-
हाँ, सबसे पहले एक बात समझ लेनी चाहिए, कि
यहाँ जो बम्बई वाले और दिल्ली वाले लोग
आये हैं, ये मेहमान नहीं हैं।
-
मेहमान, जो लोग बाहर से आये हैं, वो हैं।
बसिस उनके पैसे से आईं हैं।
-
आप तो एक पैसा भी नहीं दे रहें हैं उसके लिए।
एक कौड़ी भी नहीं दे रहें हैं।
-
बसिस उनकी हैं। वो सब बसिस मार के
आप लोग यहाँ आ गए
-
यहाँ बसिस छोड़ दिए, वो लोग रास्ते में
लटक के खड़े हुए हैं।
-
बजाय इसके कि आप उन लोगों का ख्याल
करें, आप आराम से यहाँ पहुँच गए।
-
आ के आराम से बैठे हुए हैं और आधे लोग रस्ते
में बैठे हुए हैं - यहाँ बसें सड़ रहीं हैं।
-
आप लोग यहाँ मेहमान के रूप में नहीं आये हैं,
कृपया ध्यान दीजिए। ये अपनी आदतें
आप बदलिए।
-
आप यहाँ पर आये हैं सेवा करने के लिए और
ये बाहर के जो लोग आये हैं, ये मेहमान हैं।
-
आप जिस चाहे बस में चढ़ जाते हैं, जैसे कोई
आपने बस ली है किराये से।
-
पिछली मर्तबा पैंतालीस हज़ार रुपया मैंने भरा
आप लोगों के बस में चढ़ने का।
-
बेहतर है आप लोग सब पैदल आइए। और नहीं,
तो एक चीज़ हो सकती कि एक बस है
सिर्फ आपके लिए।
-
किसी भी टाइम में आप लोग निकलते हैं;
आपको कोई टाइम नहीं है कुछ नहीं है।
-
एक ही बस आएगी और वो बस दो मर्तबा आएगी।
-
उसी बस में आपको बैठने को मिलेगा और किसी
बस में आप नहीं बैठ सकते हैं। समझ गए आप।
-
अपने तो आराम से बैठ गए और सब लोग वहाँ
लटके खड़े हुए हैं - क्या अच्छी बात है?
-
उनके बसिस हैं, उन्होंने इतने पैसे दिए हैं,
इसलिए आज बसिस हैं।
-
उनकी वजह से आज सहज योग चल रहा है।
-
अब सारी बसिस आप [अस्पष्ट] देंगे। एक उसमें
से बस है, उसका नंबर यहाँ बताया जाएगा।
-
और कोई दूसरे बस में हिंदुस्तानी आदमी
नहीं बैठेगा।
-
एक बस आपके लिए है, और वो जाएगी, आएगी,
जाएगी, आएगी, और अगर आप तैयार नहीं हैं,
तो पैदल आइए।
-
यहाँ कोई आप बस चौबीस घंटे के लिए नहीं लगा
सकते हैं। हाँलाँकि हमने उसका इंतज़ाम कर
दिया है - चलो ठीक है।
-
लेकिन इसका ये तो मतलब नहीं, कि आप जब
इत्मीनान से जब चाहें जिस वकत उठें, राजा साहब
जैसे - उनकी बसिस लेके चले आये।
-
ये तो ऐसे ही हो गया कि दूसरे की गाड़ी
मारी और चले आये।
-
अब एक ही बस आपके लिए है।
वो वहाँ जाएगी और आएगी।
-
अब सवेरे के टाइम आप लोगों को - ये लोग सवेरे
उठके ध्यान करते हैं। उनसे कुछ सीखिए।
-
एक तो उनसे सीखना चाहिए कि कायदा-कानून,
डिसिप्लिन इनमें कितना है।
-
दूसरी बात ये है कि वो आपका आराम देखते हैं,
अपना नहीं देखते हैं।
-
एक बस आपके लिए हमने तय कर ली, बस।
उससे ज़्यादा हम दे नहीं सकते हैं।
पैसा कौन देगा?
-
एक बस का हम आपको नंबर बताएंगे।
वो बस आगे जाएगी, आएगी
-
नहीं तो आप पैदल आइए, कौन सी आफत है।
चलिए थोड़ा, अच्छा है सेहत के लिए।
-
सवेरे के वक्त बस आएगी। हम चाह रहे हैं कि
सवेरे के बस, वक्त में आप वहीं रहिए,
-
वहीं आप नहा-धो कर तैयार हो जाइए और
वहीं आपके लिए नाश्ता आ जायेगा।
-
या आप अगर चाहें तो यहाँ आ जाइए एक बस में
- आप कोई ज़्यादा लोग नहीं हैं
-
एक सौ दस लोग हैं आप सिर्फ; दो बस में
आप आ सकते हैं।
-
एक बार बस जाएगी, आ जाएगी, फिर आप जाएंगे
फिर आ जाएंगे, पर बाकी बसिस को आप
मत छुइए
-
- उस सब का मुझे पैसा देना पड़ेगा।
आप लोग देंगे क्या पैंतालीस हज़ार रुपया?
-
आपसे किसने कहा इन बसिस में बैठने के लिए?
आप जिस उस बस में चढ़ के चले आये।
-
कोई कायदा-कानून होना चाहिए। पूछना चाहिए
कि, 'कौन सी बस में जाएँ कौन से में नहीं जाएँ,"
-
अब आप मेहरबानी करिए। आप सिर्फ
जो बस आपके लिए है
-
उसी बस में आप सवेरे के वक्त में बैठिए
यहाँ आइये अपना नाश्ता कर...
-
[मराठी]
-
आपका वहीं नाश्ता आ जायेगा लेकिन नवाब
के जैसे रहने की ज़रुरत नहीं।
-
सवेरे चट से उठके नहा-धो लिया, ध्यान कर
लिया और ध्यान के बाद में
-
वहीं नाश्ता आ जाएगा। वो नाश्ता आपको
साढ़े आठ बजे वहाँ मिल जाएगा।
-
साढ़े आठ से साढ़े नौ तक आप वहाँ पर
नाश्ता कर के और एक बस है
-
और अगर आप उस बस में नहीं आ सकते हैं,
तो आप पैदल आइए मेहरबानी से।
-
बम्बई के लोग, पूना के लोग, और दिल्ली के लोग -
पूना और बम्बई के लोग तो मालगुन में रह रहे हैं
-
आप लोग वहाँ रह रहे हैं कबूल है। लेकिन इसका
मतलब नहीं कि आप उनकी बसिस ले के
चले आएं आराम से।
-
पूछना चाहिए कि, "कौन सी बस हमारी है,
कौन से बस से हम आएंगे।"
-
पहली बात। दूसरे कौन से टाइम से आना चाहिए।
अभी वो लोग सब लटके,
-
चार घंटे से बैठे हैं, किसी ने पूछा भी नहीं
कि, 'वो लोग आये कि नहीं आये।'
-
चार घंटे से वो लोग खड़े हुए हैं। अपने बैठ
लिए, कोई आपको मतलब ही नहीं किसी से।
-
आराम से आ के यहाँ जम गए। आप लोग यहाँ
मेहमान नहीं हैं। ये आपका देश है हिंदुस्तान।
-
यहाँ पर बाहर से लोग आये हुए हैं। हिंदुस्तान में
आप हैं और हिंदुस्तान के किनारे पे अभी तक
समुद्र में उतरे नहीं।
-
समझे ना आप। मेहरबानी करिए, मुझे बड़ा दुःख
लगता है सोच कर के, ये लोग बेचारे वहाँ लटके
हुए चार घंटे से खड़े हैं।
-
आप लोग पहले, 'चलिए घुस-घुस के चलो,
चलो जल्दी चलो।'
-
वो कह रहे हैं कि, 'सब लोग घुस गए पहले ही,
हम क्या करें, जंगली के जैसे।
-
हम लोग सहज योगी हैं; रास्ते पर के कोई
वो तो नहीं हैं, भिखारी लोग।
-
कायदा, कानून कुछ ना कुछ होना चाहिए।
-
अब मेहरबानी से, आप लोग किसी की बस में
नहीं चढ़ने वाले - सिर्फ आप की एक बस है।
-
इधर से नंबर क्या है, तुम्हारा बस का?
एक बस का नंबर [मराठी]
-
एक तो हम लोग ऐसी जगह आए हैं,
जहाँ कुछ भी नहीं मिलता है।
-
ना कोई खाने-पीने की चीज़ें मिलतीं हैं न ही कुछ।
ये सब चीज़ें कोल्हापुर से आ रहीं हैं।
-
इसलिए यहाँ आए हैं, कि ये हमारे लिए एक
यात्रा है - क्षेत्र में हम आए हुए हैं।
-
और इस जगह हम लोग मेहमान नहीं हैं
- ये लोग मेहमान हैं।
-
वैसे भी मैं देखतीं हूँ कि सब दिल्ली वाले और
बम्बई वाले सामने बैठ जाएंगे ये लोग अपने
पीछे में बैठे हुए हैं।
-
अरे भई, ये कोई तरीका होता है किसी
मेहमानों के साथ ये करने का, व्यवहार करने का?
-
सबसे पहले हम लोग बैठ गए। खाना हम सबसे
पहले हम खाएंगे, वो लोग बाद में खाएंगे
- ये कोई तरीका होता है?
-
हम लोग तो मशहूर हैं दुनिया में मेहमान
नवाज़ी के लिए, तौर तरीके के लिए,
-
हम लोगों को दुनिया मानती है इस चीज़ के लिए,
लेकिन सहज योग में आते ही साथ उल्टी
खोपड़ी क्यों हो जाती है?
-
कल से कायदे से आप लोग बिल्कुल इनके ऊपर
आक्रमण नहीं करने वाले हैं किसी भी तरह का।
-
और ना ही इनके बसिस में घुसने वाले हैं;
सिर्फ आपके लिए एक बस रक्खी है,
-
उसमें आप आइए, नहीं तो मेरे पास इतना
उनको देने के लिए पैसा नहीं है।
-
[निगम साहब, निगम साहब] बहुत कुछ सीखने
का है - यहाँ आप सीखने आए हैं
-
अपनी जान बचाने के लिए नहीं आए हैं।
पैदल चलने में क्या हर्ज़ है जवान लोगों को।
-
थोड़े पैदल चले तो क्या हर्ज़ हो जाएगी।
आप लोगों के वहाँ नखरे ही नहीं मिलते हैं।
-
सुनते हैं कि एक आदमी, औरतों के तैयार
होने में ही चार-चार घंटे लग रहे हैं।
-
आप निगम साहब ऐसा करिए, एक बस रखिए।
उसमें एक ही बस आपके लिए है। उस बस से सब
लोग आयें और सब लोग जाएँ।
-
नहीं तो हम चाहते हैं तो हम कहीं और
आपको रखा देते हैं, अच्छा रहता है।
-
अब कल हम सोच ही रहे हैं कि आप लोगों को
कहीं और रखा दें जिससे ये तकलीफ नहीं होगी।
-
उनके बसिस उनके लिए रहने दीजिए। वो आ के
पड़ीं हुईं हैं यहाँ बसें - वो लोग रस्ते में लटके
चार घंटे से बैठे हैं।
-
ये कोई अच्छी बात तो नहीं है। पैसे बेचारे देते हैं।
उनके पैसे के दम पर आज सहज योग चल
रहा है - आप जानते हैं।
-
और इन लोग सब बता रहे थे कि वहाँ से सब
ढ़केल-ढुकेल के ये लोग बैठ गए आगे में
- हम को जगह ही नहीं मिली है।
-
और बसिस आ के यहाँ रोक लीं, ये भी नहीं
सोचा कि बसिस वापस गईं कि नहीं गईं
- वो लोग खड़े हैं वहाँ।
-
हाँ, आप देखिए सारी बसिस यही खड़ीं हुईं हैं।
आकर आराम से बैठ गए यहाँ पर सब -
दिल्ली वाले, बम्बई वाले, पूना वाले।
-
मुझे दुःख ये लगता है, कि ये लोग इतनी दूर से
आये हैं बेचारे, सारा महीना भर ये प्रवास करते रहे,
तकलीफें उठाईं हैं।
-
आराम पसंदगी जो है, ये सहज योग का
लक्षण नहीं है।
-
जो आदमी आराम पसंद है,
वो सहज योगी हो ही नहीं सकता है।
-
फिर वो बताएंगे कि हम आये, तो वहाँ इतनी
देर हमको तकलीफ़ हुई, फिर ये हुआ।
-
जो आदमी को तकलीफ़ होती है,
वो सहज योगी नहीं है।
-
सहज योग में आत्मा का आनंद है, उसका आराम
है, उसका सुख है। उसके लिए कोई तकलीफ़
नहीं होनी चाहिए,
-
कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए,
उसी के आनंद में विभोर रहना चाहिए।
-
और अगर अपना अभी भी यहाँ आराम है -
मैंने सुना कि बड़े झगडे हो रहे हैं
-
कि कौन डारमेट्री में रहेगा, कोई कहाँ रहेगा,
कौन कहाँ रहेगा - ये तो गलत बात है।
-
कम से कम जो लोग अब टेंट में हैं, उनमें कोई
अगर बुजुर्ग हों तो ठीक है; उनको डारमेट्री में जाने
दीजिए, बाकी आप वहीं रहिए।
-
अगर आपका शरीर आपको सताता है, तो उसको
ज़रा ठिकाने लगाइये। उसको समझाना होगा।
-
कोई आपको मैं हिमालय पे जाने को नहीं कह रहीं
हूँ, कि ठंडी हवा में जाकर के, वहाँ पे नंगे बदन
आप एक पाँव पे खड़े होइए।
-
इतनी बात नहीं है। लेकिन शरीर के चोचले चलाना
बेकार के, सहज योग में नहीं हो सकते हैं और नहीं
होने चाहिए। ऐसी कोई आफत नहीं है।
-
आप कहीं और जगह जाइए, शन्नो देवी जाइए, कोई
जगह जाइए, तो चढ़ना पड़ता है आपको सात-सात
मील - उसके लिए ठीक है।
-
शरीर को थोड़ा सा श्रम देने से कोई आफत
नहीं आने वाली है।
-
और कोई बड़ी भारी ऐसी श्रम की भी बात नहीं है;
अच्छी ठंडी हवा चल रही है - चले आये
टहलते-टहलते।
-
और इतनी ज़्यादी तैयारी करने की और इतने
सजने-धजने की भी कोई ज़रुरत नहीं है।
-
आज कोई पूजा नहीं है, कुछ नहीं है, समझ में नहीं
आता है। वो कह रहे हैं कि, कोई भी आदमी
टाइम से नहीं आता है।
-
खड़े हैं बस वाले वहाँ। एक भी अभी चढ़ नहीं
रहा है - ये तो गलत बात है। सामूहिकता कम है
इसलिए ऐसा होता है।
-
अब आपके लिए, आपने कहा कि, "हम एक
तारीख़ को आना चाहते हैं," हमने कहा कि,
"अच्छा आइये, सर आँखों पर आइए।"
-
अब इसका मतलब नहीं कि आप मेहमान हो के
यहाँ आ रहे हैं। एक तारीख़ को आए हैं, तो व्यवस्था
आप करिए।
-
देखिए क्या हो रहा है, क्या नहीं - आप क्या
मदद कर सकते हैं?
-
आप लोगों से कहीं, कहीं अधिक इन लोगों
ने रुपया दिया हुआ है।
-
और इस बार आठ लाख करीब पैसा बच जाएगा।
-
हर साल इन्हीं के पैसे से हम लोगों को फ़ायदे हुए
हैं। ये मैं नहीं कहती कि पैसा ही सब कुछ है,
-
पर ये मेहमान हैं। कल अगर आप इनके देश में
जाएंगे, तो ये कभी ऐसा नहीं करेंगे।
-
आपकी व्यवस्था पहले करेंगे।
सब लोग घुस के चले आए।
-
कल सवेरे, आप लोग सब सवेरे उठके और
आठ बजे तक ध्यान में जाएँ।
-
आठ से नौ तक ध्यान होने के बाद
[मराठी ]
-
नौ बजे आपको वहाँ पर नाश्ता मिलेगा।
अब ये नहीं कि एक बैठे हैं तो दो नहीं बैठे।
-
जिसको, नौ बजे वहाँ नहीं आएगा, उसको नाश्ता
नहीं मिलेगा। यहाँ से नाश्ता वहाँ चला जाएगा।
-
उसके बाद दस बजे तक आप लोग यहाँ
तशरीफ़ ले आएं।
-
नौ से दस तक आपको टाइम है, आप तब तक
नाश्ता कर लें, सब कुछ कर के आप यहाँ दस बजे
-
वहाँ से चल दें आपके लिए एक बस है, वही बस
आएगी, उससे आप यहाँ पहुँच जाइए
-
फिर वो बस हम वापस कर देंगे,
फिर उससे आप यहाँ आइए।
-
इस तरह से एक ही बस से आप आइए और
जाइए। छह बस का पैसा हम लोग नहीं
दे सकते हैं।
-
उसमें भी और बात है, कि ग्यारह घंटे से ज़्यादा
अगर किसी ड्राइवर पे काम पड़ा, तो उसका
डबल पैसा देना पड़ता है।
-
यहाँ पर प्रोग्राम कल से ग्यारह बजे से शुरु होगा।
ग्यारह बजे यहाँ सब लोग पहुँच जाएँ।
-
ग्यारह बजे से एक बजे तक यहाँ प्रोग्राम होगा।
उसमें जो भी हम करें भाषण दें, जो भी करें, करेंगे।
-
कल से ठीक से प्रोग्राम शुरु हो जाएगा। और
उसके बाद आपको ज़रुरत नहीं कि आप जाएँ।
-
यहीं आप खाना खाइए और चाहें तो यहीं लेट
जाइए। चाय-वाय पी के आप चले जाइए।
-
चाय पी कर आप जाइए वहाँ, तैयार-वैयार हो
जाइए शाम के वक्त में और उसके बाद
-
आप वहाँ से करीबन छह बजे के करीब आप चल
दीजिए, छह, साढ़े छह बजे तक।
-
सो यहाँ पर आपका प्रोग्राम छह बजे से शुरु होगा
- छह, सात, आठ बजे तक।
-
और उसके बाद में नौ बजे तक, साढ़े नौ बजे तक,
चाहे दस बजे तक, आपका खाना-पीना हो के,
दो घंटे का म्यूजिक प्रोग्राम होगा।
-
इस तरह की व्यवस्था है - या छह, सात, आठ
[मराठी]
-
[मराठी]
-
इस प्रकार काम हो सकता है। ज़्यादा से ज़्यादा
यहाँ से वहाँ चल के जाने में आधा घंटा लगेगा
-
लेकिन अब हम लोगों को कुर्सियों की आदत हो
गई - हम चल ही नहीं सकते इतना।
-
बरहाल, मैं नहीं कह रही आप चलिए। पर कम से
कम ये तो समझ लीजिए,
-
कि आप हरएक बस में बैठ जाएँ तो
मेरी तो हालत खराब हो जाएगी।
-
पिछली मर्तबा यही सब करके बड़े आफ़त
में मुझे डाल दिया आपने।
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी] 7965
-
अच्छा गाड़ी का नंबर - 7965;
ड्राइवर साहब का नंबर है, मिस्टर पाटिल।
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
[मराठी]
-
और इनसे ये कहते हैं, और हमने कहा तो
डिस्कशन करते हैं
-
[मराठी]
-
अब हमें नाराज़ नहीं करना चाहिए -
प्रसन्न रखना चाहिए देवी को।
-
प्रसन्न रखना चाहिए और प्रसन्नता होती है
मनुष्य में जब तपस्विता आती है।
-
आरामदेह लोग सहज योग नहीं कर सकते हैं।
झगड़ा कर सकते हैं, आर्ग्यू मेन्ट कर सकते हैं,
-
बकवास कर सकते हैं, सब तरह की लाँछनास्पद
बातें कर सकते हैं,
-
लेकिन आरामदेह लोग जो होते हैं,
वो सहज योग नहीं कर सकते हैं।
-
आप लोगों को एक बार यहाँ आने के बाद
यहीं रहना चाहिए।
-
खाना खाने के बाद यहीं रह जाइए। चाय पीना हो
तो, क्योंकि अब चाय ले के आपका कौन भागेगा?
-
[मराठी]
-
हाँ, तो ये कह रहे हैं कि यहाँ खाना खा के, एक बस
है वो आपको ले जायेगी, वही बस फिर आपको
दूसरी पार्टी को ले जाएगी
-
और उसी के साथ वो चाय भी भेज देंगे, फिर
आप वहाँ चाय पी लीजिए और चाय पीने के बाद
उसी बस से आप लोग आइए।
-
और मेरी ताकीद है कि कोई भी इंसान, जो कि
हिंदुस्तानी है, उसको कायदे से एक ही बस
में आना चाहिए।
-
नहीं तो ये लोग रिपोर्ट कल करेंगे और बहुत रुपया
देना पड़ेगा। ये भी तो आप ही के बस वाले हैं।
-
और ये आप ही की सरकार है और आप ही का
खर्चा है। इतना बड़ा-बड़ा खर्चा मुझे बता देते हैं,
मैं क्या करूँ?
-
समझ गए? तो अब मेहरबानी करिए, अपने मन से
किसी भी बस में बैठने का आपको अधिकार
नहीं है।
-
सिर्फ एक बस आपके लिए तय कर दी;
उसका जो भी पैसा हो हम दे देंगे।
-
आपको नहीं देना हो तो मत दे ओ।
एक बस - समझे ना आप?
-
इनसे कोई एक रुपया लेने की ज़रुरत नहीं
- बेकार है। वो हिसाब हम कर लेंगे।
-
लेकिन जो लोग बस में नहीं आये, वो वहीं रह
जाएंगे। वो दूसरे की बस में नहीं आएं
मेहरबानी करके।
-
एक भी आदमी अगर दूसरे बस में बैठेगा,
तो उसका मुझे बहुत कुछ देना पड़ेगा।
-
इसलिए आप मेरे ऊपर मेहरबानी करें। पिछली
मर्तबा भी ऐसा हुआ था, इस मर्तबा भी
ऐसा हो रहा है।
-
जो बुजुर्ग लोग हैं उनको चाहिए कि वो डॉरमिटरी
में शिफ्ट हो जाएंगे, जहाँ भी जाना है
-
और जो लोग आ रहे हैं, वो भी डॉरमिटरी में रहेंगे।
वहाँ पर एक बस रहेगी आपके लिए। उससे आप
आइए, जाइए - एक बस काफ़ी है।
-
दिल्ली में भी तो आप लोग लाइन से खड़े रहते हैं
घंटों। यहाँ पर क्या नवाब साहिबी आ गई क्या?
-
अच्छा, [अस्पष्ट - बैर?] जो भी हो। आज अच्छी
शुरुआत नहीं हुई, मुझे बहुत दुःख हो रहा है।
-
बेचारे चार घंटे से वहाँ लटक के खड़े हुए हैं।
किसी को आपने आने नहीं दिया और यहाँ ला
के बस छोड़ दी - बड़ी दुःख की बात है।
-
इसलिए आप मन में अब माफ़ी माँगिए
और कहिए कि,
-
"अगले वकत से ऐसा काम नहीं करेंगे माँ, ये बड़ी
गलत बात हो गई और इससे बड़ा दुःख होता है।"
-
अब अगले प्रोग्राम आपको मैं बताती हूँ
जिसको आप सुन लीजिए।
-
अगले प्रोग्राम में हम लोगों का प्रोग्राम
जो है वो इसी प्रकार होगा जैसे मैंने कहा।
-
कि सवेरे उठके मैडिटेशन होगा, फिर आप यहाँ
ग्यारह बजे तक आ जाइए,
-
नाश्ता-उश्ता करके आप यहाँ पहुँच जाइए
और खाना होने तक आप यहाँ रहिए।
-
उसके बाद जाइए, आप आराम करिए, उसके
बाद चाय पीजिए और चाय-वाय पीकर के
-
और आप फिर से आप शाम को यहाँ पर आते
वक्त याद रखिए, कि यहाँ छह बजे तक
पहुँच जाना है।
-
तो वहाँ बस आएगी, पहले बस से छह बजे
आ जाना फिर दूसरी बस से आ जाना,
-
और फिर हम लोग छह, साढ़े छह से
प्रोग्राम यहाँ शुरू करेंगे।
-
ऐसे टाइम ज़्यादा नहीं लगता है; सिर्फ बात ये है
कि उनकी परवाह नहीं है आप लोगों को।
-
उनकी परवाह करनी चाहिए, पूछना चाहिए,
'आपने चाय-पानी कुछ लिया या नहीं लिया।'
-
और कल से इसी तरह से प्रोग्राम होगा। कल चार
तारीख़ तो है नहीं, कल तीन है ना - कल तीन
तारीख़ है ।
-
तीन तारीख़ को और भी लोग आ रहे हैं। और तीन
तारीख़ को जिन लोगों को शिफ्ट करना है
-
उनको शिफ्ट कर दिया जायेगा और आप लोगों के
भी जो तम्बू हैं, वो यहाँ ला के लगा दिए जाएंगे।
-
इसलिए बेहतर होगा कि आप लोग कल यहाँ पर
चाय के बाद, नाश्ते के बाद वहीं रहें।
-
और आपका - क्योंकि आपके तम्बू वहाँ से हटने
वाले हैं। और आपका जो सामान है -
-
अब जैसे ये लोग आए परदेसी, तो ये सब
सामान अपने हाथ में उठा के ले गए।
-
आप लोगों के लिए टेम्पो लाना पड़ा, क्योंकि आप
लोग हाथ में सामान तो कभी उठाते नहीं।
-
आज तक कभी किया ही नहीं कोई कुली थोड़ी हैं।
सब हमारे यहाँ तो प्राइम मिनिस्टर हैं।
-
तो उसके लिए भी आप लोग वो ही जो बस है,
उस बस में आप सामान डाल के इधर ले आएं।
-
यहाँ पर तम्बू गाड़ दिए जाएंगे;
तम्बू कल उखाड़ दिए जाएंगे सवेरे।
-
जब आप मैडिटेशन में जाएंगे, उससे पहले तम्बू
उखाड़ कर के और इधर लगा दिए जाएंगे,
-
जिससे आपको बाथरूम की भी सहूलियत हो
जाएगी और सारा इंतज़ाम हो जायेगा।
-
तो यहाँ से खाना खाने के बाद आप जा कर
के वहाँ रहें।
-
अब आपका जो सामान है, वो सामान जो है,
उसको आपको पहुँचाना होगा उन तम्बुओं में,
खाना खाने को जाने से पहले।
-
सो कल सवेरे के प्रोग्राम में आप लोग एक ही
प्रोग्राम करें, कि अपनी व्यवस्था वहाँ से हटाकर
तम्बुओं में कर लें।
-
सो कल सवेरे उठते ही आप लोगों का एक
काम होगा कि
-
- ये लोग चाहे जो भी करें,
क्योंकि ये तो वहीं स्थित हैं -
-
अपना सब सामान बाँध लें, सब ठीक-ठाक
कर लें और तैयारी में रहें,
-
कल तम्बू गिराए जाएंगे और तम्बू इधर
डाल दिए जाएंगे।
-
और इस जगह आपका इंतज़ाम हो जायेगा,
जहाँ बाथरूम्स बहुत सारे हैं
-
आपको परेशानी नहीं होगी; सिर्फ आपको
अपना सामान उठा के इधर लाना है।
-
वो लोग, वो आप उठा सकते हैं, ये नहीं उठा सकते
हैं। अच्छा, हाथ उठाओ जो-जो उठा सकते हैं।
-
बस दो ही आदमी और कोई नहीं?
औरतें क्या, औरतें क्या नहीं उठाएँगीं?
-
चलो उठा के लाओ। कोई इंतज़ाम ही नहीं ना यहाँ
पे। सामान उठाने का और कोई इंतज़ाम
जो नहीं है सो क्या किया जाए?
-
[मराठी]
-
अच्छा एक टेम्पो आ जाएगा। जो लोग बिल्कुल ही
नहीं उठा सकेंगे उनके लिए एक टेम्पो आ जाएगा।
-
ऐसे फॉरिनेर्स [विदेशी लोग] भी आपकी
मदद कर देंगे।
-
हम सभी लोगों से, जो कि अन्य देशों से यहाँ
इतनी दूर आए हुए हैं, एक बात का अनुरोध
करना चाहते हैं,
-
देखिए, मुझे खेद है कि इन लोगों को कोई उचित
दिशा-निर्देश नहीं दिया गया
-
और इन्होंने सभी बसों पर कब्जा कर लिया
और इतने सारे विदेशी पीछे छूट गए।
-
विदेशियों के लिए पाँच बसें हैं, केवल एक बस
इन लोगों के लिए, पाँच बसें