैं,
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    जो मानवता के इतिहास में हमें
    केवल एक बार उपलब्ध होते हैं।
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    जैसे कि धातुएँ, प्लास्टिक, उर्वरक।
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    हम इन सबको खोद कर निकाल रहे हैं और
    इस्तेमाल कर रहे हैं।
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    इससे लंबे समय तक कैसे काम चलेगा?
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    इन संसाधनों के वैश्‍विक उपयोग का
    कोई दूसरा तरीका अवश्‍य रहा होगा
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    जिससे इन्‍हें इस्तेमाल तो किया गया किंतु
    ख़त्म नहीं होने दिया गया।
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    मेरे मन में यही प्रश्‍न था,
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    और मुझे वहाँ तक पहुँचने में बहुत समय लगा
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    जहां मुझे समझ आया कि अर्थव्यवस्था
    चलाने का एक अलग तरीका भी है,
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    सामान, सामग्री का उपयोग हम
    दूसरे तरीके से कर सकते हैं,
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    और वह है चक्रीय अर्थव्यवस्था।
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    आजकल अर्थव्यवस्था मुख्‍यत: बहुत निष्कर्षी
    ढंग से काम करती है।
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    वह रेखीय है।
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    हम भूमि खोदकर कोई वस्‍तु निकालते हैं,
    उससे कोई और वस्‍तु बनाते हैं,
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    और उस उत्पाद के जीवन के अंत में,
    हम उसे फेंक देते हैं।
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    आप उस प्रणाली में सामग्री डालने में
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    चाहे जितने भी निपुण हों,
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    चाहे आप थोड़ी कम ऊर्जा
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    या सामग्री का उपयोग कर
    उत्पाद का निर्माण करते हो,
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    तब भी अंतत: वह समाप्त हो जाएगी।
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    यदि आप इसे उलट दें और
    एक चक्रीय मॉडल को देखें,
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    जहां उत्पाद की अभिकल्‍पना करते समय,
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    आप भूमि खोद कर कुछ निकालते हैं या
    आदर्श रूप से, पुन: चक्रित सामग्री लेते हैं,
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    जिसे आप उत्पाद में डालते हैं,
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    किंतु उत्‍पादों का प्रारूप ऐसे बनाते हैं
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    ताकि शुरू से ही प्रारूप द्वारा उत्पाद से
    सामग्री वापस निकाल सकें।
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    आप अपशिष्ट और प्रदूषण को
    प्रारूप से बाहर रखते हैं।
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    आप सीमित संसाधनों के संसार में
    आप कुछ भी बनाएँगे ही क्यों?
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    यह संक्षिप्‍त प्रारूप की बात है।
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    आज यदि आप कपड़े धोने की मशीन
    ख़रीदते हैं,
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    उसे ख़रीदने पर आप कर देते हैं, उसके
    अंदर की हर वस्‍तु आपकी हो जाती है,
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    और जब वह खराब हो जाती है,
    जो कि उसे होना ही है,
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    आप दोबारा कर देते हैं, भराव क्षेत्र कर।
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    चक्रीय प्रणाली में यह सब बदल जाता है।
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    आप मशीन के स्वामी नहीं बनते,
    हर धुलाई का दाम देते हैं,
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    मशीन निर्माता द्वारा उसकी
    बेहतर देखभाल होगी,
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    और वे सुनिश्चित करेंगे
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    कि जब मशीन काम करना बंद कर दे,
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    वे उसे वापस लें, उन्‍हें पता है
    कि उसमें क्या है,
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    और वे उसमें से वह सामान निकाल सकते हैं।
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    तो चक्रीय प्रणाली प्रारूप से चलती है।
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    हमने सम्बद्ध आंकड़ों का विस्‍तृत
    अध्ययन किया है,
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    अर्थात् अर्थशास्त्र,
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    और यह बहुत सस्ता है।
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    प्रति धुलाई 27 यूएस सेंट्स के बजाय
    12 यूएस सेंट्स होते हैं
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    चक्रीय मशीन लेने पर।
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    हम एक ऐसी प्रणाली में रहेंगे
    जो काम करती है।
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    हम अपशिष्ट उत्‍पन्‍न नहीं करेंगे।
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    हमें बेहतर सेवा मिलेगी।
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    हमारी पहुँच बेहतर तकनीक तक होगी।
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    अभी तक हमने जो अध्ययन किए हैं,
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    चूंकि वे निर्माता उन सभी वस्‍तुओं को
    खरीद नहीं रहे हैं,
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    उन्‍हें बेचने से,
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    हमें सामान बेहतर मूल्‍य पर मिलेगा,
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    क्योंकि उन्हें गारंटी मिलेगी कि उनका सामान
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    वापस प्रणाली में ही पहुंचेगा।
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    मैं बहुत आशावादी हूँ
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    क्योंकि जब आप आंकड़ों को देखेंगे,
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    जब आप इसके पीछे के अर्थशास्त्र
    को देखते हैं,
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    तो चक्रीय अर्थव्यवस्था में जाना
    समझ आता है।
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    रेखीय अर्थव्यवस्था की तुलना में चक्रीय
    अर्थव्यवस्था में अधिक मूल्य है।
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    बड़े संस्थानों के लिए इस तरह के बदलाव में
    बेशक कुछ कीमत देनी होगी,
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    किंतु आपको स्‍वयं से एक प्रश्‍न करना चाहिए:
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    रेखीय अर्थव्‍यवस्‍था में क्या जोखिम है?
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    क्योंकि मेरे अनुसार, इसमें दिमाग
    लगाने की जरूरत नहीं है।
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    रेखीय अर्थव्‍यवस्‍था में बड़ा जोखिम है।
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    सरल अर्थव्यवस्था पर आधारित
    भविष्य तो हो ही नहीं सकता।
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    तो, दरअसल, आप अपना समय कहाँ लगाएंगे?
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    आप अपने प्रयास कहाँ लगाएंगे?
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    चलिये देखते हैं कि चक्रीय दिखती कैसी है
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    और उस चक्रीय चित्रयवनिका को यथासंभव
    अच्‍छे से रंगने का प्रयास करें।
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    उपशीर्षक: रवि श्रीवास्‍तव
    समीक्षा:अजय सिंह रावत
Title:
डेम एलेन मैकआर्थर बेहतर दुनिया के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था संबंधी अपना दृष्टिकोण साझा करती हुई
Description:

विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली नाविक डेम एलेन मैकआर्थर ने सुदूर समुद्रों पर काफी समय बिताया है। वे बताती हैं कि कैसे उनके इन अनुभवों ने हमारे ग्रह पर सीमित संसाधनों का प्रबंधन करने के तरीके के बारे में एक विचार को जन्म दिया। सुनिए कि एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के संबंध में वे आशावादी क्यों है, एक ऐसी प्रणाली जहां हम अपशिष्ट और प्रदूषण को नाटकीय रूप से कम करते हैं।

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Video Language:
English
Team:
Amplifying Voices
Project:
Environment and Climate Change
Duration:
04:03

Hindi subtitles

Incomplete

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