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1987-1223 Ganapatipule Talk to Yogis

  • 0:03 - 0:13
    हाँ, सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए, कि
    यहाँ जो बम्बई वाले और दिल्ली वाले लोग
    आये हैं, ये मेहमान नहीं हैं।
  • 0:13 - 0:18
    मेहमान, जो लोग बाहर से आये हैं, वो हैं।
    बसिस उनके पैसे से आईं हैं।
  • 0:18 - 0:23
    आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहें हैं उसके लिए।
    एक कौड़ी भी नहीं दे रहें हैं।
  • 0:23 - 0:25
    बसिस उनकी हैं। वो सब बसिस मार के
    आप लोग यहाँ आ गए
  • 0:25 - 0:28
    यहाँ बसिस छोड़ दिए, वो लोग रास्ते में
    लटक के खड़े हुए हैं।
  • 0:30 - 0:35
    बजाय इसके कि आप उन लोगों का ख्याल
    करें, आप आराम से यहाँ पहुँच गए।
  • 0:35 - 0:40
    आ के आराम से बैठे हुए हैं और आधे लोग रस्ते
    में बैठे हुए हैं - यहाँ बसें सड़ रहीं हैं।
  • 0:40 - 0:47
    आप लोग यहाँ मेहमान के रूप में नहीं आये हैं,
    कृपया ध्यान दीजिए। ये अपनी आदतें
    आप बदलिए।
  • 0:47 - 0:53
    आप यहाँ पर आये हैं सेवा करने के लिए और
    ये बाहर के जो लोग आये हैं, ये मेहमान हैं।
  • 0:54 - 0:59
    आप जिस चाहे बस में चढ़ जाते हैं, जैसे कोई
    आपने बस ली है किराये से।
  • 0:59 - 1:04
    पिछली मर्तबा पैंतालीस हज़ार रुपया मैंने भरा
    आप लोगों के बस में चढ़ने का।
  • 1:04 - 1:12
    बेहतर है आप लोग सब पैदल आइए। और नहीं,
    तो एक चीज़ हो सकती कि एक बस है
    सिर्फ आपके लिए।
  • 1:12 - 1:16
    किसी भी टाइम में आप लोग निकलते हैं;
    आपको कोई टाइम नहीं है कुछ नहीं है।
  • 1:16 - 1:19
    एक ही बस आएगी और वो बस दो मर्तबा आएगी।
  • 1:19 - 1:25
    उसी बस में आपको बैठने को मिलेगा और किसी
    बस में आप नहीं बैठ सकते हैं। समझ गए आप।
  • 1:28 - 1:32
    अपने तो आराम से बैठ गए और सब लोग वहाँ
    लटके खड़े हुए हैं - क्या अच्छी बात है?
  • 1:32 - 1:35
    उनके बसिस हैं, उन्होंने इतने पैसे दिए हैं,
    इसलिए आज बसिस हैं।
  • 1:35 - 1:37
    उनकी वजह से आज सहज योग चल रहा है।
  • 1:41 - 1:46
    अब सारी बसिस आप [अस्पष्ट] देंगे। एक उसमें
    से बस है, उसका नंबर यहाँ बताया जाएगा।
  • 1:46 - 1:49
    और कोई दूसरे बस में हिंदुस्तानी आदमी
    नहीं बैठेगा।
  • 1:49 - 1:56
    एक बस आपके लिए है, और वो जाएगी, आएगी,
    जाएगी, आएगी, और अगर आप तैयार नहीं हैं,
    तो पैदल आइए।
  • 1:59 - 2:06
    यहाँ कोई आप बस चौबीस घंटे के लिए नहीं लगा
    सकते हैं। हाँलाँकि हमने उसका इंतज़ाम कर
    दिया है - चलो ठीक है।
  • 2:06 - 2:13
    लेकिन इसका ये तो मतलब नहीं, कि आप जब
    इत्मीनान से जब चाहें जिस वकत उठें, राजा साहब
    जैसे - उनकी बसिस लेके चले आये।
  • 2:13 - 2:16
    ये तो ऐसे ही हो गया कि दूसरे की गाड़ी
    मारी और चले आये।
  • 2:17 - 2:22
    अब एक ही बस आपके लिए है।
    वो वहाँ जाएगी और आएगी।
  • 2:23 - 2:31
    अब सवेरे के टाइम आप लोगों को - ये लोग सवेरे
    उठके ध्यान करते हैं। उनसे कुछ सीखिए।
  • 2:32 - 2:38
    एक तो उनसे सीखना चाहिए कि कायदा-कानून,
    डिसिप्लिन इनमें कितना है।
  • 2:39 - 2:43
    दूसरी बात ये है कि वो आपका आराम देखते हैं,
    अपना नहीं देखते हैं।
  • 2:47 - 2:54
    एक बस आपके लिए हमने तय कर ली, बस।
    उससे ज़्यादा हम दे नहीं सकते हैं।
    पैसा कौन देगा?
  • 2:56 - 3:01
    एक बस का हम आपको नंबर बताएंगे।
    वो बस आगे जाएगी, आएगी
  • 3:01 - 3:05
    नहीं तो आप पैदल आइए, कौन सी आफत है।
    चलिए थोड़ा, अच्छा है सेहत के लिए।
  • 3:06 - 3:14
    सवेरे के वक्त बस आएगी। हम चाह रहे हैं कि
    सवेरे के बस, वक्त में आप वहीं रहिए,
  • 3:14 - 3:20
    वहीं आप नहा-धो कर तैयार हो जाइए और
    वहीं आपके लिए नाश्ता आ जायेगा।
  • 3:21 - 3:28
    या आप अगर चाहें तो यहाँ आ जाइए एक बस में
    - आप कोई ज़्यादा लोग नहीं हैं
  • 3:28 - 3:33
    एक सौ दस लोग हैं आप सिर्फ; दो बस में
    आप आ सकते हैं।
  • 3:33 - 3:38
    एक बार बस जाएगी, आ जाएगी, फिर आप जाएंगे
    फिर आ जाएंगे, पर बाकी बसिस को आप
    मत छुइए
  • 3:38 - 3:42
    - उस सब का मुझे पैसा देना पड़ेगा।
    आप लोग देंगे क्या पैंतालीस हज़ार रुपया?
  • 3:44 - 3:49
    आपसे किसने कहा इन बसिस में बैठने के लिए?
    आप जिस उस बस में चढ़ के चले आये।
  • 3:49 - 3:52
    कोई कायदा-कानून होना चाहिए। पूछना चाहिए
    कि, 'कौन सी बस में जाएँ कौन से में नहीं जाएँ,"
  • 3:55 - 4:00
    अब आप मेहरबानी करिए। आप सिर्फ
    जो बस आपके लिए है
  • 4:00 - 4:04
    उसी बस में आप सवेरे के वक्त में बैठिए
    यहाँ आइये अपना नाश्ता कर...
  • 4:04 - 4:08
    [मराठी]
  • 4:08 - 4:14
    आपका वहीं नाश्ता आ जायेगा लेकिन नवाब
    के जैसे रहने की ज़रुरत नहीं।
  • 4:14 - 4:18
    सवेरे चट से उठके नहा-धो लिया, ध्यान कर
    लिया और ध्यान के बाद में
  • 4:18 - 4:22
    वहीं नाश्ता आ जाएगा। वो नाश्ता आपको
    साढ़े आठ बजे वहाँ मिल जाएगा।
  • 4:22 - 4:27
    साढ़े आठ से साढ़े नौ तक आप वहाँ पर
    नाश्ता कर के और एक बस है
  • 4:27 - 4:30
    और अगर आप उस बस में नहीं आ सकते हैं,
    तो आप पैदल आइए मेहरबानी से।
  • 4:32 - 4:43
    बम्बई के लोग, पूना के लोग, और दिल्ली के लोग -
    पूना और बम्बई के लोग तो मालगुन में रह रहे हैं
  • 4:43 - 4:50
    आप लोग वहाँ रह रहे हैं कबूल है। लेकिन इसका
    मतलब नहीं कि आप उनकी बसिस ले के
    चले आएं आराम से।
  • 4:50 - 4:54
    पूछना चाहिए कि, "कौन सी बस हमारी है,
    कौन से बस से हम आएंगे।"
  • 4:55 - 5:00
    पहली बात। दूसरे कौन से टाइम से आना चाहिए।
    अभी वो लोग सब लटके,
  • 5:00 - 5:03
    चार घंटे से बैठे हैं, किसी ने पूछा भी नहीं
    कि, 'वो लोग आये कि नहीं आये।'
  • 5:03 - 5:08
    चार घंटे से वो लोग खड़े हुए हैं। अपने बैठ
    लिए, कोई आपको मतलब ही नहीं किसी से।
  • 5:08 - 5:18
    आराम से आ के यहाँ जम गए। आप लोग यहाँ
    मेहमान नहीं हैं। ये आपका देश है हिंदुस्तान।
  • 5:19 - 5:28
    यहाँ पर बाहर से लोग आये हुए हैं। हिंदुस्तान में
    आप हैं और हिंदुस्तान के किनारे पे अभी तक
    समुद्र में उतरे नहीं।
  • 5:28 - 5:35
    समझे ना आप। मेहरबानी करिए, मुझे बड़ा दुःख
    लगता है सोच कर के, ये लोग बेचारे वहाँ लटके
    हुए चार घंटे से खड़े हैं।
  • 5:35 - 5:38
    आप लोग पहले, 'चलिए घुस-घुस के चलो,
    चलो जल्दी चलो।'
  • 5:40 - 5:45
    वो कह रहे हैं कि, 'सब लोग घुस गए पहले ही,
    हम क्या करें, जंगली के जैसे।
  • 5:45 - 5:52
    हम लोग सहज योगी हैं; रास्ते पर के कोई
    वो तो नहीं हैं, भिखारी लोग।
  • 5:52 - 5:54
    कायदा, कानून कुछ ना कुछ होना चाहिए।
  • 5:54 - 5:59
    अब मेहरबानी से, आप लोग किसी की बस में
    नहीं चढ़ने वाले - सिर्फ आप की एक बस है।
  • 5:59 - 6:06
    इधर से नंबर क्या है, तुम्हारा बस का?
    एक बस का नंबर [मराठी]
  • 6:06 - 6:10
    एक तो हम लोग ऐसी जगह आए हैं,
    जहाँ कुछ भी नहीं मिलता है।
  • 6:10 - 6:15
    ना कोई खाने-पीने की चीज़ें मिलतीं हैं न ही कुछ।
    ये सब चीज़ें कोल्हापुर से आ रहीं हैं।
  • 6:15 - 6:21
    इसलिए यहाँ आए हैं, कि ये हमारे लिए एक
    यात्रा है - क्षेत्र में हम आए हुए हैं।
  • 6:21 - 6:25
    और इस जगह हम लोग मेहमान नहीं हैं
    - ये लोग मेहमान हैं।
  • 6:26 - 6:32
    वैसे भी मैं देखतीं हूँ कि सब दिल्ली वाले और
    बम्बई वाले सामने बैठ जाएंगे ये लोग अपने
    पीछे में बैठे हुए हैं।
  • 6:32 - 6:37
    अरे भई, ये कोई तरीका होता है किसी
    मेहमानों के साथ ये करने का, व्यवहार करने का?
  • 6:37 - 6:45
    सबसे पहले हम लोग बैठ गए। खाना हम सबसे
    पहले हम खाएंगे, वो लोग बाद में खाएंगे
    - ये कोई तरीका होता है?
  • 6:45 - 6:50
    हम लोग तो मशहूर हैं दुनिया में मेहमान
    नवाज़ी के लिए, तौर तरीके के लिए,
  • 6:50 - 6:55
    हम लोगों को दुनिया मानती है इस चीज़ के लिए,
    लेकिन सहज योग में आते ही साथ उल्टी
    खोपड़ी क्यों हो जाती है?
  • 6:56 - 7:01
    कल से कायदे से आप लोग बिल्कुल इनके ऊपर
    आक्रमण नहीं करने वाले हैं किसी भी तरह का।
  • 7:01 - 7:06
    और ना ही इनके बसिस में घुसने वाले हैं;
    सिर्फ आपके लिए एक बस रक्खी है,
  • 7:06 - 7:09
    उसमें आप आइए, नहीं तो मेरे पास इतना
    उनको देने के लिए पैसा नहीं है।
  • 7:12 - 7:21
    [निगम साहब, निगम साहब] बहुत कुछ सीखने
    का है - यहाँ आप सीखने आए हैं
  • 7:23 - 7:28
    अपनी जान बचाने के लिए नहीं आए हैं।
    पैदल चलने में क्या हर्ज़ है जवान लोगों को।
  • 7:28 - 7:32
    थोड़े पैदल चले तो क्या हर्ज़ हो जाएगी।
    आप लोगों के वहाँ नखरे ही नहीं मिलते हैं।
  • 7:32 - 7:37
    सुनते हैं कि एक आदमी, औरतों के तैयार
    होने में ही चार-चार घंटे लग रहे हैं।
  • 7:39 - 7:47
    आप निगम साहब ऐसा करिए, एक बस रखिए।
    उसमें एक ही बस आपके लिए है। उस बस से सब
    लोग आयें और सब लोग जाएँ।
  • 7:47 - 7:51
    नहीं तो हम चाहते हैं तो हम कहीं और
    आपको रखा देते हैं, अच्छा रहता है।
  • 7:51 - 7:55
    अब कल हम सोच ही रहे हैं कि आप लोगों को
    कहीं और रखा दें जिससे ये तकलीफ नहीं होगी।
  • 7:55 - 8:01
    उनके बसिस उनके लिए रहने दीजिए। वो आ के
    पड़ीं हुईं हैं यहाँ बसें - वो लोग रस्ते में लटके
    चार घंटे से बैठे हैं।
  • 8:01 - 8:07
    ये कोई अच्छी बात तो नहीं है। पैसे बेचारे देते हैं।
    उनके पैसे के दम पर आज सहज योग चल
    रहा है - आप जानते हैं।
  • 8:12 - 8:17
    और इन लोग सब बता रहे थे कि वहाँ से सब
    ढ़केल-ढुकेल के ये लोग बैठ गए आगे में
    - हम को जगह ही नहीं मिली है।
  • 8:17 - 8:22
    और बसिस आ के यहाँ रोक लीं, ये भी नहीं
    सोचा कि बसिस वापस गईं कि नहीं गईं
    - वो लोग खड़े हैं वहाँ।
  • 8:22 - 8:31
    हाँ, आप देखिए सारी बसिस यही खड़ीं हुईं हैं।
    आकर आराम से बैठ गए यहाँ पर सब -
    दिल्ली वाले, बम्बई वाले, पूना वाले।
  • 8:32 - 8:40
    मुझे दुःख ये लगता है, कि ये लोग इतनी दूर से
    आये हैं बेचारे, सारा महीना भर ये प्रवास करते रहे,
    तकलीफें उठाईं हैं।
  • 8:42 - 8:46
    आराम पसंदगी जो है, ये सहज योग का
    लक्षण नहीं है।
  • 8:47 - 8:51
    जो आदमी आराम पसंद है,
    वो सहज योगी हो ही नहीं सकता है।
  • 8:51 - 8:56
    फिर वो बताएंगे कि हम आये, तो वहाँ इतनी
    देर हमको तकलीफ़ हुई, फिर ये हुआ।
  • 8:56 - 8:58
    जो आदमी को तकलीफ़ होती है,
    वो सहज योगी नहीं है।
  • 8:58 - 9:07
    सहज योग में आत्मा का आनंद है, उसका आराम
    है, उसका सुख है। उसके लिए कोई तकलीफ़
    नहीं होनी चाहिए,
  • 9:07 - 9:10
    कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए,
    उसी के आनंद में विभोर रहना चाहिए।
  • 9:10 - 9:14
    और अगर अपना अभी भी यहाँ आराम है -
    मैंने सुना कि बड़े झगडे हो रहे हैं
  • 9:14 - 9:18
    कि कौन डारमेट्री में रहेगा, कोई कहाँ रहेगा,
    कौन कहाँ रहेगा - ये तो गलत बात है।
  • 9:19 - 9:26
    कम से कम जो लोग अब टेंट में हैं, उनमें कोई
    अगर बुजुर्ग हों तो ठीक है; उनको डारमेट्री में जाने
    दीजिए, बाकी आप वहीं रहिए।
  • 9:26 - 9:34
    अगर आपका शरीर आपको सताता है, तो उसको
    ज़रा ठिकाने लगाइये। उसको समझाना होगा।
  • 9:35 - 9:42
    कोई आपको मैं हिमालय पे जाने को नहीं कह रहीं
    हूँ, कि ठंडी हवा में जाकर के, वहाँ पे नंगे बदन
    आप एक पाँव पे खड़े होइए।
  • 9:42 - 9:51
    इतनी बात नहीं है। लेकिन शरीर के चोचले चलाना
    बेकार के, सहज योग में नहीं हो सकते हैं और नहीं
    होने चाहिए। ऐसी कोई आफत नहीं है।
  • 9:51 - 10:01
    आप कहीं और जगह जाइए, शन्नो देवी जाइए, कोई
    जगह जाइए, तो चढ़ना पड़ता है आपको सात-सात
    मील - उसके लिए ठीक है।
  • 10:03 - 10:07
    शरीर को थोड़ा सा श्रम देने से कोई आफत
    नहीं आने वाली है।
  • 10:07 - 10:13
    और कोई बड़ी भारी ऐसी श्रम की भी बात नहीं है;
    अच्छी ठंडी हवा चल रही है - चले आये
    टहलते-टहलते।
  • 10:13 - 10:19
    और इतनी ज़्यादी तैयारी करने की और इतने
    सजने-धजने की भी कोई ज़रुरत नहीं है।
  • 10:19 - 10:24
    आज कोई पूजा नहीं है, कुछ नहीं है, समझ में नहीं
    आता है। वो कह रहे हैं कि, कोई भी आदमी
    टाइम से नहीं आता है।
  • 10:24 - 10:32
    खड़े हैं बस वाले वहाँ। एक भी अभी चढ़ नहीं
    रहा है - ये तो गलत बात है। सामूहिकता कम है
    इसलिए ऐसा होता है।
  • 10:35 - 10:40
    अब आपके लिए, आपने कहा कि, "हम एक
    तारीख़ को आना चाहते हैं," हमने कहा कि,
    "अच्छा आइये, सर आँखों पर आइए।"
  • 10:40 - 10:45
    अब इसका मतलब नहीं कि आप मेहमान हो के
    यहाँ आ रहे हैं। एक तारीख़ को आए हैं, तो व्यवस्था
    आप करिए।
  • 10:46 - 10:49
    देखिए क्या हो रहा है, क्या नहीं - आप क्या
    मदद कर सकते हैं?
  • 10:53 - 10:57
    आप लोगों से कहीं, कहीं अधिक इन लोगों
    ने रुपया दिया हुआ है।
  • 10:58 - 11:04
    और इस बार आठ लाख करीब पैसा बच जाएगा।
  • 11:06 - 11:14
    हर साल इन्हीं के पैसे से हम लोगों को फ़ायदे हुए
    हैं। ये मैं नहीं कहती कि पैसा ही सब कुछ है,
  • 11:14 - 11:18
    पर ये मेहमान हैं। कल अगर आप इनके देश में
    जाएंगे, तो ये कभी ऐसा नहीं करेंगे।
  • 11:20 - 11:28
    आपकी व्यवस्था पहले करेंगे।
    सब लोग घुस के चले आए।
  • 11:31 - 11:39
    कल सवेरे, आप लोग सब सवेरे उठके और
    आठ बजे तक ध्यान में जाएँ।
  • 11:39 - 11:47
    आठ से नौ तक ध्यान होने के बाद
    [मराठी ]
  • 11:47 - 11:55
    नौ बजे आपको वहाँ पर नाश्ता मिलेगा।
    अब ये नहीं कि एक बैठे हैं तो दो नहीं बैठे।
  • 11:55 - 12:01
    जिसको, नौ बजे वहाँ नहीं आएगा, उसको नाश्ता
    नहीं मिलेगा। यहाँ से नाश्ता वहाँ चला जाएगा।
  • 12:01 - 12:05
    उसके बाद दस बजे तक आप लोग यहाँ
    तशरीफ़ ले आएं।
  • 12:06 - 12:12
    नौ से दस तक आपको टाइम है, आप तब तक
    नाश्ता कर लें, सब कुछ कर के आप यहाँ दस बजे
  • 12:12 - 12:18
    वहाँ से चल दें आपके लिए एक बस है, वही बस
    आएगी, उससे आप यहाँ पहुँच जाइए
  • 12:18 - 12:22
    फिर वो बस हम वापस कर देंगे,
    फिर उससे आप यहाँ आइए।
  • 12:24 - 12:30
    इस तरह से एक ही बस से आप आइए और
    जाइए। छह बस का पैसा हम लोग नहीं
    दे सकते हैं।
  • 12:30 - 12:38
    उसमें भी और बात है, कि ग्यारह घंटे से ज़्यादा
    अगर किसी ड्राइवर पे काम पड़ा, तो उसका
    डबल पैसा देना पड़ता है।
  • 12:44 - 12:51
    यहाँ पर प्रोग्राम कल से ग्यारह बजे से शुरु होगा।
    ग्यारह बजे यहाँ सब लोग पहुँच जाएँ।
  • 12:51 - 12:59
    ग्यारह बजे से एक बजे तक यहाँ प्रोग्राम होगा।
    उसमें जो भी हम करें भाषण दें, जो भी करें, करेंगे।
  • 12:59 - 13:04
    कल से ठीक से प्रोग्राम शुरु हो जाएगा। और
    उसके बाद आपको ज़रुरत नहीं कि आप जाएँ।
  • 13:04 - 13:10
    यहीं आप खाना खाइए और चाहें तो यहीं लेट
    जाइए। चाय-वाय पी के आप चले जाइए।
  • 13:11 - 13:18
    चाय पी कर आप जाइए वहाँ, तैयार-वैयार हो
    जाइए शाम के वक्त में और उसके बाद
  • 13:19 - 13:27
    आप वहाँ से करीबन छह बजे के करीब आप चल
    दीजिए, छह, साढ़े छह बजे तक।
  • 13:27 - 13:38
    सो यहाँ पर आपका प्रोग्राम छह बजे से शुरु होगा
    - छह, सात, आठ बजे तक।
  • 13:38 - 13:49
    और उसके बाद में नौ बजे तक, साढ़े नौ बजे तक,
    चाहे दस बजे तक, आपका खाना-पीना हो के,
    दो घंटे का म्यूजिक प्रोग्राम होगा।
  • 13:49 - 13:56
    इस तरह की व्यवस्था है - या छह, सात, आठ
    [मराठी]
  • 13:56 - 14:00
    [मराठी]
  • 14:03 - 14:12
    इस प्रकार काम हो सकता है। ज़्यादा से ज़्यादा
    यहाँ से वहाँ चल के जाने में आधा घंटा लगेगा
  • 14:12 - 14:15
    लेकिन अब हम लोगों को कुर्सियों की आदत हो
    गई - हम चल ही नहीं सकते इतना।
  • 14:17 - 14:21
    बरहाल, मैं नहीं कह रही आप चलिए। पर कम से
    कम ये तो समझ लीजिए,
  • 14:21 - 14:25
    कि आप हरएक बस में बैठ जाएँ तो
    मेरी तो हालत खराब हो जाएगी।
  • 14:25 - 14:29
    पिछली मर्तबा यही सब करके बड़े आफ़त
    में मुझे डाल दिया आपने।
  • 14:30 - 14:35
    [मराठी]
  • 14:37 - 14:45
    [मराठी]
  • 14:45 - 14:54
    [मराठी] 7965
  • 14:54 - 15:01
    अच्छा गाड़ी का नंबर - 7965;
    ड्राइवर साहब का नंबर है, मिस्टर पाटिल।
  • 15:03 - 15:08
    [मराठी]
  • 15:08 - 15:13
    [मराठी]
  • 15:13 - 15:20
    [मराठी]
  • 15:20 - 15:27
    [मराठी]
  • 15:27 - 15:34
    [मराठी]
  • 15:34 - 15:42
    [मराठी]
  • 15:42 - 15:49
    [मराठी]
  • 15:49 - 15:56
    [मराठी]
  • 15:56 - 16:08
    [मराठी]
  • 16:09 - 16:17
    [मराठी]
  • 16:17 - 16:20
    और इनसे ये कहते हैं, और हमने कहा तो
    डिस्कशन करते हैं
  • 16:23 - 16:26
    [मराठी]
  • 16:26 - 16:30
    अब हमें नाराज़ नहीं करना चाहिए -
    प्रसन्न रखना चाहिए देवी को।
  • 16:30 - 16:35
    प्रसन्न रखना चाहिए और प्रसन्नता होती है
    मनुष्य में जब तपस्विता आती है।
  • 16:37 - 16:42
    आरामदेह लोग सहज योग नहीं कर सकते हैं।
    झगड़ा कर सकते हैं, आर्ग्यू मेन्ट कर सकते हैं,
  • 16:42 - 16:47
    बकवास कर सकते हैं, सब तरह की लाँछनास्पद
    बातें कर सकते हैं,
  • 16:47 - 16:52
    लेकिन आरामदेह लोग जो होते हैं,
    वो सहज योग नहीं कर सकते हैं।
  • 16:56 - 17:00
    आप लोगों को एक बार यहाँ आने के बाद
    यहीं रहना चाहिए।
  • 17:00 - 17:06
    खाना खाने के बाद यहीं रह जाइए। चाय पीना हो
    तो, क्योंकि अब चाय ले के आपका कौन भागेगा?
  • 17:06 - 17:13
    [मराठी]
  • 17:13 - 17:21
    हाँ, तो ये कह रहे हैं कि यहाँ खाना खा के, एक बस
    है वो आपको ले जायेगी, वही बस फिर आपको
    दूसरी पार्टी को ले जाएगी
  • 17:21 - 17:28
    और उसी के साथ वो चाय भी भेज देंगे, फिर
    आप वहाँ चाय पी लीजिए और चाय पीने के बाद
    उसी बस से आप लोग आइए।
  • 17:28 - 17:37
    और मेरी ताकीद है कि कोई भी इंसान, जो कि
    हिंदुस्तानी है, उसको कायदे से एक ही बस
    में आना चाहिए।
  • 17:37 - 17:43
    नहीं तो ये लोग रिपोर्ट कल करेंगे और बहुत रुपया
    देना पड़ेगा। ये भी तो आप ही के बस वाले हैं।
  • 17:44 - 17:51
    और ये आप ही की सरकार है और आप ही का
    खर्चा है। इतना बड़ा-बड़ा खर्चा मुझे बता देते हैं,
    मैं क्या करूँ?
  • 17:51 - 17:57
    समझ गए? तो अब मेहरबानी करिए, अपने मन से
    किसी भी बस में बैठने का आपको अधिकार
    नहीं है।
  • 17:57 - 18:01
    सिर्फ एक बस आपके लिए तय कर दी;
    उसका जो भी पैसा हो हम दे देंगे।
  • 18:01 - 18:06
    आपको नहीं देना हो तो मत दे ओ।
    एक बस - समझे ना आप?
  • 18:06 - 18:11
    इनसे कोई एक रुपया लेने की ज़रुरत नहीं
    - बेकार है। वो हिसाब हम कर लेंगे।
  • 18:11 - 18:17
    लेकिन जो लोग बस में नहीं आये, वो वहीं रह
    जाएंगे। वो दूसरे की बस में नहीं आएं
    मेहरबानी करके।
  • 18:19 - 18:24
    एक भी आदमी अगर दूसरे बस में बैठेगा,
    तो उसका मुझे बहुत कुछ देना पड़ेगा।
  • 18:25 - 18:31
    इसलिए आप मेरे ऊपर मेहरबानी करें। पिछली
    मर्तबा भी ऐसा हुआ था, इस मर्तबा भी
    ऐसा हो रहा है।
  • 18:32 - 18:37
    जो बुजुर्ग लोग हैं उनको चाहिए कि वो डॉरमिटरी
    में शिफ्ट हो जाएंगे, जहाँ भी जाना है
  • 18:37 - 18:45
    और जो लोग आ रहे हैं, वो भी डॉरमिटरी में रहेंगे।
    वहाँ पर एक बस रहेगी आपके लिए। उससे आप
    आइए, जाइए - एक बस काफ़ी है।
  • 18:45 - 18:51
    दिल्ली में भी तो आप लोग लाइन से खड़े रहते हैं
    घंटों। यहाँ पर क्या नवाब साहिबी आ गई क्या?
  • 18:52 - 18:57
    अच्छा, [अस्पष्ट - बैर?] जो भी हो। आज अच्छी
    शुरुआत नहीं हुई, मुझे बहुत दुःख हो रहा है।
  • 18:57 - 19:04
    बेचारे चार घंटे से वहाँ लटक के खड़े हुए हैं।
    किसी को आपने आने नहीं दिया और यहाँ ला
    के बस छोड़ दी - बड़ी दुःख की बात है।
  • 19:04 - 19:07
    इसलिए आप मन में अब माफ़ी माँगिए
    और कहिए कि,
  • 19:07 - 19:13
    "अगले वकत से ऐसा काम नहीं करेंगे माँ, ये बड़ी
    गलत बात हो गई और इससे बड़ा दुःख होता है।"
  • 19:15 - 19:19
    अब अगले प्रोग्राम आपको मैं बताती हूँ
    जिसको आप सुन लीजिए।
  • 19:21 - 19:26
    अगले प्रोग्राम में हम लोगों का प्रोग्राम
    जो है वो इसी प्रकार होगा जैसे मैंने कहा।
  • 19:26 - 19:31
    कि सवेरे उठके मैडिटेशन होगा, फिर आप यहाँ
    ग्यारह बजे तक आ जाइए,
  • 19:32 - 19:38
    नाश्ता-उश्ता करके आप यहाँ पहुँच जाइए
    और खाना होने तक आप यहाँ रहिए।
  • 19:38 - 19:44
    उसके बाद जाइए, आप आराम करिए, उसके
    बाद चाय पीजिए और चाय-वाय पीकर के
  • 19:44 - 19:50
    और आप फिर से आप शाम को यहाँ पर आते
    वक्त याद रखिए, कि यहाँ छह बजे तक
    पहुँच जाना है।
  • 19:50 - 19:54
    तो वहाँ बस आएगी, पहले बस से छह बजे
    आ जाना फिर दूसरी बस से आ जाना,
  • 19:54 - 19:58
    और फिर हम लोग छह, साढ़े छह से
    प्रोग्राम यहाँ शुरू करेंगे।
  • 19:58 - 20:03
    ऐसे टाइम ज़्यादा नहीं लगता है; सिर्फ बात ये है
    कि उनकी परवाह नहीं है आप लोगों को।
  • 20:03 - 20:07
    उनकी परवाह करनी चाहिए, पूछना चाहिए,
    'आपने चाय-पानी कुछ लिया या नहीं लिया।'
  • 20:09 - 20:18
    और कल से इसी तरह से प्रोग्राम होगा। कल चार
    तारीख़ तो है नहीं, कल तीन है ना - कल तीन
    तारीख़ है ।
  • 20:18 - 20:24
    तीन तारीख़ को और भी लोग आ रहे हैं। और तीन
    तारीख़ को जिन लोगों को शिफ्ट करना है
  • 20:24 - 20:30
    उनको शिफ्ट कर दिया जायेगा और आप लोगों के
    भी जो तम्बू हैं, वो यहाँ ला के लगा दिए जाएंगे।
  • 20:30 - 20:40
    इसलिए बेहतर होगा कि आप लोग कल यहाँ पर
    चाय के बाद, नाश्ते के बाद वहीं रहें।
  • 20:40 - 20:46
    और आपका - क्योंकि आपके तम्बू वहाँ से हटने
    वाले हैं। और आपका जो सामान है -
  • 20:46 - 20:51
    अब जैसे ये लोग आए परदेसी, तो ये सब
    सामान अपने हाथ में उठा के ले गए।
  • 20:52 - 20:56
    आप लोगों के लिए टेम्पो लाना पड़ा, क्योंकि आप
    लोग हाथ में सामान तो कभी उठाते नहीं।
  • 20:57 - 21:01
    आज तक कभी किया ही नहीं कोई कुली थोड़ी हैं।
    सब हमारे यहाँ तो प्राइम मिनिस्टर हैं।
  • 21:03 - 21:09
    तो उसके लिए भी आप लोग वो ही जो बस है,
    उस बस में आप सामान डाल के इधर ले आएं।
  • 21:09 - 21:14
    यहाँ पर तम्बू गाड़ दिए जाएंगे;
    तम्बू कल उखाड़ दिए जाएंगे सवेरे।
  • 21:14 - 21:18
    जब आप मैडिटेशन में जाएंगे, उससे पहले तम्बू
    उखाड़ कर के और इधर लगा दिए जाएंगे,
  • 21:18 - 21:23
    जिससे आपको बाथरूम की भी सहूलियत हो
    जाएगी और सारा इंतज़ाम हो जायेगा।
  • 21:23 - 21:26
    तो यहाँ से खाना खाने के बाद आप जा कर
    के वहाँ रहें।
  • 21:26 - 21:35
    अब आपका जो सामान है, वो सामान जो है,
    उसको आपको पहुँचाना होगा उन तम्बुओं में,
    खाना खाने को जाने से पहले।
  • 21:36 - 21:44
    सो कल सवेरे के प्रोग्राम में आप लोग एक ही
    प्रोग्राम करें, कि अपनी व्यवस्था वहाँ से हटाकर
    तम्बुओं में कर लें।
  • 21:46 - 21:51
    सो कल सवेरे उठते ही आप लोगों का एक
    काम होगा कि
  • 21:51 - 21:53
    - ये लोग चाहे जो भी करें,
    क्योंकि ये तो वहीं स्थित हैं -
  • 21:53 - 21:57
    अपना सब सामान बाँध लें, सब ठीक-ठाक
    कर लें और तैयारी में रहें,
  • 21:57 - 22:01
    कल तम्बू गिराए जाएंगे और तम्बू इधर
    डाल दिए जाएंगे।
  • 22:01 - 22:05
    और इस जगह आपका इंतज़ाम हो जायेगा,
    जहाँ बाथरूम्स बहुत सारे हैं
  • 22:05 - 22:09
    आपको परेशानी नहीं होगी; सिर्फ आपको
    अपना सामान उठा के इधर लाना है।
  • 22:14 - 22:19
    वो लोग, वो आप उठा सकते हैं, ये नहीं उठा सकते
    हैं। अच्छा, हाथ उठाओ जो-जो उठा सकते हैं।
  • 22:20 - 22:26
    बस दो ही आदमी और कोई नहीं?
    औरतें क्या, औरतें क्या नहीं उठाएँगीं?
  • 22:26 - 22:34
    चलो उठा के लाओ। कोई इंतज़ाम ही नहीं ना यहाँ
    पे। सामान उठाने का और कोई इंतज़ाम
    जो नहीं है सो क्या किया जाए?
  • 22:39 - 22:42
    [मराठी]
  • 22:43 - 22:49
    अच्छा एक टेम्पो आ जाएगा। जो लोग बिल्कुल ही
    नहीं उठा सकेंगे उनके लिए एक टेम्पो आ जाएगा।
  • 22:49 - 22:52
    ऐसे फॉरिनेर्स [विदेशी लोग] भी आपकी
    मदद कर देंगे।
  • 22:52 - 22:57
    हम सभी लोगों से, जो कि अन्य देशों से यहाँ
    इतनी दूर आए हुए हैं, एक बात का अनुरोध
    करना चाहते हैं,
  • 22:57 - 23:03
    देखिए, मुझे खेद है कि इन लोगों को कोई उचित
    दिशा-निर्देश नहीं दिया गया
  • 23:03 - 23:07
    और इन्होंने सभी बसों पर कब्जा कर लिया
    और इतने सारे विदेशी पीछे छूट गए।
  • 23:07 - 23:13
    विदेशियों के लिए पाँच बसें हैं, केवल एक बस
    इन लोगों के लिए, पाँच बसें
Title:
1987-1223 Ganapatipule Talk to Yogis
Description:

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Video Language:
Hindi
Duration:
23:16

Hindi subtitles

Incomplete

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