मेरा अंतर्दृष्टि का स्ट्रोक
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0:00 - 0:02मैंने मस्तिष्क अध्ययन को अपना करिअर चुना
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0:02 - 0:04क्योंकि मेरा एक भाई है ,जो
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0:05 - 0:07सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित हैं
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0:07 - 0:11एक बहन और एक वैज्ञानिक के रुप में
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0:11 - 0:16मै समझना चाह्ती थी
कि ऐसा क्यो है कि मै अपने सपनो को लेकर -
0:16 - 0:18वास्तविकता से जोड सकती हूं,
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0:18 - 0:21और मै अपने सपनो को सच कर सकती हूं?
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0:21 - 0:24ऐसा क्या है मेरे भाई के मस्तिश्क
और सिज़ोफ्रेनिया को लेकर -
0:25 - 0:30कि वो अपने सपनो को साधारण वास्तविकता से
क्यो नही जोड पाता, -
0:30 - 0:32जो उसके बजाए भ्रम मे परिवर्तित हो जाते है?
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0:32 - 0:37मैने अपना करियर गम्भीर मानसिक बिमारिओ
मे अनुसन्धान करने मे समर्पित कर दिआ । -
0:37 - 0:41और मै अपने होम स्टेट
इन्डियाना से बोस्ट्न चली गई, -
0:41 - 0:44जहा मै हार्वर्ड डिपार्टमेन्ट
औफ़ सायकाय्ट्री के -
0:44 - 0:47डाक्टर फ़्रैन्सीन बेनिस की
लैब में काम कर रही थी. -
0:47 - 0:50और लैब मे हम ये जानने का
प्रयास कर रहे थे कि, -
0:50 - 0:53"क्या जैविक असामानताएंं हैं
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0:53 - 0:57उन लोगो के मस्तिश्क के बीच में
जो कि साधारण हैं, -
0:57 - 1:00और उन व्यक्तियो के मस्तिश्क की तुलना मे,
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1:00 - 1:05जो कि सिज़ोफ्रेनिया, सिज़ोइफ़्फ़ेक्टिव
या बाईपोलर डिसोर्डर से ग्रसित हैं?" -
1:05 - 1:09तो हम मुख्यता मस्तिश्क के
माइक्रो सर्किटरी का मानचित्रण कर रहे थे: -
1:09 - 1:12कि कौन सी कोशिकायें किन कोशिकाओ
के साथ संवाद कर रही हैं, -
1:12 - 1:14किन कैमिकल्स के द्वारा,
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1:14 - 1:17और उन कैमिकल्स की कितनी मात्रा में?
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1:17 - 1:19मेरा जीवन बहुत अर्थपूर्ण था
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1:19 - 1:23क्योकि मै दिन के समय
इस प्रकार का शोध कर रही थी, -
1:23 - 1:26एवं शाम और सप्ताहांत में,
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1:26 - 1:32मैं NAMI, द नैशनल अलाएंस और
मैण्टल इलनैस के वकील के रूप मे कार्यरत थी। -
1:32 - 1:35किन्तु १० दिसम्बर, १९९६ की सुबह को,
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1:35 - 1:39मैं उठी और पाया कि
मुझे भी मस्तिश्क सम्बन्धी विकार है। -
1:39 - 1:44मेरे दिमाग के आधे बांए हिस्से में
एक रक्त वाहिका फट गयी। -
1:44 - 1:46और अगले चार घन्टे के दौरान,
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1:46 - 1:49मैने अपने मस्तिश्क को पूरी तरह से
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1:49 - 1:53किसी भी जानकारी को प्रोसेस करने की
क्षमता को खोते हुए पाया। -
1:53 - 1:55हैमरेज होने की सुबह,
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1:55 - 2:00मेरे लिए चलना,बात करना,पढना,लिखना कुछ
भी जीवन से सम्बन्धित याद कर पाना असम्भव था। -
2:00 - 2:04मै पूर्णत: एक शिशु बन गयी
एक महिला के शरीर मे। -
2:05 - 2:08अगर आपने कभी मानव मस्तिश्क को देखा है,
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2:08 - 2:12तो यह स्पश्ट है कि मस्तिश्क के दो हेमीस्फेयर
एक दूसरे से पूरी तरह अलग हैं। -
2:12 - 2:14और मैं आपके लिए
एक असली मानव मस्तिश्क लाई हूंं। -
2:17 - 2:20(कराहते हैं, हंसते हैं )
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2:25 - 2:27तो यह एक असली मानव मस्तिश्क है।
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2:28 - 2:30यह दिमाग का अगला हिस्सा है,
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2:30 - 2:33यह पिछला
जिसके साथ स्पाइनल कौर्ड पीछे लटक रही है, -
2:33 - 2:37और इस प्रकार से
यह मेरे मस्तिश्क के अन्दर स्थित है। -
2:38 - 2:39और जब आप मस्तिश्क को देखेङ्गे,
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2:39 - 2:42तो यह स्पष्ट है कि दो सेरेब्रल कोर्टिसेस
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2:43 - 2:45एक दूसरे से पूरी तरह अलग हैं।
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2:46 - 2:48आपमें से उनके लिए
जो कम्प्यूटर्स को समझते हैं -
2:48 - 2:52हमारे मस्तिश्क का दाया भाग
एक पैर्लल प्रोसेसर की तरह काम करता है. -
2:52 - 2:56जबकि हमारा बांया भाग
एक सीरियल प्रोसेसर की तरह काम करता है। -
2:56 - 2:59दो हेमीफेयर एक दूसरे से
-
2:59 - 3:01कोर्पस कलोसम के द्वारा
कम्युनिकेट करते हैं, -
3:01 - 3:05जो कि कुछ ३०० मिलिअन
एक्सोनल फ़ाईबर से बना होता है। -
3:05 - 3:06किन्तु उसके अलावा,
-
3:06 - 3:09वो दो हेमीफेयर
पूर्णतया एक दूसरे से अलग होते हैं। -
3:09 - 3:13क्योंकि वो सूचना को
अलग तरह से प्रोसेस करते हैं, -
3:13 - 3:16प्रत्येक हेमीस्फेयर
अलग चीजों के बारे में सोचते हैं, -
3:16 - 3:20उनके लिए अलग-अलग चीजे महत्वपूर्ण होती हैं,
मै हिम्मत करके कह रही हूं, -
3:20 - 3:22कि दोनो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं।
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3:25 - 3:29माफ करें। धन्यवाद। यह मजेदार था।
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3:29 - 3:30सहायक: हां सच मे था।
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3:30 - 3:33(हंसी)
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3:33 - 3:38हमारा मस्तिश्क का दाया हेमीस्फेयर सिर्फ़ इस पल मे
क्या चल रहा है,इस जानकारी से सम्बन्धित है। -
3:38 - 3:42यह सिर्फ़ " यहां ,इस समय " की
जानकारी से सम्बन्धित है। -
3:42 - 3:45हमारे दिमाग का दाया भाग,
यह द्रिश्यों के रूप मे सोचता है -
3:45 - 3:49यह किनेस्थेटीकली
हमारे शरीर के मूवमेन्ट के द्वारा सीखता है। -
3:49 - 3:54इन्फ़ोर्मेशन एनर्जी के रूप मे,
सारे सेन्सरी सिस्ट्म के द्वारा -
3:54 - 3:56एक साथ प्रवेश करती है
-
3:56 - 3:59और फिर यह इस भव्य कोलाज मे
विस्फोटित होती हैं -
3:59 - 4:03जैसा यह पल दिखता है,
-
4:03 - 4:06जैसा यह पल गंध करता है
और स्वाद करता है, -
4:07 - 4:11जैसा यह महसूस होता है
और सुनाई देता है। -
4:11 - 4:16मै एक एनर्जी-बीइंग हूं जो कि
अपने चारो तरफ़ की एनर्जी से -
4:16 - 4:20मेरे दाये हेमिस्फेयर की
चेतना के द्वारा जुडी हूं। -
4:20 - 4:24हम उर्जा धारक जीव हैं
-
4:24 - 4:27जो कि हमारे दाये हेमिस्फेयर की
चेतना के द्वारा -
4:27 - 4:29एक दूसरे से मानव परिवार
के रूप मे जुडे हैं । -
4:29 - 4:34और यहां, इस वक़्त, हम भाई बहन
इस धरती पर -
4:34 - 4:37इस दुनिय़ा को बेहतर बनाने के लिए हैं।
-
4:37 - 4:43और इस क्षण में हम उत्तम हैं,
हम सम्पूर्ण हैं, हम सुन्दर हैं। -
4:44 - 4:49मेरा बांया हेमीस्फेयर, हमारा बांया
हेमीस्फेयर,एक बहुत विचित्र स्थान है -
4:49 - 4:53हमारा बांया हेमीस्फेयर रैखिक
और व्यवस्थित रूप से सोचता है। -
4:54 - 4:59हमारा बांया हेमिस्फेयर सिर्फ़
अतीत और भविष्य से सम्बन्धित है। -
4:59 - 5:02हमारे बांये हेमीस्फेयर को
इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि -
5:02 - 5:05यह वर्तमान पल के भव्य कोलाज को ले
-
5:05 - 5:10और उनका विवरण निकालना शुरू करे,
और उन विवरणो का और भी विवरण निकाले। -
5:10 - 5:14उसके बाद यह उस सारी जानकारी को
श्रेणीबद्ध करता है और संगठित करता है, -
5:14 - 5:18वो सभी चीजें जो हमने
अतीत में सीखी हैं उनसे जोडता है, -
5:18 - 5:21और भविश्य में सभी सम्भावनाओ को दर्शाता है।
-
5:22 - 5:26और हमारा बांया हेमीस्फेयर
भाषा के रूप मे सोचता है। -
5:26 - 5:31यह एक लगातार चलता हुआ वार्तालाप है
जो कि मुझे और मेरी आन्तरिक दुनिया को -
5:31 - 5:33बाहरी दुनिया से जोडता है।
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5:33 - 5:36यह वो छोटी सी आवाज है जो मुझसे कहती है कि,
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5:36 - 5:40''सुनो, घर आते समय केले लाना याद रखना.
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5:40 - 5:41मुझे वो सुबह मे चाहिए.''
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5:41 - 5:43यह वो गणनाकारी बुद्धिमता है
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5:43 - 5:47जो मुझे याद दिलाती है
कि मुझे लौण्ड्री करना है। -
5:47 - 5:52किन्तु शायद सबसे महत्वपूर्ण,
यह वो छोटी सी आवाज है जो मुझसे कहती है कि, -
5:52 - 5:55""मैं हूं, मै हूं "
-
5:55 - 5:59और जैसे ही मेरा बांया हेमीस्फेयर
मुझसे कहता कि "मैं हूं," -
5:59 - 6:01मै पृथक हो जाती हूं।
-
6:01 - 6:03मैं एक अकेली ठोस रूप की
व्यक्तित्व बन जाती हूं, -
6:03 - 6:06मेरे आस पास बहने वाली एनर्जी से पृथक
-
6:06 - 6:08और आपसे पृथक।
-
6:08 - 6:12और ये मेरे दिमाग का हिस्सा था
जो कि मैने स्ट्रोक की सुबह खो दिआ था। -
6:12 - 6:15स्ट्रोक की सुबह,
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6:15 - 6:20मै बांयी आंख के पीछे तेज दर्द के साथ उठी।
-
6:20 - 6:25यह उस प्रकार का दर्द था जो कि
आपके आईस्क्रीम मे बाईट लेने पर होता है। -
6:25 - 6:26और इसने मुझे जकड लिया --
-
6:27 - 6:29और छोड दिया।
-
6:29 - 6:31और फिर इसने जकडा--
-
6:31 - 6:33और फिर इसने छोड दिया।
-
6:33 - 6:37और यह मेरे लिए कभी भी, किसी भी प्रकार का
दर्द अनुभव करना बहुत ही असामान्य था, -
6:37 - 6:40मैने सोचा, "ओके, मैं अपना नोर्मल रूटीन
शुरु करती हूं" -
6:40 - 6:42तो मै उठी और अपने
कार्डिओ ग्लाइडर पर बैठ गयी, -
6:42 - 6:45जो कि एक फ़ुल-बौडी,
फ़ुल-एक्सरसाइस मशीन है। -
6:46 - 6:48और मै इस पर एक्सरसाइस कर रही हूं,
-
6:48 - 6:53और मै महसूस कर रही हूं कि
मेरे हाथ आदिम पञ्जो की तरह दिख रहे हैं -
6:53 - 6:56जो कि बार को पकड रहे हैं।
-
6:56 - 6:58और मैने सोचा, "यह बहुत अजीब है।"
-
6:58 - 6:59और मैने अपने शरीर को देखा
-
6:59 - 7:03और मैने सोचा,
"मै कैसी अजीब सी दिखने वाली चीज हूं।" -
7:03 - 7:06और ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरी चेतना
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7:06 - 7:08मेरी साधारण वास्तविकता
की धारणा से दूर हो गयी है, -
7:08 - 7:11जहां मै वो व्यक्ति हूं जो कि मशीन पर
-
7:11 - 7:13किसी अदभुत जगह का अनुभव हो रहा है
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7:13 - 7:16जहां मै खुद को इस प्रकार
का अनुभव करते हुए देख रही हूं। -
7:17 - 7:20और ये सब बहुत ही अजीब था,
और मेरा सर दर्द बढता जा रहा था। -
7:20 - 7:22इस्लिए मै मशीन से उतरी,
-
7:22 - 7:24और मै अपने लिविंग रूम के
फ़्लोर पर चल रही हूं, -
7:24 - 7:29और मै एहसास कर रही हूं कि
मेरे शरीर के अन्दर हर चीज धीमी पड गयी है। -
7:29 - 7:32और हर एक कदम बहुत ही कडा
और बहुत ही सुचिन्तित है। -
7:32 - 7:35मेरी चाल मे कोई लोच नही है,
-
7:35 - 7:38और यहां यह रुकावट है
मेरे धारणा के दायरे मे, -
7:38 - 7:41इस्लिए मै सिर्फ़ अपने
इण्टर्नल सिस्टम पर ध्यानकेन्द्रित हूं। -
7:41 - 7:43और मै अपने बाथरूम में खडी हूं
-
7:43 - 7:44शावर मे जाने के लिए तैयार हो रही हूं,
-
7:44 - 7:47और मै शरीर के अन्दर हो रही
बातों को सुन पा रही हूं। -
7:47 - 7:51मैने हल्की सी आवाज को कहते हुए सुना,
"ओके,तुम मांसपेशिओ, तुम्हे सिकुडना होगा। -
7:51 - 7:52तुम मांसपेशिओ,तुम रिलैक्स करो."
-
7:52 - 7:57और फिर मैने अपना बैलेन्स खो दिया,
और मै दिवार के सहारे झुक गयी हूं। -
7:57 - 7:59और मै अपनी बांह को देख रही हूं
-
7:59 - 8:04और मै एहसास कर रही हूं कि मै अपने शरीर
की बाउन्ड्री को अब डिफ़ाइन नही कर सकती। -
8:04 - 8:08मै यह डिफ़ाइन नही कर पा रही कि
मै कहां शुरु और कहां अंत हो रही हूं, -
8:08 - 8:10क्योंकि मेरी बांह के अणु और परमाणु
-
8:10 - 8:14दीवार के अणु और परमाणुओ से
ब्लेण्ड कर रहे थे। -
8:14 - 8:18जो कुछ भी मै डिटैक्ट कर पा रही थी
वो यह एनर्जी थी-- एनर्जी -
8:18 - 8:20और मै खुद से पूछ रही हूं,
"मुझे हुआ क्या है? -
8:20 - 8:22चल क्या रहा है?"
-
8:22 - 8:27और उस पल मे, मेरे बांए हेमीस्फेयर मे
हो रहा शोर बिल्कुल शांत हो गया। -
8:28 - 8:32बिल्कुल ऐसे जैसे किसी ने रिमोट कन्ट्रोल लेकर
म्यूट का बटन दबा दिआ हो। -
8:32 - 8:33एकदम शान्ति.
-
8:34 - 8:38और पहले तो मै खुद को एक शान्त दिमाग के
अन्दर पा कर बहुत ही आश्चर्यचकित थी। -
8:38 - 8:42पर फिर मै तुरंत मोहित हो गयी
-
8:42 - 8:45अपने आस-पास की एनर्जी के अदभुत एह्सास से।
-
8:45 - 8:49और क्योंकि मै अब अपने शरीर की मर्यादा
को अब नही पह्चान पा रही थी, -
8:49 - 8:53मुझे बहुत वृहद और विशाल महसूस हुआ।
-
8:53 - 8:56मुझे लगा कि मै उस सारी एनर्जी
के साथ एक हो गयी हूं, -
8:56 - 8:58और वहां सुन्दर लग रहा था।
-
8:58 - 9:01फिर अचानक से मेरा
बांया हेमीस्फेयर वापस जाग गया -
9:01 - 9:03और यह मुझसे कहता है,
"सुनो! यहां एक प्रोब्लम है! -
9:04 - 9:05हमें मदद लेनी चाहिए।"
-
9:05 - 9:07और मै जा रही हूं,
"आह! मुझे एक प्रोब्लम है!" -
9:07 - 9:09(हंसी)
-
9:09 - 9:11तो ऐसा है, "ओके, मुझे प्रोब्लम है"
-
9:11 - 9:15पर फिर अचानक से मै फिर से मै
अपनी कौन्शियसनेस मे वापस चली गयी-- -
9:15 - 9:19और मै इस स्पेस को प्यार से
ला ला लैण्ड बोलती हूं -
9:20 - 9:21पर वो जगह सुन्दर थी।
-
9:21 - 9:24इमैजिन करें कि कैसा होगा
पूरी तरह से डिस्कनेक्ट होना -
9:24 - 9:28अपने दिमाग के उस शोरगुल से
जो आपको बाहर की दुनिया से कनेक्ट करता है। -
9:28 - 9:30तो मै यहां इस स्पेस मे हूं,
-
9:30 - 9:34और मेरी जौब , और जौब से सम्बन्धित
सारा तनाव-- जा चुका था। -
9:34 - 9:37मुझे हलकापन महसूस हुआ अपने शरीर मे।
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9:38 - 9:41और कल्पना करें सभी रिश्तो की
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9:41 - 9:44और उनमे तनाव देने वालो की
-- वो जा चुके थे। -
9:44 - 9:47और मुझे इस शान्ति के भाव का एहसास हुआ।
-
9:48 - 9:51और कल्पना करे कि कैसा महसूस होगा अगर
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9:51 - 9:54आप 37 साल की भावनाओ का बोझ
आपके ऊपर से हट जाए! -
9:54 - 10:00(हंसी) ओह! मुझे यूफोरिआ का एहसास हुआ--
-
10:00 - 10:02यूफोरिआ.
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10:02 - 10:03खूबसूरत था यह।
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10:03 - 10:06और फिर से मेरा बांया हेमीस्फेयर
जाग गया और बोला, -
10:06 - 10:07"सुनो! तुम्हे ध्यान देने की जरुरत है।
-
10:07 - 10:09हमें मदद लेने की जरुरत है।"
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10:09 - 10:12और मै सोच रही हूं,"मुझे मदद लेने की जरुरत है।
ध्यान देना होगा।" -
10:12 - 10:14तो मै अपने शावर से निकली और मैने कपडे पहने
-
10:14 - 10:16और मै अपने अपार्ट्मेण्ट मे घूम रही हूं,
-
10:16 - 10:20और मै सोच रही हूं, "मुझे काम पर जाना है।
क्या मै ड्राइव कर सकती हूं?" -
10:20 - 10:21और उस पल में,
-
10:21 - 10:24मेरी दायी बांह पूरी तरह पैरालाइज हो गयी.
-
10:24 - 10:28फ़िर मुझे एहसास हुआ कि,
"ओह माई गौड! मुझे स्ट्रोक पडा है!" -
10:28 - 10:31और फ़िर मेरा दिमाग मुझसे कहता है कि,
-
10:31 - 10:33वाओ! यह कितना कूल है!
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10:33 - 10:35(हंसी)
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10:35 - 10:37यह बहुत कूल है!
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10:37 - 10:39कितने मस्तिश्क विशेषज्ञों को
-
10:39 - 10:42खुद के दिमाग को अन्दर से
समझने का अवसर मिलता है?" -
10:42 - 10:44(हंसी)
-
10:44 - 10:48और फ़िर मेरे दिमाग मे आया,
"पर मै तो बहुत ही व्यस्त महिला हूं" -
10:48 - 10:49(हंसी)
-
10:49 - 10:51" मेरे पास किसी स्ट्रोक के लिए
समय नही है!" -
10:51 - 10:54तो मैने कहा,
"ओके, मै स्ट्रोक होने से नही रोक सकती, -
10:54 - 10:58तो मै ऐसा एक दो हफ़्तों के लिए करती हूं,
और फ़िर मै अपने रूटीन पर वापस आ जाउंगी.ओके. -
10:58 - 11:00इस्लिए मुझे मदद बुलाने की जरूरत है.
मुझे औफ़िस कॉल करना चाहिए।" -
11:00 - 11:02मुझे औफ़िस का नम्बर याद नही आ रहा था,
-
11:02 - 11:06तो मुझे याद आया,मेरे यहां के औफ़िस मे
एक बिजनेस कार्ड है जिसमे मेरा नम्बर है। -
11:06 - 11:11मै अपने बिजनेस रूम मे जाकर
तीन इंच का बिजनेस कार्ड का ढेर निकाला। -
11:11 - 11:12मै ऊपर वाले कार्ड को देख रही हूं
-
11:12 - 11:16जबकि मै स्पष्ट रूप से
अपनी दिमाग की आंखो से देख पा रही थी -
11:16 - 11:17कि मेरा बिजनेस कार्ड कैसा दिखता है,
-
11:17 - 11:20पर यह नही बता पा रही थी
कि यह मेरा कार्ड है कि नही, -
11:20 - 11:22क्योंकि मुझे सिर्फ़ पिक्सल्स ही दिख रहे थे।
-
11:22 - 11:26और वर्ड्स के पिक्सल्स बैकग्राउन्ड के
पिक्सल्स और सिम्बल्स के पिक्सल्स -
11:26 - 11:29के साथ ब्लेण्ड हो रहे थे,
और मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. -
11:29 - 11:32और फिर जिसको मै वेव औफ़ क्लैरिटी बोलती हूं ,
का इन्तजार कर रही थी। -
11:32 - 11:37क्योंकि उस पल मे मै खुद को सामान्य वास्त्विकता
से दोबारा जोडने के लायक हो जाउंगी -
11:37 - 11:41और मै बता पाउंगी कि यह कार्ड नही है..
यह कार्ड नही है। -
11:41 - 11:47मुझे उस कार्ड के ढेर मे
एक इंच नीचे जाने मे 45 मिनट लग गये। -
11:47 - 11:49उस 45 मिनट के बीच मे,
-
11:49 - 11:51मेरे बांए हेमीस्फेयर मे हेमरेज बढ रहा है।
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11:52 - 11:54मुझे नम्बर समझ नही आ रहे,
मुझे टेलीफोन समझ नही आ रहा, -
11:55 - 11:56पर मेरे पास बस यही प्लान है।
-
11:56 - 11:59इस्लिए मैने फोन पैड उठाया
और मैने यहां रखा। -
11:59 - 12:01मैने बिजनेस कार्ड उठाया,
मैने यहां रखा, -
12:01 - 12:05मै कार्ड पर दिख रही
टेढी-मेढी लाइनो के शेप को -
12:05 - 12:08फोन पर दिख रही टेढी-मेढी लाइनो के
शेप से मैच कर रही थी। -
12:08 - 12:11पर मै फिर से अपने
ला ला लैण्ड मे पहुच गयी, -
12:11 - 12:15और याद नही मै कब वापस आयी, अगर मैने
उन नम्बरो को पहले ही डायल कर दिआ था तो। -
12:15 - 12:19तो मुझे अपनी पैरालाइज्ड बांह को
स्टम्प की तरह उठाकर -
12:19 - 12:23नम्बरो पर रखना पडा
जिससे कि मै उन्हे दबा सकूं, -
12:23 - 12:26और जिससे कि मै सामान्य वास्त्विकता
मे वापस आ सकूं, -
12:26 - 12:30मै खुद से कह सकूं कि,
"हां मैने नम्बर डायल कर दिया है।" -
12:30 - 12:34अंतत:, पूरा नम्बर डायल हो गया
और मै फोन को सुन रही हूं -
12:34 - 12:37और मेरा कलीग फोन उठाता है
और वो मुझसे कहता है, -
12:38 - 12:39"वू वू वू वू". (हंसी)
-
12:39 - 12:43(हंसी)
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12:43 - 12:45और मै सोचती हूं,
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12:45 - 12:48"ओह माई गौड, यह गोल्डन रिट्रीवर की तरह
सुनाई दे रहा है" -
12:48 - 12:49(हंसी)
-
12:49 - 12:53और मै उससे कहती हूं --
याद है मुझे, मै उससे कहती हूं: -
12:53 - 12:54" जिल , मुझे मदद चाहिए! "
-
12:54 - 12:58और मेरी आवाज ऐसी निकलती है,
"वू वू वू वू." -
12:58 - 13:01मै सोच रही हूं, "ओह माई गौड,
मै गोल्डन रिट्रीवर की तरह सुनाई दे रही हूं" -
13:01 - 13:03तो मुझे यह पता नही था
-
13:03 - 13:06कि मै भाषा को ना बोल और ना ही समझ सकती थी,
जब तक मैने प्रयास नही किया। -
13:06 - 13:10तो वह समझ जाता है कि मुझे मदद की जरुरत है
और उसने मुझे मदद पंहुचा दी। -
13:10 - 13:14और उसके थोडी देर बाद,
मै एक एम्बुलैन्स मे सवार हूं -
13:14 - 13:17बोस्टन के एक अस्पताल से
[मैस्च्युसेट्स] जनरल हॉस्पिटल जाने के लिए। -
13:18 - 13:20मै एक गेंद की तरह सिकुड के लेट गयी।
-
13:21 - 13:28और एक गुब्बारे की तरह
जिसमे जरा सी बची हुई आखिरी हवा, -
13:28 - 13:30भी बाहर निकल गयी हो,
-
13:30 - 13:35मुझे लगा की मेरी एनर्जी निकल चुकी हो
और मेरी आत्मा ने आत्मसमर्पण कर दिया हो। -
13:36 - 13:42और उस पल मे, मुझे पता चल गया था कि
अब मेरी जिन्दगी मेरे हाथ मे नही है। -
13:42 - 13:46या तो डॉक्टर मेरे शरीर को बचा सकते हैं
और मुझे जिन्दगी मे दूसरा मौका दे सकते हैं, -
13:46 - 13:50या शायद ये मेरा मुक्ती का समय था।
-
13:55 - 13:57जब मै उस दोपहर उठी,
-
13:57 - 14:01मै खुद को जिन्दा पा कर आश्चर्यचकित थी।
-
14:02 - 14:07जब मुझे लगा कि मेरी आत्मा ने आत्मसमर्पण कर दिया ,
मैने अपनी जिन्दगी को अल्विदा कह दिया था। -
14:07 - 14:09और मेरा दिमाग
-
14:09 - 14:14वास्त्विकता के दो बहुत ही विपरीत पहलुओ
के बीच अटक गया था। -
14:14 - 14:17मेरे सेन्सरी सिस्टम्स से
आते हुए स्टिमुलेशन -
14:17 - 14:19दर्द की तरह महसूस हुए।
-
14:19 - 14:22रोशनी मेरे दिमाग को
जंगल की आग की तरह जला रही थी, -
14:22 - 14:26और आवाजें इतनी तेज और शोर से भरी थी
-
14:26 - 14:30कि मै किसी भी अवाज को
पीछे के शोर से अलग नही कर पा रही थी, -
14:30 - 14:32और मै बस वहां से भाग जाना चाहती थी।
-
14:33 - 14:38क्योंकि मै अपने शरीर की
स्पेस मे पोसीशन नही समझ पा रही थी, -
14:38 - 14:42मुझे वृहद और विशाल महसूस हुआ,
-
14:42 - 14:45जैसे कोई जीनी अपने चिराग से आजाद हुई हो
-
14:47 - 14:49मेरी आत्मा आजाद हो गयी,
-
14:49 - 14:55जैसे कोई ग्रेट व्हेल शांत उमंग से भरे
समन्दर मे तैर रही हो। -
14:57 - 14:58निर्वाण.
-
14:58 - 15:01मुझे निर्वाण की प्राप्ति हुई।
-
15:03 - 15:04और मेरा यह सोचना याद है,
-
15:04 - 15:09कि कोई तरीका नही है जिससे
मै अपनी इस विशालता को -
15:09 - 15:11वापस अपने छोटे से
शरीर के अन्दर दबा पाउंगी -
15:14 - 15:17पर फ़िर मुझे एह्सास हुआ,
"लेकिन मै अभी भी जिन्दा हूं! -
15:17 - 15:20मै अभी भी जिन्दा हूं,
और मुझे निर्वाण मिल गया है। -
15:20 - 15:24और अगर मुझे निर्वाण मिल गया है
और मै अभी भी जिन्दा हूं, -
15:24 - 15:28तो वो हर एक व्यक्ति जो कि जिन्दा है
निर्वाण पा सकता है." -
15:30 - 15:32और मैने उस दुनिया की कल्पना की
-
15:32 - 15:38जो कि सुन्दर, शान्त,
दयालु, प्यार से भरे लोग -
15:38 - 15:41जो जानते हैं कि वो इस दुनिया मे
कभी भी आ सकते हैं। -
15:42 - 15:46और वो अपने मन से
-
15:46 - 15:48अपने बांए हेमीस्फेयर के दांयी ओर
आना चुन सकते हैं -- -
15:50 - 15:52और इस शान्ति को पा सकते हैं।
-
15:52 - 15:53और फिर मुझे एहसास हुआ
-
15:53 - 15:57कि कितना शानदार यह तोहफ़ा हो सकता है,
-
15:57 - 16:03यह कितनी महत्वपूर्ण अन्तर्द्रष्टि
हो सकती है,हमारे जीने के तरीके के लिए। -
16:04 - 16:07और इसने मुझे दोबारा ठीक होने के लिए
प्रोत्साहित किया। -
16:10 - 16:14हेमरेज होने के ढाई हफ़्ते बाद,
सर्जन ने मेरे दिमाग के अन्दर से -
16:14 - 16:17गोल्फ़ बॉल के साइज का ब्लड क्लॉट हटाया
-
16:17 - 16:19जो कि मेरे भाषा के केन्द्र को दबा रहा था.
-
16:19 - 16:20यह मै हूं मेरी मां के साथ,
-
16:20 - 16:22जो कि मेरी जिन्दगी मे
फ़रिश्ते के रूप मे रही हैं -
16:24 - 16:27मुझे पूरी तरह से ठीक होने मे
आठ साल लग गये। -
16:29 - 16:31तो हम कौन हैं?
-
16:31 - 16:36हम विश्व के जीवन शक्ति हैं,
-
16:36 - 16:40जिसके पास शारीरिक निपुणता है
और दो बुद्धिशाली दिमाग हैं। -
16:41 - 16:44और हमारे पास ताकत है, हर पल, चुनने की
-
16:44 - 16:47कि हम दुनिया मे
कौन और क्या बनना चाहते हैं। -
16:48 - 16:49यहां, इस वक़्त,
-
16:49 - 16:54मै अपने दांए हेमीस्फेयर की कॉन्शियसनेस मे
कदम रख सकती हूं, जहां हम हैं। -
16:54 - 16:58मै जीवन शक्ति हूं विश्व की.
-
16:58 - 16:59मै जीवन शक्ति हूं
-
16:59 - 17:04उन ५० ट्रिलियन सुन्दर मॉलीक्युलर
बुद्धिजीविओ की जो मेरा आकार , -
17:04 - 17:06एक साथ मिलकर बनाते हैं।
-
17:07 - 17:12या, मै अपने बांए हेमीस्फेयर की कॉन्शियसनेस
मे कदम रखना चुन सकती हूं -
17:12 - 17:16जहां मै एक पृथक व्यक्तित्व,
एक ठोस बन जाती हूं। -
17:16 - 17:19इस प्रवाह से अलग, आपसे अलग।
-
17:19 - 17:21मै डॉ. जिल बोल्टे टेलर हूं:
-
17:21 - 17:24बौद्धिक, न्यूरोएनाटोमिस्ट।
-
17:26 - 17:30यह "हम" हैं मेरे अन्दर।
-
17:31 - 17:33आप कौनसा चुनेंगे?
-
17:36 - 17:37आप कौनसा चुनते हैं?
-
17:39 - 17:40और कब?
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17:43 - 17:45मेरा विश्वास है
जितना जादा समय व्यस्त करेंगे -
17:45 - 17:48अपने दांए हेमीस्फेयर की इनर पीस सर्किटरी
-
17:48 - 17:50को चलाने मे,
-
17:50 - 17:54उतनी ही ज्यादा शान्ति हम दुनिया मे
वापस दर्शा पाएंगे, -
17:54 - 17:56और उतना ही ज्यादा शान्तिपूर्ण
हमारा ग्रह होगा। -
17:57 - 18:00और मुझे लगा कि यह एक आइडिया था जो
शेयर करने के लायक है। -
18:01 - 18:02धन्यवाद।
-
18:02 - 18:05(तालियां)
- Title:
- मेरा अंतर्दृष्टि का स्ट्रोक
- Speaker:
- जिल बोल्ट टेलर
- Description:
-
जिल बोल्टे टेलर को ऐसी रिसर्च का अवसर मिला जिसकी कामना कुछ ही मस्तिष्क विशेषज्ञ करेंगे:
उनको एक बडा स्ट्रोक पडा, और उन्होंने अपने मस्तिष्क की सभी क्षमताओ -चलना, बोलना, आत्म जागरूकता -- को एक-एक करके खोते पाया. एक अद्भुत कहानी. - Video Language:
- English
- Team:
closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 18:21
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Omprakash Bisen approved Hindi subtitles for My stroke of insight | |
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Arvind Patil accepted Hindi subtitles for My stroke of insight | |
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Arvind Patil edited Hindi subtitles for My stroke of insight | |
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Lipi Gupta edited Hindi subtitles for My stroke of insight | |
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