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जब हम किसी संक्रमण से
ग्रस्त हो जाते हैं,
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तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र
एंटीबॉडी उत्पन्न करके
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खतरे को विशेष रूप से याद रखता है।
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ये रक्त और पूरे शरीर में संचरण करने वाले
प्रोटीन होते हैं;
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वे आक्रमणकारी के सम्पर्क में आने पर
उसे तुरंत पहचानकर निष्क्रिय कर देते हैं,
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और इस तरह बीमारी को
रोक देते हैं या कम कर देते हैं।
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इसलिए हम एक ही कीटाणु से
दो बार बीमार नहीं होते हैं।
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हम प्रतिरोधी बन जाते हैं।
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टीके इसी प्रक्रिया का अनुसरण करते हैं,
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वे हमारे बीमार पड़े बिना
हमारे प्रतिरोधी तंत्र को
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एंटीबाॅडी बनाने के लिए
प्रोत्साहित करते हैं।
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SARS-CoV-2 टीकों के कुछ प्रसिद्ध
प्रत्याशी
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"mRNA टीके हैं,"
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जो विषाणु की सतह पर स्थित मुख्य स्पाइक प्रोटीन
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को फॉरमूला बनाने के लिए
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आनुवंशिक खाके के समावेश पर आधारित हैं।
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इसे जब मनुष्यों के भीतर डाला जाता है, तो
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यह हमारी अपनी कोशिकाओं को
स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है।
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बदले में शरीर स्पाइक प्रोटीन के विरुद्ध
एंटीबॉडीज़ बनाता है
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और वे हमें वायरल संक्रमण से बचाती हैं।
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पारंपरिक तरीकों के मुकाबले यह रणनीति
अधिक तेज होती है
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जिनमें एक जीवित विषाणु के कमजोर या
निष्क्रिय प्रकार को उत्पन्न करना
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या बड़ी मात्रा में स्पाइक प्रोटीन बनाना
शामिल होता है
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यह तय करने के लिए कि वे
एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को पैदा कर सकते हैं।
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जब कोई सक्षम टीका खोज लिया जाता है
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तो उसे उसे लोगों को देने से पहले
परखने के कई तरीके होते हैं।
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सबसे पहले पूर्व नैदानिक परीक्षण होते हैं,
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जिनमें प्रयोगशाला में होने वाले और
पशुओं के साथ होने वाले प्रयोग होते हैं।
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वैज्ञानिकों को सुनिश्चित करना होता है कि
टीके का प्रत्याशी
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प्रभावशाली ही नहीं बल्कि सुरक्षित भी है।
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जैसे कि एक अनुपयुक्त टीके के प्रति
एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया
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बहुत दुर्लभ परिस्थितियों में
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संक्रमित होने का खतरा बढ़ा सकती है।
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जब सक्षम टीका आवश्यक पूर्व नैदानिक
परिणाम प्राप्त कर लेता है
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तब एक छोटे समूह में नैदानिक परीक्षण
शुरु किए जा सकते हैं।
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जैसे जैसे टीका प्रत्याशी प्रगति करता है,
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उसे वैज्ञानिकों और चिकित्सकों द्वारा
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उसकी क्षमता और खुराक की निगरानी करते हुए
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अधिक लोगों पर परखा जाता है।
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नैदानिक परीक्षणों में सफल होने पर
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नियामक ऐजेन्सियों, जैसे कि एफडीए, को
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टीका प्रत्याशी की समीक्षा करनी होगी
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और उसे स्वीकृति देनी होगी
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इससे पहले कि उसका बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण शुरु हो
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और अनुज्ञापित टीके को व्यापक स्तर पर लगाया जाए।
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उपशीर्षक अजय सिंह रावत द्वारा
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