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  • 1:28 - 1:31
    कृप्या, मुझे सुने
  • 1:31 - 1:35
    आप मेरी ही तरह, आदमी है
  • 1:35 - 1:37
    एक बुद्धिमान आदमी
  • 1:37 - 1:38
    जीवन,
  • 1:39 - 1:43
    अन्तरिक्ष मे एक चमत्कार, जो तकरीबन ४०० करोड साल पहले हुआ था
  • 1:43 - 1:48
    और हम आदमी महज २ लाख साल पहले आये
  • 1:48 - 1:53
    फिर भी हम जीवन के लिये आवश्यक सन्तुलन को तबाह करने मे कामयाब हो गये
  • 1:53 - 1:57
    ध्यान से सुनिये इस अदभुत कहानी को, जो आपकी है
  • 1:58 - 2:01
    और निर्णय लिजिये, कि क्या करना चहाते है आप इसके साथ
  • 2:19 - 2:22
    ये हमारे जीवन के चिन्ह है
  • 2:22 - 2:26
    शुरुवात मे, हमारा ग्रह (पृथ्वी) आग के गोले के सिवा कुछ नही था
  • 2:26 - 2:29
    चिपके हुए धूल कणो का बादल,
  • 2:29 - 2:33
    जैसे ब्रह्माण के और बहुत सारे धूल के बादलो के समान
  • 2:33 - 2:37
    फिर भी यही, जीवन का चम्तकार हुआ
  • 3:25 - 3:28
    आज, जीवन, हमारा जीवन,
  • 3:28 - 3:31
    सिर्फ़ एक कडी अनगिणत जीवो कि श्रंख्ला मे
  • 3:31 - 3:36
    जो बढती चली गइ एक से दुसरे पर धरती पर तकरीबन ४०० करोड साल से
  • 3:40 - 3:42
    और आज भी,
  • 3:42 - 3:45
    नये ज्वालामुखी हमारे भूमी को बनाते रहते है
  • 3:46 - 3:49
    वे, पृथ्वी कि शैश्व अवस्था जैसी परीस्थितियो का एहसास देता है
  • 3:49 - 3:52
    पिघली चट्टाने गहराई से बहार निकलती है
  • 3:52 - 3:58
    ठोस होती, चटखती, फ़ुङ्करती, और पतली पर्त बनती
  • 3:58 - 4:00
    शान्त होने से पहले
  • 4:13 - 4:17
    ये धुये की घूमती हुइ शीराये धरती मे से निकलती है
  • 4:17 - 4:21
    ये धरती के वास्तविक वातावरण की गवाह है
  • 4:21 - 4:24
    प्राण वायु से रहित वातावरण
  • 4:24 - 4:27
    एक भारी वातावरण, वाष्प से भरा
  • 4:27 - 4:30
    कार्बन डाइऑक्साइड से भरा|
  • 4:31 - 4:32
    एक भट्टी|
  • 4:42 - 4:44
    पृथ्वी ठंडी हुई|
  • 4:44 - 4:49
    वाष्प संघनित हुई और भारी बारिश के रूप में बरस गई|
  • 4:49 - 4:53
    सूर्य से सही दुरी पर, ना ज्यादा दूर, ना ज्यादा पास,
  • 4:54 - 4:57
    पृथ्वी के उत्तम संतुलन ने इसे पानी को संरक्षित करने योग्य बनाया
  • 4:58 - 5:00
    तरल रूप में|
  • 5:00 - 5:02
    पानी ने काट कर नहरे बनाई|
  • 5:02 - 5:06
    ये शारीर की नाड़ियो जैसी है, पेड़ो की शाखाओ जैसी है,
  • 5:06 - 5:10
    रस के कुण्ड जो पानी ने पृथ्वी को दिए,
  • 5:22 - 5:28
    नदियों ने चट्टानों को तोड़ कर खनिज निकाले, और समुन्द्र के साफ़ पानी में मिला दिया|
  • 5:28 - 5:32
    और समुद्र नमक से भारी हो गए|
  • 5:50 - 5:52
    हम कहा से आये है?
  • 5:52 - 5:55
    जीवन की चिंगारी पहले कहा फूटी?
  • 5:57 - 5:58
    समय का चमत्कार,
  • 5:59 - 6:03
    प्रारम्भिक जीवन रूप, पृथ्वी के गर्म पानी के स्रोतों के पास आज भी कायम है|
  • 6:03 - 6:07
    ये उन्हें अपना रंग देते है| ये आर्कियोबक्टेरिया कहलाते है|
  • 6:16 - 6:18
    ये पृथ्वी की साड़ी ऊष्मा सोख लेते है|
  • 6:19 - 6:21
    सभी सिवाए सायनोबक्टेरिया के,
  • 6:21 - 6:24
    या नीली-हरी काई के|
  • 6:24 - 6:27
    ये अकेले सूर्य की उर्जा को सहेज ने की क्षमता रखती है|
  • 6:27 - 6:29
    ये अकेले सूर्य की उर्जा को सहेज ने की क्षमता रखती है|
  • 6:30 - 6:36
    ये महत्वपूर्ण पूर्वज है, कल के और आज के सभी पेड़-पौधों की प्रजातियों के|
  • 6:37 - 6:41
    सूक्ष्म बेक्टेरिया और उनके खरबों वंशजो ने
  • 6:41 - 6:45
    हमारे ग्रह की किस्मत बदल दी|
  • 6:45 - 6:49
    इन्होने इसका वातावरण बदल दिया|
  • 6:53 - 6:57
    उस कार्बन का क्या हुआ जिसने वातावरण में जहर घोल रखा था?
  • 6:58 - 7:02
    ये अब भी यही है, पृथ्वी की सतह के नीचे दबा हुआ|
  • 7:05 - 7:09
    यहाँ कभी समुद्र था, सूक्ष्म जीवो का घरोंदा
  • 7:09 - 7:13
    इन जीवो ने शैवाल बनाए, और उसमे वातावरण के कार्बन को कैद कर दिया|
  • 7:13 - 7:16
    जो अब महासागरो में घुल गया है|
  • 7:16 - 7:19
    ये सतहे शैवालो के इकठ्ठे होने से बनी
  • 7:19 - 7:23
    जो उन अरबो-खरबों सूक्ष्म जीवो ने बनाई थी|
  • 7:29 - 7:33
    ये उन्ही का कमाल है की वातावरण से कार्बन की मात्र बहुत कम हो गयी
  • 7:33 - 7:35
    और जीवन के दूसरे रूप पनपने लगे|
  • 7:39 - 7:42
    यह जीवन है, जिसने वातावरण को बदल दिया|
  • 7:44 - 7:47
    वनस्पतियों ने सौर ऊर्जा का संग्रहण किया
  • 7:47 - 7:52
    और इसने पानी के अणु को तोड़ कर ऑक्सीजन का अणु निकाल लिया
  • 7:52 - 7:56
    और ऑक्सीजन हवा में भर गयी|
  • 7:56 - 8:00
    धरती का पंचक्र सतत नवीनीकरण की प्रक्रिया है|
  • 8:01 - 8:04
    झरने, भाप,
  • 8:04 - 8:06
    बादल, बारिश,
  • 8:06 - 8:09
    नाले, नदिया
  • 8:09 - 8:13
    सागर, महासागर, हिमकुंड...
  • 8:13 - 8:15
    यह चक्र कभी नहीं टूटा|
  • 8:15 - 8:18
    पृथ्वी पर हमेशा पानी की मात्र सामान रही है
  • 8:19 - 8:24
    पृथ्वी पर पले बढे सभी जीवो ने वही पानी पिया है|
  • 8:25 - 8:28
    अविश्वसनीय मुद्दा जो की पानी है, सभी में
  • 8:28 - 8:30
    एक बेहद अस्थिर
  • 8:30 - 8:33
    तरल रूप में बहता पानी,
  • 8:33 - 8:37
    गैसीय रूप में भाप, या ठोस में बर्फ़|
  • 8:40 - 8:44
    साइबेरिया में, ठण्ड से जमी झीलों की सतहे
  • 8:45 - 8:49
    उन ताकतों को सहेज लेती है जो पानी, बर्फ़ बनते समय व्यवस्थित कर देता है|
  • 8:49 - 8:51
    पानी से हलकी, बर्फ़ तैरती है|
  • 8:51 - 8:54
    यह ठण्ड से बचने के लिए सुरक्षा कवच बन जाती है,
  • 8:55 - 8:57
    जिसके नीचे जीवन गतिमान रहता है|
  • 9:33 - 9:36
    जुड़ाव जीवन का प्रेरणा स्रोत है|
  • 9:36 - 9:38
    सब कुछ जुडा हुआ है|
  • 9:39 - 9:41
    कुछ भी आत्म निर्भर नहीं|
  • 9:41 - 9:43
    हवा और पानी अविभाज्य है,
  • 9:43 - 9:48
    गुथे हुए है, जीवन से और पृथ्वी पर हमारे जीवन के लिए|
  • 9:48 - 9:50
    सहभागिता ही सबकुछ है|
  • 10:09 - 10:14
    बादलो से दिखने वाली हरयाली का विस्तार ही हवा में ऑक्सीजन का स्रोत है|
  • 10:14 - 10:17
    इस हवा का 70 फीसदी,
  • 10:17 - 10:20
    जिसके बिना हमारे फेफड़े काम नहीं कर सकते,
  • 10:20 - 10:24
    काई से आता है, जो महासागरो की सतह को रंग देती है|
  • 10:26 - 10:29
    हमारी पृथ्वी संतुलन पर आधारित है,
  • 10:29 - 10:32
    जिसमे हर प्राणी की अपनी भूमिका है
  • 10:32 - 10:35
    और उसका होना दूसरे के होने पर निर्भर है|
  • 10:36 - 10:41
    एक सूक्ष्म, नाजुक सद्भाव जो की आसानी से बिखर सकता है|
  • 10:48 - 10:53
    इस तरह, कोरल काई और सीपो के मेल से बनते है|
  • 10:53 - 10:57
    यद्यपि कोरल रीफ 1% से भी कम महासागरो का तल घेरते है,
  • 10:57 - 11:03
    तब भी वे मछलियो, घोंघो और शैवालो की कई प्राजातियो को घर देती है|
  • 11:03 - 11:07
    प्रत्येक महासागर का संतुलन इन्ही पर निर्भर करता है|
  • 11:18 - 11:22
    धरती, समय को करोडो वर्षो में मापती है|
  • 11:22 - 11:27
    इसको को पेड़ बनाने में 4 अरब साल लग गए|
  • 11:30 - 11:34
    प्रजातियों की श्रंखला में वृक्ष शीर्ष पर है,
  • 11:34 - 11:37
    एक सटीक, जीवित मूर्ति|
  • 11:37 - 11:39
    पेड़ गुरुत्व को चुनौती देते है,
  • 11:39 - 11:45
    ये एक मात्र प्रकृति की संरचना है, जिनकी स्वाभाविक गति आकाश की तरफ होती है|
  • 11:45 - 11:50
    ये धर्यपूर्वक सूर्य की तरफ उठते है, और अपनी पत्तियों का पोषण करते है|
  • 12:03 - 12:07
    ये इन्होने क्यानोबक्टेरिया से विरासत में पाया है
  • 12:07 - 12:10
    सूर्य की रौशनी को सहेजना|
  • 12:10 - 12:13
    ये इसे सहेजते है और इस पर अपना जीवन चलाते है,
  • 12:14 - 12:16
    इसे लकड़ी और पत्तो में बदल देते है
  • 12:16 - 12:20
    जो फिर पानी, खनिज
  • 12:21 - 12:24
    वनस्पति और जीवित पदार्थ के साथ गुल जाता है|
  • 12:27 - 12:29
    और इस तरह,
  • 12:29 - 12:30
    धीमे धीमे,
  • 12:30 - 12:32
    मिट्टी का निर्माण होता है|
  • 12:44 - 12:48
    मिट्टी, सूक्ष्म जीवो की अनवरत क्रियाओ, खाना
  • 12:48 - 12:53
    खोदना, वायु मिश्रण और मिट्टी की उलट पलट करने से, नवनिर्मित होती है|
  • 12:53 - 12:58
    ये मृदा का निर्माता है, मिट्टी का वह उपजाऊ भाग जो जमीं और जीवन को जोड़ता है|
  • 13:20 - 13:22
    हम क्या जानते है पृथ्वी पर जीवन के बारे में?
  • 13:23 - 13:27
    हमें जीवन के कितने रूपों का ज्ञान है? दस में एक ?
  • 13:27 - 13:28
    या सौ में एक शायद?
  • 13:28 - 13:32
    क्या जानते है हम, की जीवन के विविध रूप किस तरह आपस में एक दुसरे पर निर्भर है?
  • 13:43 - 13:45
    यह पृथ्वी एक कारीगरी है|
  • 13:45 - 13:48
    जीवन एक रहस्य है|
  • 14:04 - 14:08
    जानवरों से परिवार बनते है, संस्करो से वे जुड़ते है, और रीती-रिवाज
  • 14:08 - 14:11
    पुश्त दर पुश्त पीढियों से बहता आता है
  • 14:30 - 14:33
    कुछ अपने भोजन देने वाली प्रकृति के अनुरूप ढल गए
  • 14:34 - 14:36
    और कही प्रकृति ने अपने आप को उनके लिए ढाल लिया
  • 14:36 - 14:38
    और दोनों लाभान्वित हुए|
  • 14:39 - 14:43
    जानवरो ने अपनी भूख शांत की और पेड़ो पर फिर बहार आई|
  • 15:24 - 15:27
    पृथ्वी पर जीवन के इस महान रोमांच में
  • 15:27 - 15:29
    हर जीव का महत्व है,
  • 15:29 - 15:32
    जीवो की हर प्रजाति का अपना एक स्थान है
  • 15:33 - 15:36
    कुछ भी बेवजह या नुकसानदेह नहीं
  • 15:36 - 15:39
    ये सभी संतुलन बनाए रखते है|
  • 15:52 - 15:54
    और अब यहाँ आप,
  • 15:54 - 15:57
    मनुष्य, बुद्धिमान मनुष्य,
  • 15:57 - 15:59
    कहानी में प्रविष्ट हुए|
  • 16:01 - 16:05
    तुम्हे ४ अरब वर्षो की शानदार विरासत मिली
  • 16:05 - 16:07
    जिसको पृथ्वी ने संजोया सहेजा और पाला है|
  • 16:14 - 16:17
    तुम्हे महज २ लाख साल हुए धरती पर आये,
  • 16:17 - 16:20
    किन्तु तुमने संसार को बहुत परिवर्तित कर दिया|
  • 16:22 - 16:27
    कमजोर होने के बावजूद तुमने लगभग सभी तरह के आवासों पर हक़ जमा लिया
  • 16:27 - 16:32
    सभी जीवो को पीछे छोड़ते हुए तुमने सभी क्षेत्रो को जीत लिया|
  • 16:38 - 16:41
    घुमंतू जीवन के १,८०,००० वर्षो के बाद,
  • 16:41 - 16:43
    और उस सहज जलवायु के कारण
  • 16:43 - 16:45
    तुम, मनुष्य स्थिर हो पाए|
  • 16:46 - 16:49
    मनुष्य अब पेट भरने के लिए शिकार पर निर्भर नहीं था|
  • 16:49 - 16:53
    इसने नम वातावरण में रहना पसंद किया, जहाँ बहुत मछलियां
  • 16:53 - 16:55
    जीव और जंगली पौधे होते है|
  • 16:55 - 16:59
    वहां जहा जमीं, पानी और जीवन का मिलन होता है|
  • 17:29 - 17:30
    आज भी ,
  • 17:30 - 17:34
    अधिकतम मनुष्यजाति महाद्विपो के समुद्रतटो,
  • 17:34 - 17:37
    या नदियों और झीलों के तटो पर बसती है|
  • 17:53 - 17:56
    सम्पूर्ण पृथ्वी पर हर चार व्यक्तियों में से एक
  • 17:56 - 18:00
    ठीक वैसे ही रहता है जैसे मनुष्यजाति ६ हजार वर्ष पहले रहती थी,
  • 18:00 - 18:06
    उनके लिए ऊर्जा मौसम दर मौसम प्रकृति ही देती है
  • 18:06 - 18:10
    यही जीवन का तरीका डेढ़ अरब लोग अपनाते है,
  • 18:10 - 18:15
    यानी दुनिया के सभी धनवान देशो की सम्मिलित जनसँख्या से ज्यादा |
  • 19:16 - 19:21
    किन्तु यहाँ लोग अल्प आयु जीवन ही जी पाते है, कठोर श्रम अपनी कीमत ले लेता है|
  • 19:21 - 19:25
    प्राकृतिक अनिश्चितताए दैनिक जीवन पर भारी पड़ती है |
  • 19:26 - 19:29
    शिक्षा, दुर्लभ सौभाग्य है |
  • 19:30 - 19:33
    बच्चे परिवार की एक मात्र संपत्ति है,
  • 19:33 - 19:35
    जब तक प्रत्येक हाथ
  • 19:36 - 19:39
    जिन्दगी के लिए आवश्यक योगदान दे रहा है|
  • 19:50 - 19:51
    इंसानियत की बुद्धिमत्ता,
  • 19:51 - 19:54
    हमेशा इस बात में रही है, की उसे अपनी कमजोरी का एहसास है|
  • 19:56 - 20:01
    शारीरिक क्षमता, जिसे प्रकृति ने मनुष्य को कंजूसी से नवाजा है,
  • 20:01 - 20:06
    जानवरों को दे दी जिनकी मदद से उसने नए क्षेत्रो को खोजा|
  • 20:33 - 20:36
    किन्तु क्या कोई भी खाली पेट विश्व जीत सकता है?
  • 20:41 - 20:45
    खेती के इस आविष्कार ने हमारे इस इतिहास को अंत दे दिया|
  • 20:46 - 20:49
    इसे १० हजार सालो से भी कम हुए है|
  • 20:49 - 20:53
    कृषि हमारी प्रथम महान क्रान्ति थी
  • 21:01 - 21:03
    इससे हमने पहली बार जरुरत से अधिक चीजे पायी
  • 21:03 - 21:06
    और इस तरह शहरों और संस्कृतियों का जन्म हुआ|
  • 21:13 - 21:18
    भोजन के लिए संभावनाएं तलाशने में लगे वर्षों के हजारों की स्मृतियां फीकी पड़ने लगी|
  • 21:18 - 21:22
    अन्न को जीवन का आधार बनाकर, हमने उनकी विविध किस्मे बनाई,
  • 21:23 - 21:26
    और उन्हें अपनी मिट्टी और जलवायु के अनुकूल बनाया|
  • 21:44 - 21:46
    हम भी पृथ्वी पर पल रहे अन्य जीवो की तरह है|
  • 21:46 - 21:50
    हमारा प्राथमिक रोजमर्रा की चिंता पेट भरना है|
  • 21:52 - 21:54
    जब मिट्टी कम दयालु हो जाती है,
  • 21:54 - 21:56
    और पानी दुर्लभ हो जाता है,
  • 21:57 - 22:00
    तब हम इन्हें जमीं से निकालने के लिए
  • 22:00 - 22:03
    असाधारण क्षमता दिखाते है ताकि हम जीवित रहे|
  • 22:25 - 22:29
    मनुष्यों ने मैदानों को धीरता और लगन से आकार दिया
  • 22:29 - 22:33
    इन बलिदानी अनुष्ठानो को पुन: पुन: कर
  • 22:34 - 22:40
    कृषि, विश्व का सबसे विस्तृत व्यवसाय है|
  • 22:40 - 22:43
    आधी मनुष्य आबादी मिट्टी उलटती है,
  • 22:44 - 22:48
    इनमे से तीन चौथाई हाथ तो से यह काम करते है|
  • 22:54 - 22:59
    कृषि, एक परंपरा की तरह पीढ़ी दर पीढ़ी एक से दुसरे को मिलता रहा
  • 23:00 - 23:03
    पसीने, उपरोप और श्रम से
  • 23:03 - 23:07
    क्योकि यह मानवजाति के भविष्य के लिए आवश्यक है|
  • 23:16 - 23:20
    किन्तु बहुत समय तक शारीरिक श्रम पर विशवास करने के बाद, मनुष्यजाति
  • 23:21 - 23:24
    एक तरीका ढूढ लिया, पृथ्वी के अन्दर कैद उर्जा स्रोत को
  • 23:34 - 23:38
    ये लपटे भी पौधो से है| एक तरह से सौर उर्जा की खान|
  • 23:38 - 23:41
    विशुद्ध उर्जा| सूर्य की उर्जा,
  • 23:41 - 23:45
    करोडो साल तक करोडो पेड़ो ने इक्कठी की,
  • 23:45 - 23:47
    तक़रीबन १ अरब साल पहले|
  • 23:47 - 23:50
    ये कोयला है, ये गैस है,
  • 23:50 - 23:53
    और सबसे महत्वपूर्ण ये तेल है|
  • 24:07 - 24:12
    और सूर्य किरणों की इस पोटली ने मनुष्य को उसके श्रम से आजाद कर दिया
  • 24:14 - 24:16
    तेल के साथ मनुष्य का युग आरम्भ हुआ
  • 24:16 - 24:19
    जिसने उसे समय के बन्धनों से मुक्त कर दिया|
  • 24:20 - 24:24
    तेल से, हम में से कुछ लोगो को अभूतपूर्व वैभव मिला|
  • 24:24 - 24:27
    और इन पचास वर्षो में, एक जीवन की अवधि में,
  • 24:28 - 24:30
    पृथ्वी ने इतने बड़े मौलिक बदलाव देखे
  • 24:30 - 24:34
    जो की इंसानों की पिछली पीढियां कभी सोच भी नहीं पायी होंगी|
  • 24:40 - 24:42
    जल्दी और जल्दी| इन साठ वर्षो में,
  • 24:42 - 24:46
    पृथ्वी पर इंसानी आबादी तिगुनी हो गयी है|
  • 24:46 - 24:50
    २ अरब लोग शहरों में पलायन कर गए|
  • 24:50 - 24:52
    तेज और तेज|
  • 24:52 - 24:54
    चीन में, शेन्ज़ेन
  • 24:54 - 24:57
    सैंकड़ो गगनचुम्बी इमारतों में लाखो निवासी बसते है,
  • 24:57 - 25:02
    ये चालीस बरस पहले, मछुआरो का, छोटा सा गाँव था|
  • 25:02 - 25:04
    तीव्र और तीव्र|
  • 25:04 - 25:07
    शंघाई में, तीन हजार अट्टालिकाए और गगनचुम्बी इमारते
  • 25:07 - 25:12
    बीस सालो में खडी कर दी| सैंकड़ो बन रही है|
  • 25:14 - 25:18
    आज, विश्व की कुल ७ अरब आबादी में से आधी
  • 25:18 - 25:19
    शहरों में रहती है|
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    न्यू यॉर्क |
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    विश्व का पहला मेगालोपोलिस (नगरो का नगर, वृहद् नगर)
  • 25:36 - 25:40
    बुद्धिमान मनुष्य को दिए गए इन उर्जा स्रोतों के अति दोहन का प्रतीक है
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    लाखो आप्रवासियों की मानवशक्ति,
  • 25:45 - 25:50
    कोयले की उर्जा, तेल की बेलगाम ताकत|
  • 26:02 - 26:05
    अमेरिका इस ताकत का दोहन करने वाला पहला राष्ट्र था,
  • 26:05 - 26:09
    "काले सोने" की क्रांतिकारी शक्ति को दोहन करने वाला|
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    विभिन्न क्षेत्रो में, मशिनो ने आदमियों का स्थान ले लिया|
  • 26:16 - 26:18
    एक लीटर तेल इतनी उर्जा पैदा करता है,
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    जितनी १०० आदमी २४ घंटे में करते है|
  • 26:25 - 26:29
    अमेरिका में महज ३० लाख किसान बचे है|
  • 26:29 - 26:33
    वे इतना अन्न पैदा कर लेते है जो २०० करोड़ लोगो को खाना खिला सकता है|
  • 26:35 - 26:38
    किन्तु अधिकतर अन्न लोगो को नहीं खिलाया जाता|
  • 26:38 - 26:41
    यहाँ, और सभी औद्योगिक देशो में
  • 26:41 - 26:45
    इसे पशुधन और जैव ईंधन में बदल दिया जाता है|
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    सौर उर्जा की पोटलियों ने सूखे की काली छाया को दूर कर दिया
  • 26:55 - 26:57
    जो खेतो को बेकार कर देती थी|
  • 26:57 - 27:00
    कोई बसंत खेती की जरुरतो को नाजांदाज नहीं कर सकता
  • 27:01 - 27:05
    जो इंसान की पानी की खपत का ७०% है|
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    प्रकृति में, हर चीज जुडी हुई है|
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Title:
HOME (English with subtitles)
Video Language:
English
Duration:
01:33:18

Hindi subtitles

Incomplete

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